सेहत
और समृद्धि के लिए स्वीट कॉर्न की खेती
फायदा देती
डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय,
राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय
एवं अनुसंधान केंद्र,
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)
खेती में निरंतर बढती लागत और
घटती आमदनी से परेशान होकर किसानों का खेती किसानी से मोहभंग होता जा रहा है जो
देश की खाध्य सुरक्षा के लिए शुभ संकेत नहीं है। इसलिए अब परंपरागत फसलों की खेती
में कुछ बदलाव करते हुए फसल विविधिकरण की तरफ किसान भाइयों को प्रेरित करना आवश्यक
है। धान-गेंहू फसल प्रणाली की खेती में अधिक लागत, पानी की ज्यादा आवश्यकता और बाजार में वाजिब दाम न मिलने के कारण अब बहुतेरे किसान मक्का की खेती की ओर अग्रसर हो
रहे है। कम समय और सीमित खर्चे में पर्याप्त उपज और आमदनी के लिए मक्का एक बेहतर वैकल्पिक
फसल सिद्ध हो रही है। सिंचाई की सुविधा होने पर वर्ष में मक्का की तीन फसलें यथा
खरीफ, रबी और जायद में ली जा सकती है। मक्का की खेती की जगह मक्का की अन्य
प्रजाति-स्वीट कॉर्न (मधुर मक्का) की खेती करने से किसान भाई परम्परागत दाने वाली
मक्का की अपेक्षा दो गुनी आमदनी अर्जित कर सकते है। स्वीट कॉर्न के साथ चना, मटर,
धनियाँ, मैंथी, गेंदा आदि की अंतरवर्ती खेती कर किसान भाई अतिरिक्त मुनाफा प्राप्त
कर सकते है. मधुर मक्का को कच्चा, भून कर या उबालकर खाया जा सकता हैं। यह
सब्जी, सूप, सलाद एवं अनेक प्रकार के लजीज
पकवान जैसे स्वीट कॉर्न केक,
स्वीट कॉर्न क्रीम, स्वीट कॉर्न पुलाव आदि बनाने में भी प्रयुक्त
होता हैं। हरा भुट्टा तोड़ने के बाद इसके पौधों को काटकर हरे चारे के रूप में उपयोग में लाया जा
सकता हैं।
स्वीट कॉर्न का स्वस्थ भुट्टा फोटो साभार गूगल |
मधुर
मक्का एक विशेष प्रकार की मक्का है, जो सामान्य मक्का की तुलना में अधिक मीठी और
खाने में स्वादिष्ट होती है। पोषणमान की दृस्ष्टि से स्वीट कॉर्न के 100 ग्राम पीले
दानों में 75.96 ग्राम नमीं, 3.2 ग्राम
प्रोटीन, शक्कर 3.22 ग्राम, वसा 1.18 ग्राम, रेशा 2.7 ग्राम, खनिज ( 0.52 मिग्रा
आयरन,37 मिग्रा मैग्नेशियम एवं 270 मिग्रा पोटेशियम), 360 कि.कैलोरी ऊर्जा के अलावा विटामिन ‘ए’, ‘बी’ एवं ‘सी’ पर्याप्त
मात्रा में पाया जाता है। अतःअमूमन सभी पोषक तत्वों में समृद्ध होने के कारण स्वीट
कॉर्न को स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है। बच्चों से लेकर बड़े और वृद्ध
सभी के लिए स्वीट कॉर्न एक पसंदीदा स्नैक्स बनता जा रहा है। इसका भुट्टा खाने में
स्वादिष्ट होने के साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. स्वीट कॉर्न के सेवन
से शरीर में खून की मात्रा बढती है, पाचन क्रिया दुरुस्त होती है और रोगप्रतिरोधक
क्षमता बढती है।
स्वीट कॉर्न की घरेलू एवं अन्तराष्ट्रीय बाजार
में अधिक मांग होने के कारण इसको डिब्बाबंदी करके निर्यात भी किया जा रहा है। शहर
के आस-पास के क्षेत्रों में स्वीट कॉर्न की वर्ष भर खेती करके किसान भाई कम समय
में अधिक लाभ कमा सकते है। इसकी खेती किसानों के लिए आत्मनिर्भरता और रोजगार के लिए
उत्तम विकल्प हो सकती है. सामान्य मक्के की भांति स्वीट कॉर्न की खेती भी की जाती
है. इसकी किस्में, बीज दर एवं कटाई का समय सामान्य मक्का से भिन्न होता है। स्वीट कॉर्न की बुवाई जून-जुलाई (खरीफ),
अक्टूबर-नवम्बर (रबी) एवं जनवरी-फरवरी (जायद) में की जा सकती है। स्वीट कॉर्न की किस्मों
में माधुरी, प्रिया, ओरेंज स्वीट कॉर्न तथा शुगर-75 लोकप्रिय उन्नत किस्में है।
