डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर
प्राध्यापक (शस्य विज्ञानं)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छत्तीसगढ़)
खेतों में हरी-भरी ताजा तरीन सब्जियों की कटती फसलें हम सब को सुहावना और सुखद अनुभव कराती है। बाजार में इन तरकारियों और फलों के सुन्दर अम्बार को देख हमारा मन सहसा इन्हें पाने के लिए लालायित होने लगता है। शाकाहार प्रधान भारत के लोगों के भोजन में सब्जियों का उचित मात्रा में समावेश आवश्यक होता है क्योंकि इनसे ही उन्हें आवश्यक प्रोटीन, विटामिन्स, खनिज लवण और ऊर्जा प्राप्त होती है। एक तरफ तो अधिक उत्पादन प्राप्त करने की होड़ में किसान कीट-रोग नियंत्रित करने तथा सब्जी फलों की त्वरित वृद्धि हेतु अत्यंत जहरीले रसायनों का इस्तेमाल धड़ल्ले से कर रहे है। किसान के खेत से चलकर तथाकथित विचौलियों के माध्यम से बाजार पहुंची सब्जियों को खतरनाक रसायनों वाले जल से स्नान करवाया जाता है जिससे उनका रूप और रंग ज्यादा आकर्षक हो जाये। जो दिखता है वही बिकता है वाली उक्ति को चरितार्थ करते हुए हम लोग भी रंग-रूप में आकर्षित और लुभावनी सब्जियों को खरीदने में अपनी शान समझते है। उपभोक्ता और आम आदमी जाए भाड़ में, व्यापारियों को तो इनकी बिक्री से प्राप्त बेहतरीन मुनाफे से ही सरोकार है। इस छदम व्यवसाय में संलग्न व्यापारी और कुछ किसानों द्वारा जाने-अनजाने में जान सामान्य के स्वास्थ्य के साथ जो खिलवाड़ किया जा रहा है उसके परिणामस्वरूप आज हमारे देश के नागरिकों में कैंसर, हार्ट अटेक, किडनी ख़राब होने जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही है। कीटनाशकों के जहर का कहर और बदहाल पर्यावरण की वजह से पंजाब में कैंसर के मरीजों को बड़े-बड़े अस्पतालों में इलाज के वास्ते उनके आवागमन हेतु एक विशेष ट्रेन का परिचालन किया जा रहा है।
आमतौर पर सब्जी उत्पादक किसान कीटनाशक का छिडकाव के बाद निर्धारित अवधि (सारिणी-1 अनुसार) की प्रतीक्षा किये बगैर ही सब्जियां काट कर बाजार में बिक्री हेतु भेज देते है। जबकि आवश्यक है कि कीटनाशक के प्रयोग के उपरान्त निर्धारित अवधि के बाद ही स्वयं के उपभोग अथवा बाजार में बेचने हेतु सब्जिओं की तुडाई करें। निर्धारित अवधि के पहले तोड़ी गई सब्जिओं के उपभोग से उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। देश विदेश वे हुए शोध परिणामों से ज्ञात होता है की किसान की अनभिज्ञता से अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशको के अंश सब्जिओं में देखे गए है। मौसम के अंत में बंद गोभी, टमाटर और फूल गोभी में सर्वाधिक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है. शुरूआती मौसम में पालक, मैथी आदि पत्तेदार सब्जिओं में कीट नाशक का प्रयोग अधिक होता है।
आमतौर पर सब्जी उत्पादक किसान कीटनाशक का छिडकाव के बाद निर्धारित अवधि (सारिणी-1 अनुसार) की प्रतीक्षा किये बगैर ही सब्जियां काट कर बाजार में बिक्री हेतु भेज देते है। जबकि आवश्यक है कि कीटनाशक के प्रयोग के उपरान्त निर्धारित अवधि के बाद ही स्वयं के उपभोग अथवा बाजार में बेचने हेतु सब्जिओं की तुडाई करें। निर्धारित अवधि के पहले तोड़ी गई सब्जिओं के उपभोग से उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। देश विदेश वे हुए शोध परिणामों से ज्ञात होता है की किसान की अनभिज्ञता से अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल होने वाले कीटनाशको के अंश सब्जिओं में देखे गए है। मौसम के अंत में बंद गोभी, टमाटर और फूल गोभी में सर्वाधिक कीटनाशक का इस्तेमाल किया जाता है. शुरूआती मौसम में पालक, मैथी आदि पत्तेदार सब्जिओं में कीट नाशक का प्रयोग अधिक होता है।
सब्जिओ में कीट नाशकों का उपयोग एवं प्रतीक्षा अवधि
कीटनाशी का नाम
|
सब्जी
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प्रतीक्षा अवधि
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कीटनाशी का नाम
|
सब्जी
|
प्रतीक्षा अवधि
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मेलथिआन 50 ईसी
|
भिन्डी, तोरई
|
3
|
डाईक्लोरवास 76% ईसी
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तोरई
भिन्डी
|
7
3
|
प्याज
|
6
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साइपरमेथ्रिन 10 % एवं 25 % ईसी
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भिन्डी
पत्ता गोभी
|
4
6
|
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टमाटर
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3-5
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फेनवलरेट 20% ईसी
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भिन्डी, पत्ता गोभी
|
9
|
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हरी मिर्च
|
2
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डेल्टामेथ्रिन 2.8 %
|
भिन्डी
पत्ता गोभी
|
1
2
|
|
कार्बारिल 5 % चूर्ण या 50 % डब्लू.पी.
