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सोमवार, 4 फ़रवरी 2013

उर्वरको में मिलावट की जाँच कैसे करें


                                      उर्वरको में मिलावट की जाँच कैसे करें 

खेती-किसानी  मे प्रयोग किए  जाने वाले कृषि निवेशो में  उर्वरक सबसे महँगा कृषि आदान  है, जिसका   फसल उत्पादन बढाने  में 15-50 प्रतिशत का योगदान रहता  है। अनेक  क्षेत्रों में उर्वरकों की सीमित उपलब्धता और काला बाजारी से स्तरहीन उर्वरकों की बिक्री आदि के कारण कुछ  उर्वरक विनिर्माता फैक्ट्रियों तथा विक्रेताओं द्वारा नकली एवं मिलावटी उर्वरक बनाकर बाजार मे बेचने लगते हैं। बहुधा किसान भाई को शिकायत रहती है की भरपूर खाद-उर्वरक उपयोग करने के बावजूद भी उपज में वांछित बढोत्तरी अर्थात मुनाफा नही हो रहा है। इसकी प्रमुख वजह घटिया-स्तरहीन उर्वरको का प्रयोग ही है। यह सच है की घटिया या  मिलावटी उर्वरको के उपयोग से फसलों के उत्पादन मे गिरावट आती है। उर्वरक उपयोग से वांछित लाभ तभी मिल सकता है जब उनमे पोषक तत्वों की सही मात्रा उपलब्ध हो। अतः किसान भाईओं को  बाजार में उपलब्ध उर्वरकों का  परीक्षण कर उर्वरक क्रय करना चाहिए, जिससे मिलावट की धोखाधड़ी से बचा जा सकता है ।

प्रमुख उर्वरकों मे सामान्य पदार्थो र्की मिलावट

उर्वरक मिलावटी पदार्थ
यूरिया साधारण नमक, म्यूरेट, आफ पोटाश
डी.ए.पी. सुपर फास्फेट, राक फास्फेट, एन.पी.के.मिश्रण, चिकनी मिट्टी
सुपर फास्फेट क्ले मिट्टी, जिप्सम की गोलियाँ
एम.ओ.पी. बालू, साधारण नमक
जिंक सल्फेट मैग्नीशियम सल्फेट

                                       उर्वरको में  मिलावट : परिक्षण  की विधियाँ 


1.यूरिया-46 % नत्रजन 

        यह प्रमुख पोषक तत्व नत्रजन प्रदान करने वाला उर्वरक है जिसमे 45-46 प्रतिशत नत्रजन तत्व पाया जाता है। कृषि क्षेत्र में सबसे अधिक मात्रा में इस उर्वरक का उपयोग किया जाता है। प्रतिवर्ष फसल बोआई के समय यूरिया की बाजार में कमी देखी जाती है जिसके कारण कई विक्रेता घटिया अथवा मिलावटी यूरिया किसानो को बेच देते हे जिससे किसान को बांछित लाभ नही हो पाता है। अतः यूरिया खाद खरीदने से पहले उसकी गुणवत्ता की जांच करना उचित होता है। यूरिया के सुधिकरण की जाँच निम्न प्रकार से की जा सकती है।
1. शुद्ध यूरिया चमकदार, लगभग समान आकार के दाने वाला, पानी में पूर्णतया घुल जाना, घोल को छूने पर शीतल की अनुभूति, गर्म तवे पर रखने से पिघल जाना, आँच (लौ) तेज करने पर कोई अवशेष न बचना, आदि सामान्य बातें हैं।
2. एक  ग्राम यूरिया (उर्वरक) परखनली में लें तथा 5 मिली. आसुत जल मिलायें और पदार्थ को घोलें एवं 5-6 बूँद सिल्वर नाइट्रेट घोल मिलायें, दही जैसा सफेद अवशेष का बनना यह प्रदर्शित करता है कि पदार्थ मिलावटी है। किसी भी अवशेष का न बनना शुद्ध यूरिया को बताएगा।
3. एक चम्मच यूरिया परखनली में लें तथा पिघलने तक गर्म करें, ठंडा होने पर 1 मि.ली.पदार्थ पानी में घोलें तथा बूँद-बूँद कर 1 मि.ली. बाई यूरेट घोल मिलाये,गुलाबी रंग आता है, तो यूरिया शुद्ध है और यदि गुलाबी रंग नहीं आता है तो समझें मिलावट है।
4. हथेली पर थोड़ा पानी लें, 2 मिनट बाद जब हथेली और पानी का ताप अनुरूप (एकसा) हो जाये तब 10-15 दानें यूरिया के डालें, शुद्ध यूरिया का घोल स्वच्छ होगा, यदि सफेद अवशेष आता है तो यूरिया मिलावटी है।