रबी एवं जायद में माधुरी स्वीट कॉर्न लगाना चाहिए जिसके भुट्टे 75-80 दिन में तैयार हो जाते है. स्वीट
कॉर्न की संकर किस्मों का बीज प्रत्येक वर्ष बदलकर बोना आवश्यक है. एक हेक्टेयर की
बुवाई हेतु 10-12 किग्रा. तथा अधिक मधुरता वाली किस्मों (सुपर स्वीट) 6-8 किग्राम बीज
पर्याप्त होता है। बुवाई कतारों में 60-75
सेमी. की दूरी पर करना चाहिए तथा पौधों के मध्य 20-25 सेमी. का अंतर रखना चाहिए। बीज की बुवाई 2-3 सेमी की गहराई पर करना चाहिए। बेहतर
उपज के लिए प्रति हेक्टेयर 45-60 हजार पौधे स्थापित करना आवश्यक होता है. स्वीट
कॉर्न की अच्छी औअप के लिए बुवाई के समय 50 किग्राम नत्रजन, 50 किग्रा फॉस्फोरस, 30
किग्रा पोटाश एवं 20 किग्रा जिंक सल्फेट बुवाई के समय कतारों में देना चाहिए। इसके
अलावा 30-30 कि.ग्राम. नत्रजन खड़ी फसल में बुवाई के 30 बाद एवं पुष्पन अवस्था पर सिंचाई
के उपरांत कतारों में देना चाहिए। स्वीट कॉर्न की फसल में घुटने की ऊँचाई की होने
पर, पुष्पन एवं दाना बनते समय सिंचाई करना
आवश्यक होता है. फसल को खरपतवार मुक्त रखने के लिए आवश्यकतानुसार निदाई-गुड़ाई करना
जरुरी होता है।
मधुर
मक्का के भुट्टो की तुड़ाई, सामान्यतौर पर बुवाई से 75-85 दिन वाद अर्थात दानों की दूधिया अवस्था पर की जाती है। यह अवस्था
भुट्टों में मंजरी (रेशों) निकलने (परागण) के 20-25 दिन बाद आती है। भुट्टे के
ऊपरी भाग यानि सिल्क के सूखने से की जा सकती है या इस अवस्था में भुट्टे को नाखुन
से दबाने से दूध जैसा तरल पदार्थ निकलने पर, भुट्टे कटाई योग्य हो जाते है। ध्यान
रहे कि भुट्टा तोड़ने के बाद उसके ऊपर की छिलका नहीं हटाना चाहिए अन्यथा भुट्टा
जल्दी सूख जायेगा जिससे उपज और आमदनी कम हो जाती है। स्वीट कॉर्न की उपज बुआई का
समय, किस्म,सस्य प्रबंधन एवं मुसम पर निर्भर करती है। सामान्य परिस्थियों एवं
बेहतर सस्य प्रबंधन के आधार पर प्रति हेक्टेयर 40-50 हजार भुट्टे प्राप्त हो सकते
है जिसे न्यूनतम 5 रुपये प्रति भुट्टे की
दर से विक्रय करने पर दो लाख रुपये प्राप्त होते है और खेती की लागत लगभग
45-50 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर आती है, लागत खर्च घटाने के बाद अग्भाग 1 लाख 55
हजार रुपये का शुद्ध मुनाफा किसान भाई अर्जित कर सकते है। जबकि सामान्य मक्का से
50-60 क्विंटल दाना उपज प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है जिसको 15 रुपये प्रति
किलोग्राम की दर से बेचने पर और लागत खर्च निकालने पर लगभग 30-40 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से किसान
भाइयों को लाभ होता है। इस प्रकार से सामान्य मक्का की खेती की तुलना में स्वीट कॉर्न
की खेती से किसान भाई 4-5 गुना अधिक आमदनी
प्राप्त कर सकते है। स्वीट कॉर्न की तुड़ाई के तुरंत बाद इसे बेचना जरुरी होता है
क्योंकि भुट्टों की गुणवत्ता का ह्रास
होने लगता है जिससे बाजार में इसका मूल्य कम मिलता है। अतः किसान भाइयों को स्वीट
कॉर्न की बाजार में मांग एवं उपज के परिवहन की व्यवस्था को ध्यान में रखकर स्वीट
कॉर्न की खेती करना चाहिए।
नोट: कृपया लेखक की अनुमति के बिना इस आलेख की कॉपी कर अन्य किसी पत्र-पत्रिकाओं या इंटरनेट पर प्रकाशित करने की चेष्टा न करें। यदि आपको यह लेख प्रकाशित करना ही है, तो ब्लॉगर/लेखक से अनुमति लेकर /सूचित करते हुए लेखक का नाम और संस्था का नाम अवश्य देंवे एवं प्रकाशित पत्र-पत्रिका की एक प्रति लेखक को जरूर भेजें।
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