इक्कीसवीं सदी का सबसे बड़ा संस्थागत् नवाचार-कृषि विज्ञान केंद्र
डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर
प्राध्यापक (सस्य विज्ञान)
इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)
भारतीय कृषि को समोन्नत करने के उद्देश्य से विभिन्न कृषि जलवायविक क्षेत्रों में वैज्ञानिकों द्वारा गहन शोध कार्य किये जाते है परन्तु इन शोध परिणामों/उपलबधियों का फायदा कृषि और किसानों को नहीं मिल पाता है। वैज्ञानिक अनुसन्धान से उपजी कृषि तकनीकें खेत किसान तक पहुँचने की वजाय प्रयोगशाला अथवा प्रगति प्रतिवेदनों के पन्नों तक पहुंच कर दम तोड़ देती है और भारी भरकम धन राशि खर्च करने के वाद परिणाम शिफर रहता है। इसलिए भारत में शिक्षा आयोग (1964-65) की अनुशंषा तथा योजना आयोग की स्वीकृति के पश्चात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा गठित डॉ मोहन सिंह मेहता कमेटी ने कृषि विज्ञानं केंद्र स्थापित करने का विचार 1973 में रखा, जिसके फलस्वरूप तमिल नाडु कृषि विश्व विद्यालय के अधीन वर्ष 1974 में प्रथम कृषि विज्ञानं केंद्र की स्थापना पांडिचेरी में की गई।
भारत की अर्थव्यस्था में कृषि के अहम योगदान को दृष्टिगत रखते हुए और कृषि विकास दर को निरंतर गति प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश के अमूमन सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने का वीणा उठाया है। परिणामस्वरूप अब तक भारत के विभिन्न राज्यों में कुल 637 कृषि विज्ञानं केंद्र स्थापित हो चुके है, जिनका संचालन उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद (आई सी ए आर), पूसा,नई दिल्ली के दिशा निर्देशन में देश भर में स्थापित आठ क्षेत्रीय परियोजना निदेशालयों के माध्यम से सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इनमें से मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में क्रमशः 47 एवं 20 कृषि विज्ञानं केंद्र सुचारू रूप से कार्यरत है जो जोन क्रमांक 7 के प्रशासनिक नियंत्रण में आते है। आज कृषि विज्ञानं केंद्र बेहतर प्रसार मॉडल के रूप में खड़े हो कर क्षेत्रीय कृषि विकास को नित नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में अहम किरदार की भूमिका निभा रहे है। वास्तव में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना कृषि प्रौद्योगिकी/उत्पादों का मूल्यांकन, सुधार और प्रदर्शन की मूल भावना के तहत की गई है । इन केन्द्रों के समस्त तकनीकी हस्तांतरण कार्यक्रम “करके सीखों” एवं “देखकर विश्वास करो” के सिद्धांत पर संचालित किये जाते हैं तथा प्रौद्योगिकी में निहित वास्तविक दक्षता को सीखने पर बल दिया जाता है। यह केन्द्र एक ऐसी महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक संस्था है जहाँ किसानों एवं कृषि कार्य में संलग्न महिलाओं एवं ग्रामीण युवकों/युवतियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण मुख्यत: फसलोत्पादन, मृदा स्वास्थ परिक्षण, पौध सुरक्षा, गृह विज्ञान, पशुपालन, उद्यानिकी, कृषि अभियान्त्रिकी, तथा अनेक कृषि संबंधित विषयों में दिया जाता है। संस्था द्वारा किसानों के ही खेतों पर किसानों को शामिल करते हुए वैज्ञानिकों की देख-रेख में उन्नत तकनीकी का परीक्षण किया जाता है तथा कृषकों एवं विस्तार कार्यकर्ताओं के समक्ष आधुनिकतम वैज्ञानिक तकनीक का अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर कार्य करने वाला एक वैज्ञानिक संस्थान है जो किसानों के बीच रहकर उनकी खेती की दशा और दिशा सुधरने में तत्पर है। तभी तो कृषि एवं खाद्य संघठन के एक प्रतिनिधि ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े संस्थागत नवाचार के रूप में माना है ,इससे कृषि विज्ञान केन्द्रों की सार्थकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
भारत की अर्थव्यस्था में कृषि के अहम योगदान को दृष्टिगत रखते हुए और कृषि विकास दर को निरंतर गति प्रदान करने के उद्देश्य से भारत सरकार ने देश के अमूमन सभी जिलों में कृषि विज्ञान केंद्र स्थापित करने का वीणा उठाया है। परिणामस्वरूप अब तक भारत के विभिन्न राज्यों में कुल 637 कृषि विज्ञानं केंद्र स्थापित हो चुके है, जिनका संचालन उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार), भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद (आई सी ए आर), पूसा,नई दिल्ली के दिशा निर्देशन में देश भर में स्थापित आठ क्षेत्रीय परियोजना निदेशालयों के माध्यम से सफलता पूर्वक किया जा रहा है। इनमें से मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में क्रमशः 