डॉ. गजेंद्र सिंह तोमर
प्राध्यापक (शस्य विज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)
फल और तरकारी खाना स्वस्थ्यवर्द्धक माना जाता है, लेकिन वर्तमान खेती पूरी तरह से पौध संरक्षक दवाओं पर निर्भर हो चुकी है । विश्व खाद्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार भारत जैसे विकासशील देशों में बाजार से लिए गये नमूनों में से 40-50 प्रतिशत नमूनों में कीटनाशकों के अवशेष पाए गए, जबकि विकसित देशों में यह प्रतिशत 15-20 ही है । सबसे ज्यादा जहर पालक, मैथी जैसी हरी पत्तियों वाली सब्जियों में और उससे कम टमाटर, आलू आदि में पाये गये । हम जानते है कि गोभी, पत्ता गोभी, टमाटर, पालक, मटर, गाजर, मूली आदि सब्जियां मुख्यतः शीत ऋतु की फसलें है और इनका सेवन भी इसी ऋतु में फायदेमंद रहता है । भिंडी, ककड़ी, खीरा,कददू, टिंडा, तरबूज, खरबूजा आदि कद्दू वर्गीय फसलें ग्रीष्म ऋतु में उगाई जाती है और इनका उपयोग भी इसी ऋतु में सवास्थ्य के लिए लाभकारी माना गया है। वर्षा ऋतु में बेमौसमी सब्जियां जैसे फूल गोभी, हरी मटर, गाजर, मूली, पालक, मेंथी, धनियां आदि का सेवन हानिकारक हो सकता है। परन्तु शहरी उपभोक्ता (अधिकांशतः धनाड्य वर्ग) ऐसी बेमौसमी सब्जियों की अक्सर मांग करते है, जो बाजार में प्रायः कम दिखती है और वे महंगी भी होती है । उसकों पाने के लिए वे ज्यादा पैसे भी देते है । कहते है आवश्यकता अविष्कार की जननी है। बे-मौसमी सब्जियों की बढ़ती मांग और इनके विक्रय में अधिक मुनाफे के फेर में अब इन फसलों को पोली-हाउस और ग्रीन हाउस में उगाया जाने लगा है। इनकी उत्पादन लागत (उगाने और पौध सरंक्षण दवाओं के इस्तेमाल से) अधिक आती है परंतु बाजार में ऊंचे दाम मिलने के कारण बहुतेरे किसान इस तकनीक से इनकी खेती करने लगे है।
कीट-रोग से अधिक प्रभावित होने वाली इन सब्जियों पर अंधाधुंध कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है । यही नहीं इनकी शीघ्र बढ़वार और जल्दी तैयार करने के लिए भी विविध प्रकार के वृद्धि नियामकों और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो की स्वास्थ्य के लिए बेहद हांनिकारक माने जाते है। कुछ ऐसे कीटनाशक भी है जैसे मिथाइल पैराथियान और मोनोक्रोटोफॉस जिनके छिड़काव से सब्जियां चमकीली और आकर्षक लगती है । भिण्डी, करेला, टिंडा, तोरई आदि को कॉपर सल्फेट के घोल में डुबाया जाता है, ताकि वह हरी दिखें । तालाबों और जलाशयों से मछली पकड़ना एक श्रमसाध्य कार्य होने के कारण अब जहरीले रासायनिकों के छिड़काव से तालाबों और नदियों से मछली मारकर पकड़ना आम बात हो गई है । इन मछलियों का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक है।
