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शुक्रवार, 2 दिसंबर 2022

काँटों में छुपा है सेहत का राज-नाशपाती कैक्टस-21वी सदी का पौष्टिक आहार

डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर

प्रोफ़ेसर (सस्य विज्ञान), कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,

कांपा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)

यह जानकार बहुत से लोगों को हैरानी हो सकती है कि कांटों से भरा कैक्टस भी खाया जा सकता है प्रकृति में विद्यमान ऐसे तमाम पेड़-पौधे है जिनके गुणों से अनभिज्ञ होने की वजह से हम उनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहे है नागफनी की एक प्रजाति  नाशपाती कैक्टस दुनियां की सबसे महत्वपूर्ण एवं आर्थिक रूप से उपयोगी प्रजाति है। 

अमेरिकी मूल के नाशपाती कैक्टस  को  नागफनी, कांटेदार नाशपाती, कैक्टस नाशपातीनोपल फ्रूट,  भारतीय अंजीर  आदि, अंग्रेजी में प्रिकली पियर केक्टस, इंडियन फिग ओपुन्टिया  तथा वनस्पति विज्ञान में ओपंटिया फिकस इंडिका  के नाम से जाना जाता है रेगिस्तान जैसी अत्यंत गर्म जलवायु में जब सब फसलें सूख जाती है, उस समय यदि कोई फसल बचती है, तो वह नागफनी ही है इसके पौधे 3-5 मीटर ऊंचे बहुशाखित नुकीले कांटेयुक्त होते है। इसके कांटो में एंटीसेप्टिक गुण पाए जाने के कारण पहले लोग बच्चो के कान छेदने के लिए इसके कांटे का इस्तेमाल किया करते थे।


कैक्टस की ज्यादातर प्रजातियों में पत्ते नहीं होते है नाग के फन  अथवा अंडाकार आकृति  की हरे रंग  की रचना होती है, जो  एक प्रकार का परिवर्तित तना (स्टेम) है, जिसे हत्था (पैड) कहते हैइनमें  छोटे-छोटे पैने कांटे पाए जाते है नाशपाती कैक्टस में पीले-लाल रंग के फूल आते है  इसके फल  लाल, बैंगनी, पीले, नारंगी एवं हरे रंग वाले  तथा  बारीक कांटे युक्त होते है, जो  आकार में नाशपाती समान होते है, इसलिए इस पौधे को  प्रिकली पियर कहा जाता है   जलवायु एवं प्रजाति के अनुसार कैक्टस नाशपाती में पुष्पन एवं फलन बसंत एवं ग्रीष्मकाल  में होता है

नाशपाती कैक्टस के नए  पैड  को नोपल एवं फलों को टुना कहा जाता है.इसके  पैड (परिवर्तित तने)को सब्जी, सलाद एवं अचार के रूप में खाया जाता हैइसके तने अर्थात पैड एवं फलों का खाने के लिए उपयोग करने से पहले इनमें उपस्थित छोटे-छोटे काँटों (हाथों में दस्ताने पहनकर) को सावधानी पूर्वक निकालकर अथवा चाकू से छीलकर अलग कर देना चाहिए

कैक्टस नाशपाती के फल में 43-57 % गुदा (पल्प) होता है जिसमें 84-90 % जल, 0.2-1.6 % प्रोटीन, 0.09-0.7 % वसा,0.02-3.1 % फाइबर, 10-17% शक्कर एवं 1-41 मिग्रा विटामिन सी के अलावा  खनिज

लवण (कैल्शियम, मैग्नेशियम, आयरन, सोडियम, पोटैशियम एवं फॉस्फोरस) तथा  विभिन्न प्रकार के अमीनो अम्ल प्रचुर मात्रा में पाए जाते है इसके अलावा इसके फल में बीटालेन रंजक पाया जाता है, जो खाध्य पदार्थ को प्राकृतिक रंग प्रदान करने में इस्तेमाल किया जाता है इसके हत्थे (पैड) में पेक्टिन, म्युसिलेज, खनिज एवं विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाए जाते है

इसके फल अथवा जूस के सेवन से थैलेसीमिया, मधुमेह  जैसे रोगों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।  इसके सेवन पाचन तंत्र मजबूत होता है। इसके फल  मोटापा और कोलेस्ट्रॉल कम करने में सहायक माने जाते है।  इसके अलावा इसे एनीमिया और रक्त संबंधी बीमारियों के उपचार में भी काफी कारगर माना जाता है। कैक्टस नाशपाती की आजकल काँटा रहित किस्में भी विकसित हो गयी है जिन्हें  फल, सब्जी एवं पशुओं के चारे के लिए व्यवसायिक रूप से आसानी से उगाया जा सकता है।

    जंगली रूप से उगने  वाले नागफनी अर्थात कैक्टस  300 प्रजातियां  पहचानी गई है, जिनमें से 10-12 प्रजातियों का इस्तेमाल फल, सब्जी, औषधि एवं चारे के रूप में किया जा रहा है नागफनी को शोभाकारी झाडी अथवा बाग़ बगीचों में घेरेबंदी के लिए लगाया जाता है। लेकिन तमाम विकसित एवं विकासशील देशों में कैक्टस पियर का उपयोग पौष्टिक वनस्पति एवं फल के रूप में किया जा रहा है इसके अलावा इससे जूस, पाउडर, वाइन, एथेनोल आदि उत्पाद तैयार किये जा रहे है, जिनकी अन्तराष्ट्रीय बाजार में काफी मांग है  कैक्टस नाशपाती की खेती विकसित एवं विकासशील देशों में सफलता पूर्वक कि जा रही है। भारत के गर्म क्षेत्रों में कैक्टस नाशपाती की देशी किस्में नैसर्गिक रूप से उगती है परन्तु इसकी व्यवसायिक खेती अभी-अभी शुरू हुई है। नाशपाती कैक्टस को विषम परिस्थियों जैसे अत्यंत गर्म, ठंड, वर्षा, सूखा के साथ-साथ गैर उपजाऊ कंकरीली-पथरीली जमीनों में सुगमता से उगाया जा सकता है। इस पौधे को इसके वानस्पतिक भागों से उगाया जा सकता है। व्यवसायिक रूप से  कैक्टस नाशपाती की  आधुनिक किस्मों की खेती से 10-12 मेट्रिक टन फल एवं 50-100 मेट्रिक टन चारा प्रति हेक्टेयरप्रति वर्ष उत्पादित किया जा सकता है। जलवायु परिवर्तन के दौर में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए कृषि प्रणाली में विविधता लाना आवश्यक है. इसके लिए प्रकृति में विद्यमान उपयोगी पेड़ पौधों को पहचान कर उनकी खेती एवं कटाई उपरान्त तकनीक अर्थात प्रसंस्करण पर ध्यान देने से हम कृषि प्रणाली एवं पौष्टिक आहार श्रंखला को मजबूती प्रदान कर सकते है। कैक्टस नाशपाती भविष्य के लिए एक उपयोगी खाद्य सामग्री साबित हो सकती है।
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