47 एवं 20 कृषि विज्ञानं केंद्र सुचारू रूप से कार्यरत है जो जोन क्रमांक 7 के प्रशासनिक नियंत्रण में आते है। आज कृषि विज्ञानं केंद्र बेहतर प्रसार मॉडल के रूप में खड़े हो कर क्षेत्रीय कृषि विकास को नित नई ऊँचाइयों तक पहुंचाने में अहम किरदार की भूमिका निभा रहे है। वास्तव में कृषि विज्ञान केन्द्रों की स्थापना कृषि प्रौद्योगिकी/उत्पादों का मूल्यांकन, सुधार और प्रदर्शन की मूल भावना के तहत की गई है । इन केन्द्रों के समस्त तकनीकी हस्तांतरण कार्यक्रम “करके सीखों” एवं “देखकर विश्वास करो” के सिद्धांत पर संचालित किये जाते हैं तथा प्रौद्योगिकी में निहित वास्तविक दक्षता को सीखने पर बल दिया जाता है। यह केन्द्र एक ऐसी महत्वाकांक्षी वैज्ञानिक संस्था है जहाँ किसानों एवं कृषि कार्य में संलग्न महिलाओं एवं ग्रामीण युवकों/युवतियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण मुख्यत: फसलोत्पादन, मृदा स्वास्थ परिक्षण, पौध सुरक्षा, गृह विज्ञान, पशुपालन, उद्यानिकी, कृषि अभियान्त्रिकी, तथा अनेक कृषि संबंधित विषयों में दिया जाता है। संस्था द्वारा किसानों के ही खेतों पर किसानों को शामिल करते हुए वैज्ञानिकों की देख-रेख में उन्नत तकनीकी का परीक्षण किया जाता है तथा कृषकों एवं विस्तार कार्यकर्ताओं के समक्ष आधुनिकतम वैज्ञानिक तकनीक का अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन किया जाता है। कृषि विज्ञान केंद्र जिला स्तर पर कार्य करने वाला एक वैज्ञानिक संस्थान है जो किसानों के बीच रहकर उनकी खेती की दशा और दिशा सुधरने में तत्पर है। तभी तो कृषि एवं खाद्य संघठन के एक प्रतिनिधि ने कृषि विज्ञान केन्द्रों को इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े संस्थागत नवाचार के रूप में माना है ,इससे कृषि विज्ञान केन्द्रों की सार्थकता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
कृषि
विज्ञान केन्द्र वैज्ञानिकों, विषय वस्तु विशेषज्ञों, विस्तार कार्यकर्ताओं
तथा कृषकों की संयुक्त सहभागिता से कार्य करता है। इसमें मुख्यतः 16 सदस्य होते है जिसका प्रधान कार्यक्रम समन्वयक (पी सी) होता है। इसमें 6 वैज्ञानिकों का दल होता है जो विभिन्न विषयों के विषय वस्तु विशेषज्ञ (एस एम एस) कहलाते है। इसके अतरिक्त 3 कार्यक्रम सहायक एवं अन्य सहायक कर्मचारी पदस्थ होते है। प्रत्येक कृषि विज्ञान केंद्र पास 50 एकड़ का फार्म होता है जिसका उपयोग तकनीकों का प्रदर्शन, फसल कैफ़्टेरिया, डेरी फार्म, तालाब, बीज उत्पादन, उद्यान एवं अन्य प्रदर्शन इकाइयों के रूप में किया जाता है। इस केन्द्र में
प्रशासनिक भवन, प्रशिक्षण हाल, कृषक भवन, मृदा परीक्षण प्रयोगशाला,पुस्तकालय, आदि सुविधाओं के साथ फसलों,
सब्जियों एवं चारा की उन्नतशील तकनीकी का प्रदर्शन तकनीकी पार्क में किया जाता है। इसके अतिरिक्त देश के अनेक कृषि विज्ञान केन्द्रों में किसानों हेतु वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, डेरी, मुर्गी पालन इकाई,मौनपालन,
मछली पालन,मशरूम उत्पादन व पोषक वाटिका प्रदर्शन इकाई स्थापित है।
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत छत्तीसगढ़ में कार्यरत कृषि विज्ञान केंद्र
कृषि विज्ञानं केन्द्रों के नाम व पता
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स्थापना
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समन्वयक
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फोन नंबर
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कृषि विज्ञान केंद्र, नेवारी फार्म, जिला कवर्धा (कबीरधाम )
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2008
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डॉ बी पी त्रिपाठी
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07741 -299124
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कृषि विज्ञान केंद्र, कोरिया
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2008
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डॉ आर एस राजपूत
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07836-233663
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कृषि विज्ञान केंद्र, डूमर बहार, पत्थल गाँव जिला जशपुर
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2007
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डॉ एस के पैकरा
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07765-202603
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कृषि विज्ञान केंद्र, सिंगारभाटा जिला कांकेर