2. डाय अमोनियम फॉस्फेट  (डी.ए.पी .) -18 % नत्रजन व 46% फॉस्फोरस 

              यह यूरिया के बाद सर्वाधिक मात्रा  में उपयोग में लाया जाने वाला महत्वपूर्ण उर्वरक है जिसमे 18 % नत्रजन और 46 % फॉस्फोरस पाया जाता है। इसके सुधिकरण की जांच निम्नानुसार की जा सकती है। 
1. सामान्यतः शुद्ध डी.ए.पी. के दानो का आकार एकदम गोल नहीं होता, डी.ए.पी. के दानो को गर्म करने या जलाने पर दाने साबूदाने की भांति फूलकर लगभग दोगुने आकार के हो जायें तो वह शुद्ध होगा। डी.ए.पी. के दानों को लेकर फर्श पर रखें, फिर जूते के तले से रगड़ें, शुद्ध डी.ए.पी. के दाने आसानी से नहीं टूटेते, यदि आसानी से टूट-फुट जायें तो डी.ए.पी. में मिलावट है।
2. डी.ए.पी.में नाइट्रोजन की जाँच के लिए 1 ग्राम पीसे डी.ए.पी. में चूना मिलायें, सूँघने पर यदि अमोनिया की गंध आती है तो डी.ए.पी. में  नाइट्रोजन उपस्थित है यदि नही तो डी.ए.पी. मे मिलावट हो सकती है।
3. एक ग्राम पिसा नमूना परखनली में लें, 5 मि.ली. आसुत जल (डिस्टिल्ड वाटर ) मिलायें और हिलायें, फिर 1 मिली. नाइट्रिक अम्ल मिलायें,फिर हिलायें, यदि यह घुल जायें एवं घोल अर्ध-पारदर्शी हो जायें तो डी.ए.पी. शुद्ध है यदि कोई पदार्थ अघुलनशील बचता है, तो मिलावट है।
4. एक ग्राम पिसा हुआ  नमूना लें तथा 5 मि.ली. आसुत जल में घोलें, हिलाये, फिल्टर पेपर से छाने, उस फिल्ट्रेट में 1 मिलीलीटर सिल्वर नाइट्रेट घोल मिलायें, पीले अवक्षेप का बनना । जो 5-6 बूँद नाइट्रिक एसिड को मिलाने पर घुल जाये तो पदार्थ मे फास्फेट उपस्थित है और डी.ए.पी. शुद्ध है। यदि अवक्षेप सफेद है तो मिलावट है।

