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रविवार, 13 जनवरी 2019

सूखे चारे को पौष्टिक बनायें, पशुधन को उत्पादक बनायें


                   सूखे चारे को पौष्टिक बनायें, पशुधन को उत्पादक बनायें
                                    डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर,प्रोफ़ेसर (एग्रोनोमी), 
     इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय,
राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,
                                                 अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)

पशुपालन एवं डेयरी  उद्योग का हमारे देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है।   विश्व भर की कुल गायों का 20 प्रतिशत तथा भैसों का 57 प्रतिशत हमारे देश की धरोहर तो अवश्य है, परन्तु उनकी उत्पादन क्षमता अन्य देशों की तुलना में बहुत कम है।  देश  के सीमान्त एवं लघु किसान अपने परिवार की आजीविका के लिए पशुधन पर आश्रित है।  जनसँख्या दबाव, घटती कृषि जोत, सिकुड़ते प्राकृतिक संसाधनों के कारण पशुओं के लिए चारा और पशु चारण क्षेत्रों में निरंतर कमीं के चलते अब पशुपालन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।  वर्तमान में पशुओं का जीवन निर्बाह  अपौष्टिक सूखे चारे से हो पा रहा है, जिससे उनकी उत्पादन क्षमता में निरंतर गिरावट देखने को मिल रही है।   पशुधन को स्वस्थ और सतत उत्पादनशील बनाये रखने के लिए उनके आहार में पौष्टिक चारे का महत्वपूर्ण स्थान है।  हमारे देश में पशुधन को खिलाये जाने वाले सूखे चारे जैसे गेंहू का भूसा,ज्वार, बाजरा एवं मक्का की  कड़वी, धान के पुआल आदि में पौष्टिक तत्व बहुत कम तथा रेशे की  अधिक मात्रा होती है।  इनका रेशा अधिक कड़ा और लिग्नीफाइड होने के कारण कम पचनीय होता है।  इस प्रकार का सूखा चारा खिलाने से पशुधन के शरीर भार में कमीं होने के साथ-साथ उनकी उत्पादन क्षमता में भी कमीं होती है।  उपलब्ध सूखे चारे का उपचार कर बहुत कम खर्चे में इनकी पोषकता एवं गुणवत्ता आसानी से बढ़ाई जा सकती है।  हरे चारे की कमीं अथवा अभाव में उपचारित सूखे चारे को खिलाने से पशुधन को स्वस्थ और उत्पादक बनाये रखा जा सकता है।  सूखे चारे को पौष्टिक बनाने के लिए  यूरिया अथवा यूरिया-शीरा उपचार  विधि  का प्रयोग किया जा सकता है।
1.सूखे चारे का यूरिया से उपचार
एक क्विंटल सूखे चारे जैसे भूसा, पुआल या कड़वी  के लिए चार कि.ग्रा. यूरिया का 50-60 लीटर स्वच्छ  पानी में  भली भांति घोल बनाते है।  चारे को समतल तथा कम ऊंचाई वाले स्थान पर 3-4 मीटर की गोलाई में 30 से.मी. ऊंचाई की तह में फैला कर उस पर यूरिया के घोल का समान रूप से छिड़काव करते हैं।  चारे को पैरों से अच्छी तरह दबा कर उस पर पुनः  सूखे चारे की एक और पर्त बिछा दी जाती है। इस परत पर भी  यूरिया के घोल का समान रूप से छिड़काव करने के उपरान्त पैरों से अच्छी तरह दबाकर उसे एक पोलीथीन की शीट से अच्छी तरह से ढक  दिया जाता है।  यदि पोलीथीन की शीट उपलब्ध न हो तो उपचारित चारे की ढेरी को गुम्बदनुमा बनाते हैं जिसे ऊपर से पुआल आदि से ढक दिया जाता है। उपचारित चारे को 20-22 दिन तक इसी अवस्था में छोड़ देते है।  ऐसा करने से यूरिया से  अमोनिया गैस बनती है जो घटिया चारे को मुलायम एवं   पाच्य बना देती है। इस चारे में प्रोटीन की मात्रा 3.0-3.5 प्रतिशत से बढ़कर 8 से 9 प्रतिशत हो जाती है।  इस चारे को पशु को अकेले या फिर हरे चारे के साथ मिलाकर खिलाया जा सकता है।  इस चारे से पशुधन को संतुलित पोषक तत्व उपलब्ध हो जाते है।
2.सूखे चारे का यूरिया-शीरा द्वारा उपचार  
         इस विधि में 100  किग्रा भूसे  को उपचारित करने के लिए एक कि.ग्रा. यूरिया, 10 किग्रा शीरा और एक  किग्रा खनिज  मिश्रण, 50 ग्राम विटामिन मिश्रण  तथा 15  लीटर स्वच्छ पानी की आवश्यकता होती है । उपचारित करने के लिए 1  किग्रा यूरिया को 7  लीटर पानी मे अच्छी प्रकार से  घाले लिया जाता है तथा शेष  8  लीटर पानी मे शीरा, खनिज एवं विटामिन  मिश्रण को मिलाकर अच्छी प्रकार से घोल  लिया जाता है। इसके बाद दोनों घोलों को अच्छी तरह मिला लेते  है। अब  100 कि.ग्रा. भूसे  की   30  से.मी. मोटी परत  पर उक्त घोल को  हजारे द्वारा छिड़क कर  हाथ से  भूसे में अच्छी तरह मिलाया जाता है। । इससे चारे की पचनीयता एवं पौष्टिकता मे काफी वृद्धि होती है।  इस चारे को तुरंत पशुओं को खिलाया जा सकता है।  उपरोक्त दोनों  विधियां में आवश्यक समाग्री की मात्रा नीचे सारिणी मे दर्शायी गयी है।
सारणी : यूरिया तथा यूरिया-शीरा द्वारा उपचार के लिए आवश्यक सामग्री की मात्रा
आवश्यक सामग्री की मात्रा
यूरिया  द्वारा उपचार
यूरिया-शीरा द्वारा उपचार
धान का पुआल, गेंहू का भूसा/ ज्वार,बाजरा,मक्का की कड़वी
100 कि.ग्रा.
100 कि.ग्रा.
यूरिया
4 कि.ग्रा.
1 कि.ग्रा.
शीरा
-----
10 कि.ग्रा.
लवण मिश्रण
-----
1 कि.ग्रा.
स्वच्छ जल
50-60 लीटर
15 लीटर