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2007
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डॉ बीरबल साहू
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07868-241467
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कृषि विज्ञान केंद्र, शासकीय प्रक्षेत्र, सुरगी, जिला राजनांदगांव
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2007
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डॉ एच एस तोमर
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07744-251529
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कृषि विज्ञान केंद्र, कोरबा
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2006
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डॉ आर एन शर्मा
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07815-203010
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कृषि विज्ञान केंद्र, केंद्रिय, दंतेवाड़ा
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2005
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डॉ नारायण साहू
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07856-244578
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कृषि विज्ञान केंद्र, बलौदाबाजार रोड, भाटापारा, जिला बलौदाबाजार
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2004
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श्री समीर कुमार ताम्रकार
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07726-223210
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कृषि विज्ञान केंद्र, जिला पंचायत के पास जांजगीर, जिला जांजगीर-चांपा
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2004
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डॉ विजय जैन
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07817-200707
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कृषि विज्ञान केंद्र, रायगढ़
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2004
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डॉ एस पी सिंह
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07762 215250
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कृषि विज्ञान केंद्र, धमतरी
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2004
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डॉ एस एस चंद्रवंशी
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07722-219130
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कृषि विज्ञान केंद्र, त्रिमूर्ति कॉलोनी महासमुंद
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2004
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डॉ एस के वर्मा
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07723-224659
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कृषि विज्ञानं केंद्र, अजिरमा फार्म, अंबिकापुर, जिला सरगुजा
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1994
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डॉ आर के मिश्रा
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07774-232179
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कृषि विज्ञानं केंद्र, कुम्हरावण्ड, जगदलपुर, जिला बस्तर
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1992
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डॉ जी पी आयाम
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07782-229153
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कृषि विज्ञानं केंद्र फार्म, सरकंडा फार्म, जिला बिलासपुर
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1984
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डॉ के आर साहू
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07752-255024
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कृषि विज्ञानं केंद्र, जाबेर, बलरामपुर, जिला सरगुजा
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2011
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डॉ ऐ के त्रिपाठी
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07831-273740
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कृषि विज्ञानं केंद्र, शासकीय कृषि फार्म , केरलापाल, जिला नारायणपुर .