3.म्यूरेट ऑफ़ पोटाश (एम.ओ.पी.)- 60 % पौटाश 

           अधिकाँश भारतीय मिट्टियो में पोटाश तत्व की कमी नही रहती है फिर भी संतुलित उर्वरक उपयोग के लिए नत्रजन और फॉस्फोरस के साथ पोटेशियम युक्त उर्वरक मसलन म्यूरेट ऑफ़ पोटाश देने की अनुसंशा की जाती है। इसकी सुधता की परख निम्नानुसार की जा सकती है।
1. एक  ग्राम उर्वरक परखनली में लें, 5 मिली आसुत जल मिलायें व अच्छी तरह हिलायें अधिकांश उर्वरक धुल जाये तथा कुछ अघुलनशील कण पानी की सतह पर तैरें तो शुद्ध पोटाश (एम.ओ.पी.) होगी, यदि अधिकांश अघुलनशील पदार्थ परखनली के तले पर बैठ जाये तो समझे उर्वरक मे मिलावट है।
2. शुद्ध पोटाश (एम.ओ.पी.) पानी में पूर्णतया घुलनशील, रंगीन पोटाश (एम.ओ.पी.) का लाल भाग पानी पर तैरता है यदि ऐसा है तो पोटाश (एम.ओ.पी.) शुद्ध है अन्यथा नहीं, शुद्ध पोटाश (एम.ओ.पी.) के कण नम करने पर आपस में चिपकते नहीं।
3. एक चम्मच उर्वरक को 10 मिली,जल में घोंले, निथरे भाग से 2 मि .ली.घोल में 2 मि.ली. तनु 
हाइड्रो क्लोरिक एसिड का  घोल मिलायें, इसमे 1 मि.ली. बेरियम क्लोराइड मिलाने पर यदि स्वच्छ घोल बनता है तो उर्वरक शुद्ध है और यदि सफेद अवक्षेप है तो समझे  मिलावट है।

4. सिंगल सुपर फास्फेट (एस .एस . पी .)-16 % फॉस्फोरस 

       नत्रजन के बाद दूसरा आवश्यक पोषक तत्व है तथा फसलो की उपज बढाने में कारगर सिद्ध हो चूका है। इसकी सुधता की जांच निम्नानुसार की जा सकती है।
1. दानेदार पाउडर, काला भूरा आदि रंगों में से एक दाना हथेली पर रगड़ने से आसानी से टूट जाये तो शुद्ध है।
2. 1 ग्राम उर्वरक परखनली में लें, 5 मिली. आसुत जल मिलायें तथा अच्छी तरह हिलाये और छानें तथा 5-6 बूँद सिल्वर नाइट्रेट घोल मिलायें यदि पीला यदि पीला अवक्षेप है एवं घुल जाये तो फास्फेट की उपस्थिति है, यदि नहीं तो पदार्थ संदिग्ध है।
3. आधे चम्मच उर्वरक को 5 मिली. आसुत जल में घोलें, ऊपरके निथरे भाग को दूसरी परखनली में लेकर 15-20 बूँदें सिल्वर नाइट्रेट के घोल को मिलायें, हल्का दूधिया अवक्षेप प्राप्त होता है, इसमें 2-3 बूँद तनु कास्टिक सोडा मिलाने पर पीला  अवक्षेप आता है तो उर्वरक शुद्ध है यदि ऐसा नहीं होता तो शुद्ध समझें।

5. जिंक सल्फेट

    सूक्ष्म पोषक तत्व जिंक प्रदान करने वाला यह उर्वरक है। धान-गेंहू फसल चक्र वाले क्षेत्रो में इस तत्त्व की कमी देखी जा रही है। इसकी सुधता की जांच निम्नानुसार की जा सकती है।
1. एक  ग्राम उर्वरक परखनली में लें, 5 मि .ली . आसुत जल मिलायें, अच्छी तरह हिलायें, फिल्टर पेपर में छाने 8-10 बूँद तनु सोडियम हाइड्राक्साइड का  घोल मिलायें, सफेद पदार्थ बनता है, तब 10-12 बूंदें सांद्र सोडियम हाइड्राक्साइड घोल मिलायें अगर अवक्षेप घुल जायें तो पदार्थ शुद्ध है अन्यथा नहीं।
2. पानी में घुलनशील लेकिन इसका घोल यूरिया या एम.ओ.पी. की तरह ठंडा नही होता तो शुद्ध पदार्थ है।
3. डी.ए.पी. के घोल मे जिंक सल्फेट के घोल को मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है, जबकि मैग्नीशियम सल्फेट के साथ ऐसा नहीं होता।

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