डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर
प्रोफ़ेसर (एग्रोनॉमी)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़ )
प्रोफ़ेसर (एग्रोनॉमी)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़ )
स्वास्थ्य मनुष्य की अनुपम और अमूल्य निधि है, जिसकी रक्षा करना उसका परम कर्तव्य है। स्वास्थ्य रक्षा में मानव का आहार और स्वास्थ्य वर्धक पर्यावरण होना नितांत आवश्यक है। ये दोनों ही बातें उद्यानिकी प्रबंधन के माध्यम से प्राप्त हो सकती है। खेती किसानी के साथ-साथ किसान भाई यदि अपना समय, श्रम और थोड़ी से पूँजी उद्यानिकी में निवेश करें तो निश्चित ही उनकी आमदनी में दो गुना से अधिक की बढ़ोत्तरी हो सकती है। उद्यानिकी में सब्जियों की खेती से लेकर फल और फूलों की खेती के अलावा फल एवं सब्जी परिरक्षण कला भी समाहित है।उद्यानिकी में सामान्य खेती किसानी से कुछ हटकर अलग शस्य कार्य करना होते है जो कभी कभार हम भूल जाते है। इन कार्यो को यथा समय न कर पाने के कारण उद्यानिकी से यथोचित लाभ नहीं मिल पाता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए उद्यानिकी-बागवानी के प्रतिमाह के कार्यों की संक्षिप्त रूप रेखा अपने कृषिका ब्लॉग पर प्रस्तुत कर रहे है। आशा के साथ हमें पूर्ण विश्वाश है कि किसान भाई परम्परागत फसलोत्पादन के अलावा थोड़े-बहुत क्षेत्र में उद्यानिकी को अपनाते हुए उसमे वैज्ञानिक तरीके से समसामयिक कार्य संपन्न करते रहेंगे जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी के साथ-साथ उनके परिवार के लिए वर्ष भर तरो ताजा हरी-भरी सब्जियां और फल तथा भगवान् की पूजा अर्चना के लिए सुन्दर पुष्प भी प्राप्त हो सकेंगे । इस प्रकार आप सब का तन स्वास्थ्य, मन प्रशन्न और धन-धान्य की अनवरत वर्षा होती रहेगी। उद्यानिकी अपनाने से हमारे आस-पास का पर्यावरण परिष्कृत होगा। आईये हम नव वर्ष के चैत्र-वैसाख में संपन्न किये जाने वाले प्रमुख कार्यो की विवेचना करते है.
सब्जियों में इस मांह के प्रमुख कार्य
टमाटरः फसल में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई व सिंचाई करें। फल छेदक नामक कीट के बचाव के लिये क्विनालफाॅस 25 ईसी का 800 मिली. प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करें । दवा छिड़काव से पूर्व तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें।
बैंगनः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई करें। 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालें। यूरिया डालते समय यह ध्यान रखना चाहिये कि यूरिया पत्तियों पर न पड़ने पाये तथा जमीन में इस समय पर्याप्त नमी होनी चाहिये।
प्याजः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। इस समय कुछ कीट तथा बीमारियों का भी आक्रमण हो सकता है। अतः 0.2 प्रतिशत मेंकोजेब तथा 0.15 प्रतिशत मेटासिस्टाक्स का घोल बनाकर एक छिड़काव अवश्य करें।
लहसुनः यदि अभी तक कंदों की खुदाई नहीं की गई है तो खुदाई करें। तीन दिन तक खेत में ही रहने दें। बाद में छाया में सुखाने की व्यवस्था करें तथा भंडारण करें।
भिन्डी, लोबिया, राजमाः तैयार फलियों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें। बाजार भेजने से पूर्व छटाई अवश्य करें।
मिर्च, शिमला मिर्चः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डालंे। यूरिया पत्तियों पर नहीं पड़ना चाहिये और जमीन में उस समय पर्याप्त नमी होनी चाहिये।
खीरावर्गीय फसलेंः तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। चूर्णी फफूंदी नामक बीमारी से बचाव के लिये 0.06 प्रतिशत डिन¨क¢प (कैराथेन) नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
अदरक: पूर्व में रोपी गई फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । इस माह भी अदरक की सुप्रभा, सूरूचि और सुरभी किस्मों की बुवाई 12-15 क्विंटल प्रकंद प्रति हैक्टेयर की दर से की जा सकती है। बुवाई कतारों में 60 सेमी. की दूरी पर करें तथा पौध से पौध के बीच 20 सेमी. का अन्तर रखें। प्रति हैक्टेयर 150 किग्रा. नत्रजन, 100 किग्रा. स्फुर एवं 120 किग्रा. पोटाश उर्वरक कतारों में प्रयोग करें । बुआई पश्चात हलकी सिंचाई करें।