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2011
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डॉ मनोज कुमार साहू
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07781-200060
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कृषि विज्ञानं केंद्र, कोकडी, गरियाबंद, जिला गरियाबंद
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2011
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07706-241981
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कृषि विज्ञानं केंद्र, पनारपुरा , जिला बीजापुर
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2012
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07853-298030
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प्रोद्यौगिकी/तकनीकों का मूल्यांकन, सुधार एवं प्रदर्शन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्रों के विभिन्न क्रियाकलापों को निम्नानुसार निर्धारित किया गया है :
- कृषकों के प्रक्षेत्रों पर स्थानीय जलवायु के अनुकूल तकनीक का मूल्यांकन और सुधार।
- नव विकसित तकनीक की क्षमता को अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन द्वारा कृषकों को दिखाना।
- कृषकों, कृषिरत महिलाओं एवं ग्रामीण नवयुवकों के ज्ञान व दक्षता को बढ़ाने हेतु शिक्षण-प्रशिक्षण आयोजित करना।
- जिला स्तर पर कृषि ज्ञान एवं संसाधन केंद्र के रूप में कार्य करना।
- फ्रंटियर टेक्नोलॉजी के बारे में विस्तृत जागरूकता बढ़ाना।
- गुणवत्तापूर्ण बीज एवं पौध रोपण सामग्री को तैयार करके किसानों को उपलब्ध कराना
कृषि विज्ञान केंद्र अपनी गतिविधिओं के माध्यम से कृषक परिवारों की सामाजिक आर्थिक परिस्थियाँ, स्थानीय जलवायु एवं बाज़ार आधारित मुद्दों को समाहित करते हुए किसानों और कृषि महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करता है जिससे तकनिकी के अंगीकरण में कठिनाइयों का सामना ना करना पड़े।
प्रक्षेत्र परीक्षण द्वारा तकनीकी मुल्यांकन एवं परिशोधन
कृषि विज्ञान केंद्र में कार्यरत विभिन्न विषय वस्तु विशेषज्ञों द्वारा क्षेत्र का गहन सर्वेक्षण किया जाता है जिसके फलस्वरूप क्षेत्र में व्याप्त समस्याओं का आंकलन करते हुए उपयुक्त तकनीकों का चुनाव, उसका मूल्यांकन एवं सुधार कार्य किया जाता है ताकि क्षेत्र के किसानों एवं ग्रामीणों को सही तथा अनुकूल तकनीक उपलब्ध कराई जा सके। राज्य कृषि विश्व विद्यालयों में किये जा रहे अनुसंधानों का परीक्षण भी केन्द्र पर किया जाता है।
कृषि तकनीकी प्रदर्शन
कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा परीक्षण में पाये गए परिणामों के आधार पर किसान के खेत पर उनकी उपस्थिति में प्रक्षेत्र प्रदर्शन और अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन लगाये जाते है, जिससे वें तकनीक देखकर-समझकर प्रेरित हो सके इन प्रदर्शनों से अधिक उपज देने वाली उन्नत किस्में , बेहतर उत्पादन तकनीकें, पौध सरंक्षण उपायों, जैविक खादों, आधुनिक कृषि उपकरणों को किसानों द्वारा अपनाने में मदद मिलती है।
कृषक प्रशिक्षण
केंद्र द्वारा किसानों, कृषिरत महिलाओं एवं ग्रामीण नवयुवकों के मार्गदर्शन, उनके सतत ज्ञान एवं दक्षता बढ़ाने हेतु वर्ष भर अल्पकालीन और दीर्धकालीन प्रशिक्षणों का आयोजन किया जाता है। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रसिक्षणार्थिओं के ठहरनें एवं खाने की निःशुल्क व्यवस्था भारत सरकार द्वारा की जाती है। यह प्रशिक्षण मुख्य रूप से फसल उत्पादन तकनीकों, पौध सरंक्षण, फसल कटाई उपरांत तकनीकों, मृदा परीक्षण, कृषि उपकरणों आदि विषयों पर होता है। ग्रामीण नवयुवकों एवं महिलाओं के लिए रोजगार परक विषयों जैसे सब्जी उत्पादन, फल उत्पादन, पौध रोपण सामग्री तैयार करने, नर्सरी स्थापना, ओषधीय एवं सगंध फसलों की खेती, पुष्प उत्पादन, गौ पालन, मछली पालन, भेड़-बकरी पालन, मुर्गी पालन, रेशम कीट एवं मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, फल एवं खाद्य प्रसंस्करण, कृषि उपकरण मरम्मत एवं रखरखाव आदि विषयों पर आधारित होता है। इसके अलावा राज्य कृषि विभाग में कार्यरत कृषि अमले के ज्ञान एवं विषय की दक्षता बरकरार रखने के लिए उनके लिए नियमित रूप से शिक्षण-प्रशिक्षण का आयोजन भी किया जाता है।