हमारे यहां बैंगन, मूली, मेथी तथा कन्दवर्गीय फसले जैसे प्याज, आलू को बारिश में न खाने की पुरानी मान्यता है । खासकर वैष्णवी व जैन समाज में चातुर्मास के समय इनका उपभोग । इन सब्जियों में पौध रक्षक रसायनों के अवशेष रहने के कारण इंसान को बदहजमी करती है । अंगूर एक नगदी फसल है । इसकी फसल पर बहूत ज्यादा पौध रक्षक तथा पौध सम्वर्द्धकों का छिड़काव किया जाता है । अंगूर को बीज रहित बनाने तथा आवागमन में अधिक दिनों तक ताजा बनाये रखने के लिए पौध रक्षक रसायनों का छिड़काव किया जाता है । सेब में एमीनों एसिड का छिड़काव किया जाता है जो कैंसर जैसे खतरनाक रोग को आमंत्रित करता है ।इसके अलावा आम,पपीता आदि फलों को पीला करने और उन्हें असमय पकाने के लिए खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल किया जाए रहा है।
उपरोक्त विषम परिस्थितियों में हमें अपने खान-पान पर अधिक जागरूक रहने की जरूरत है, अन्यथा चमकदार और आकर्षक फल, सब्जियां और मांस-मछली हमारे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डाल सकती है । अतः आइये हम इन खतरनाक हालातों से बचने के उपायों पर विमर्श करें ।
- मौसमी सब्जियां ही खाएं : गोभी जैसी रसदार सब्जियों को गर्मी में कदापि नहीं खाना चाहिए, क्योंकि मौसमी सब्जियों में प्राकृतिक बढ़वार होती है और वे अधिक पौष्टिक भी होती है तथा बाजार में सस्ती दर पर उपलब्ध होती है ।
- सब्जियां ताजी और स्वस्थ हो : शीतगृह में भण्डारित सब्जियों से परहेज करना चाहिए, क्योंकि न तो वे ताजी होती है और न ही वे पौष्टिक रहती है ।
- स्थानीय छोटे किसानों द्वारा उगाई गई सब्जियां तरोताजा, पौष्टिक और किफायती होती है अतः इनका ही सेवन करें ।
- सब्जियां पानी में धोकर ही खाइए : पकाने के लिए काटने के पूर्व सब्जियों को 1-2 बार स्वच्छ पानी में घो लेना चाहिए, ताकि विषैले अवांछित तत्व अलग हो जाएं । पानी में विनेगार डालकर धोना फायदेमंद रहता है। खाने का सोडा डालने से अंगूर भी साफ हो जाते है ।
- जैविक पद्धति उगाई सब्जियां इस्तेमाल करें: कृषि रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से सब्जियों में उपस्थित जहरीले अवशेष मानव शरीर में पहुंच कर नुकसान पहुंचा रहे है । यहीं कारण है कि अब जैविक तरीके से उगाई गई सब्जियों की मांग अधिक हो रही है । इस विधि से उगाई गई सब्जियां एक ओर पौष्टिक तो होती ही है साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक पाई गई है । शहरी उपभोक्तओं को चाहिए कि वे अपना स्वयं सेवी संगठन बनाएं । जैविक कृषि उत्पाद क्लब की स्थापना करें और सीधे किसानों से सम्पर्क कर उनसे सब्जियां-फल खरीद कर सदस्य उपभेक्ताओं तक पहुंचाए । यदि किसानों को अग्रिम आदेश तथा सही मूल्य का भरोसा होगा तो वे जैविक पद्धति से खेती करने अवश्य उत्साहित होंगे।
- अपनी गृह वाटिका में सब्जियां उगाइये : आपके घर में उपलब्ध जमीन में बागवानी करके ताजी-पौष्टिक सब्जियां प्राप्त की जा सकती है । यह कार्य गमलों अथवा मकान की छत पर भी आसानी से किया जा सकता है । घर की बगिया से प्राप्त सब्जियों व फलों का आनंद ही निराला रहता है साथ ही इसमें कार्य करने से व्यायाम भी होगा जो कि शहरी जीवन के लिए आवश्यक है । फल एवं सब्जियों का सेवन स्वास्थ्य व स्वाद की दृष्टि से आवश्यक है बशर्ते इनका सेवन सोच समझ कर किया जाए ।
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