फलोत्पादन में इस माह के प्रमुख कार्य
- आमः आम के फलों को गिरने से बचाने के लिए यूरिया 2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। आम के फल,फूल व नई कोपलें चूसने वाले कीट मिली बग/भुनगा कीट के नियंत्रण हेतु 500 मिली. मिथाइल पैराथियान 50 ईसी को 500 लीटर पानी में घोलकर वृक्षों पर छिड़काव करें। आम के फलों की ब्लेक टिप रोग से रक्षा हेतु बोरेक्स 0.6 प्रतिशत का छिड़काव करना चाहिए। एन्थ्रेक्नोज रोग के नियंत्रण हेतु कार्बेन्डाजिम 0.1 % (1 ग्राम प्रति लीटर पानी में) का 25 दिनों के अंतराल से दो बार छिड़काव करें। फल बनने की अवस्था में आम के बाग में सिंचाई करें।
- अमरूदः वर्षात की फसल नहीं लेना हो तो वृक्षों में सिंचाई नहीं करें तथा पुष्पों को तोड़ दें। पेड़ों की कटाई-छंटाई का कार्य करें।
- नींबूः नींबू के एक वर्ष के पौधों में 2 किग्रा. कम्पोस्ट या केंचुआ खाद के साथ 50 ग्राम यूरिया प्रति पौधा के हिसाब से देकर सिंचाई करें। अन्य पौधों की आयु के हिसाब से खाद की मात्रा का गुणा कर दिया जा सकता है।नींबू में सफ़ेद मक्खी और लीफ माइनर कीट का प्रकोप होने पर 300 मिली. मैलाथियान 50 ईसी दवा क¨ 500 लीटर पानी में मिलकर पौधों पर छिड़काव करे। फल गलन रोग से सुरक्षा हेतु बोर्डो मिक्सचर (4:4:50) का छिड़काव करें। जिंक की कमीं होने पर 3 किग्रा. जिंक सल्फेट के साथ 1.5 किग्रा. बुझा चूना मिलाकर 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते है।
- अंगूर: थ्रिप्स कीट की रोकथाम के लिए मैलाथियान (0.2 प्रतिशत) और चूर्णिल आसिता रोग हेतु कैराथेन (0.06 प्रतिशत) का छिड़काव करें। बाग में 15 दिन के अंतर पर दो सिंचाई करें।
- पपीताः पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें। पौधशाला में पपीते के उन्नत किस्मों के बीजों की बोआई करें।
- बेरः चोटी कलम के लिए पेड़ों को 1 मीटर ऊंचाई से काट दें। फलदार वृक्षों की फसल तोड़ने के बाद कटाई-छंटाई करें।
- लीची: बाग की 15 दिन के अंतर से सिंचाई करें। छोटी पत्ती रोग की रोकथाम हेतु जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) का छिड़काव करें। इसी माह फल बनने के बाद प्लेनोफिक्स (एन.ए.ए.) 50 पी.पी.एम. (5 ग्राम) व् बोरेक्स 0.4 % (400 ग्राम) प्रति 100 लीटर पानी में घोलकर 15 दिन के अंतराल पर दो छिड़काव करने से लीची में फलों का झड़ना व फटना रुक जाता है। इससे उत्तम गुणवत्ता के फल प्राप्त होते है।
- आंवला: बाग में 15 दिन के अंतर पर दो सिंचाई करें। पके फलों की तुड़ाई करें। पौधशाला में बीजों की बुआई करें।
- कटहलः कटहल के वृक्षों पर बोरेक्स (0.8 प्रतिशत) का छिड़काव करें। कटहल के बाग में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहें ।
- फालसाः बाग की सफाई करके एक सिंचाई करें। पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें।
- फल सब्जी परिरक्षणः बाजार में उपलब्ध मोसम्मी, आम, अंगूर,संतरा, बेल तथा नींबू के रस से विभिन्न पेय पदार्थ बनाये जा सकते है। टमाटर से चटनी, अचार, सॉस, स्ट्राबेरी से जैम तथा कार्डियल बनाया जा सकता है। शहतूत का स्क्वैश बनाया जा सकता है तथा पपीते के उत्पाद बना सकते है।
पुष्पोत्पादन में इस माह
- गुलाब में आवश्यकतानुसार क्यारियों की गुड़ाई, सिंचाई तथा बेकार फुनगियों की तुड़ाई। दशिमिक रोज में फूलों की तुड़ाई एवं प्रोसेसिंग हेतु शीघ्र निपटान की व्यवस्था करें ।
- ग्लैडियोलस के स्पाइक काटने के 40 दिन बाद घनकन्दों की खुदाई छाये में सुखाना, सफाई, ग्रेडिंग के बाद 5 प्रतिशत एलसान धूल तथा 0.2 प्रतिशत मैकोजेब पाउडर से शुष्क उपचारित कर उसी दिन शीतगृह में भण्डारित करें । इसमें देर न करें अन्यथा कन्द सड़ जायेंगे।
- रजनीगन्धा में एक सप्ताह के अन्दर पर सिंचाई तथा निराई-गुड़ाई संपन्न करें।
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