प्रसार गतिविधियाँ
बेहतर एवं लाभकारी तकनीकों का वृहद प्रचार-प्रसार करने के उद्देश्य से कृषि विज्ञानं केंद्र किसान मेला, किसान दिवस, प्रक्षेत्र भ्रमण, कृषक गोष्ठी, प्रदर्शनी,जान-जागरूकता कैंप, विशेष अभियान, कार्यशाला आदि का आयोजन किया जाता है। इन तमाम प्रसार गतिविधिओं के माधयम से सुदूर ग्रामीण अंचलों के किसानों एवं ग्रमीणों को नवोन्वेषी कृषि तकनिकी, नवीन कृषि आदानों, बेहतरीन कृषि उत्पादों से अवगत कराया जाता है ताकि वे आधुनिक कृषि तकनीकों/ प्रदर्शनों को प्रत्यक्ष रूप से देख कर प्रेरित हो और इन्हे अपने ग्राम-खेत में अपनाकर कृषि उत्पादन एवं आमदनी बढ़ानें में सक्षम हो सकें ।
उत्तम एवं गुणवत्तायुक्त बीज और पौध सामग्री उपलब्ध कराना
कृषि विज्ञान केंद्र जिले के किसानों को अपने प्रक्षेत्र पर तैयार उन्नत किस्म के बीज एवं पौध रोपण सामग्री भी उपलब्ध करने में अहम भूमिका निभाते है, जिससे किसानों को नवीन किस्मों एवं तकनीकों का लाभ मिल सकें। यही नहीं वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कृषक प्रक्षेत्रों पर उन्नत किस्म बीज उत्पादन एवं पौध तैयार तैयार कराइ जाती है ताकि किसान स्वयं इन आदानों को पैदा कर इनका प्रसार कर सकें।
कृषि विज्ञानं केन्द्रों की अन्य गतिविधियाँ
खेतों की मिटटी का परीक्षण, खाद्य प्रसंस्करण आदि सेवाएं भी कृषि विज्ञान केंद्र किसानों को मुहैया कराते है। कृषि तकनीकों को खेत किसान तक पहुचने की दृष्टि से कृषि विज्ञान केंद्र कृषि साहित्य मसलन, कृषि युग पंचांग, कृषि दर्शिका, पुस्तिकाएं, पम्पलेट आदि का वितरण करता है। इन तमाम गतिविधिओं के अलावा केंद्र सरकार एवं राज्य शासन की कृषि एवं किसान हितैषी योजनाओं के प्रचार-प्रसार और उनके क्रियान्वयन में भी तकनीकी सहायता प्रदान करते देते है, जिससे जिले के किसानों को अपनी खेती किसानी के बहमुखी विकास में मदद मिल सकें। किसानों द्वारा किये जा रहे विभिन्न प्रयोगो एवं नवाचारों को चिन्हित करके, उन्हें और अधिक परिस्कृत करके इनका प्रचार प्रसार करने का कार्य भी केंद्र के वैज्ञानिक करते है। इसी तारतम्य में किसानों एवं कृषि विज्ञानं केन्द्रों को श्रेष्ठ एवं नवोन्वेषी कृषि कार्य करने प्रेरित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रति वर्ष चयनित किसानों एवं केन्द्रों को पुरुष्कार प्रदान कर सम्मानित किया जाता है, जो की एक अभिनव पहल है।
अब किसान मोबाइल सलाह भी
अपने सीमित संसाधनो के कारण कृषि विज्ञान केन्द्रों की जिले के सभी किसानों तक पहुंच एक दुष्कर कार्य है। सभी किसानों एवं ग्रामीणों तक अपनी पहुँच आसान बनाने के उद्देश्य से अब 'किसान सलाह मोबाइल सेवा' एक वैकल्पिक कृषि प्रसार माधयम के रूप में प्रारम्भ की गई है जो अत्यंत प्रभावी सिद्ध हो रही है। इस अभिनव पहल से कृषि विज्ञानं केन्द्रों एवं कृषि सम्बंधित विभागों द्वारा आवश्यक सलाह-सन्देश सभी किसानों तक आसानी से कम खर्च में पहुँचाने में मदद मिल रही है। किसान मोबाइल सलाह द्वारा किसानों को मौसम की जानकारी के अलावा क्षेत्रीय परिस्थित के अनुसार उन्नत किस्में, उत्पादन तकनीक, पौध सरंक्षण उपाय , सिचाई, फसल कटाई एवं रख-रखाव और बाजार भाव जैसे विषयों पर नियमित सन्देश भेजे जाते है। इस सेवा का लाभ लेने के लिए किसानों एवं हिग्राहियों को अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र में पंजीयन करवाना होता है। अब भारत सरकार ने किसान पोर्टल के माधयम से मुफ्त सन्देश भेजने की व्यवस्था लागू की है। वास्तव में आने वाले दिनों में यह सेवा एक मजबूत संचार माध्यम के रूप में किसानों की त्वरित सहायता करने में सक्षम होगी।
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