उपचारित सूखा चारा खिलाने के फायदे
 हरे चारे की कमीं होने पर पशुओं को यूरिया उपचारित सूखा चारा खिलाने से विशेष लाभ होता है, क्योंकि यूरिया उपचारित चारे से पशुओं को 4-5 % प्रोटीन एवं 48-50 % कुल पाचक तत्व मिलते है।  जबकि गैर उपचारित चारे में न के बराबर प्रोटीन एवं 34-40 % पाचक तत्व मिल पाते है। उपचारित चारा नरम व स्वादिष्ट कोने के कारण पशु उसे खूब चाव से खाते हैं तथा चारा बर्बाद नहीं होता है।  पांच या 6 किलों उपचारित भूसा खिलने से दुधारू पशुओं में लगभग 1 किलो दूध की वृद्धि हो सकती है। यूरिया उपचारित चारे को पशु आहार में सम्मिलित करने से दाने में कमी की जा सकती है जिससे दूध के उत्पादन की लागत कम हो सकती है।  बछड़े एवं बच्छियों को यूरिया उपचारित चारा खिलाने से उनके  शरीर भार में तेजी से वृद्धि होती  है तथा वे स्वस्थ रहते है।
यूरिया उपचार में सावधानियाँ
          सूखे चारे के उपचार हेतु यूरिया का घोल साफ पानी में तथा यूरिया की सही मात्रा के साथ बनाना चाहिए। घोल में यूरिया पूरी तरह से घुल जानी चाहिए. युरा उपचारित चारे को 3 सप्ताह से पहले पहुओं को बिल्कुल नहीं खिलाना चाहिए। यूरिया के घोल को सूखे चारे के ऊपर समान रूप से छिड़कना चाहिए।

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