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बैगन, तोरई,टमाटर,पत्तागोभी,फूलगोभी
|
7
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अल्फ़ामेथ्रिन 10 % ईसी
|
भिन्डी, गोभी
|
2
|
गामा लिंडेन 20%ई. सी.
|
भिन्डी
प्याज
|
6
9
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लेम्डा साइहेलोथ्रिन5 % ईसी
|
भिन्डी,गोभी
|
3
|
मिथाइल पेरथिओन 2% चूर्ण, या 50 % ई.सी.
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पत्ता गोभी
|
10
|
क्युनालफ़ॉस 25% ईसी
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पत्ता गोभी
|
15
|
डाईमेथोएट 30 % ईसी
|
तोरई
पत्ता गोभी
|
10
15
|
फेनीट्रोथियान 5 % चूर्ण व 50% ईसी
|
भिन्डी,पत्ता गोभी
फूल गोभी, तोरई
|
15
10
|
फेंथाएट 50% ईसी
|
पत्ता गोभी
भिन्डी
|
15
21
|
फोजेलान 50 % ईसी
|
पत्ता गोभी
|
10
|
जाने अनजाने में हम सब विषाक्त सब्जियां खाने में इस्तेमाल कर रहे है। सब्जियां पकाने से पहले उनका थोड़ा सा उपचार (देखिये सारिणी-2) कर लेने से कीटनाशकों का प्रभाव कम किया जा सकता है। इसके अलावा हमें सिर्फ मौसम में उगाई जाने वाली सब्जिया ही इस्तेमाल करना चाहिए। बेमौसम उगाई गई सब्जिओ में कीट रोग का प्रकोप अधिक होता है जिनकी रोकथाम के लिए कृषक अंधाधुंध मात्रा में जहरीले रसायनों का प्रयोग करते है। इनकी पैदावार कम होती है, जिससे इन्हें ऊंचे दामों में बेचा जाता है। अतः जब हरी सब्जिया बाजार में कम मात्रा में उपलब्ध हो तो उन्हें कतई उपयोग में ना लावें। यहाँ पर किसान भाइयो से आग्रह है की पौध सरंक्षण के लिए आवश्यक रासायनिकों के प्रयोग के पश्चात इनकी प्रतीक्षा अवधि समाप्त हो जाने के बाद ही सब्जियों की कटाई करे और बाजार में विक्रय हेतु भेजे जिससे उपभोक्ताओं को स्वास्थ्य विष मुक्त सब्जियां और फल प्राप्त हो सकें। यहाँ पर फल और सब्जी विक्रेताओं से भी निवेदन है की वे थोड़े से मुनाफे के लिए सब्जियों के रख-रखाव, उन्हें पकाने और सरंक्षित करने के लिए अनावश्यक जहरीले रसायनों का प्रयोग ना करे। इस तरह के कृत्य कानूनन अपराध की श्रेणी में आते है। स्वास्थ्य समाज से ही स्वास्थ्य राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करने में किसानों और विक्रेताओ से सकारात्मक व्यवसाय करने की उम्मीद की जा सकती है।
सारिणी-2 साधारण प्रक्रिया द्वारा सब्जिओं में से कीटनाशी हटाने की विधियां
सब्जियां
|
कीटनाशी
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2 % नमक के घोल से धोने
और 15 मिनट पकाने पर (%निष्कासन )
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धोने भाप में (प्रेशर
कुकर में ) 15 मिनट तक पकाने पर (% निष्कासन )
|
सेम
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मेलाथिआन
|
60
|
69
|
मोनोक्रोटोफास
|
42
|
47
|
|
कार्बेरिल
|
58
|
69
|
|
मिर्च
|
मोनोक्रोटोफास
|
28
|
30
|
क्युनेल्फास
|
22
|
29
|
|
टमाटर
|
कार्बेरिल
|
67
|
75
|
मोनोक्रोटोफास
|
31
|
32
|
|
क्युनेल्फास
|
29
|
30
|
स्त्रोत : बुलेटिन ऑन पेस्टिसाइड कांटामिनेशन,
एपीएयू, 1987
कृषि और उद्यानिकी फसलों की कीट, रोग और खरपतवारों से सुरक्षा करने के लिए रसायनों का प्रयोग करना अपरिहार्य होता है। परंतु पौध सरंक्षण के अन्तर्गत कीट, रोग और खरपतवार नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सुझाये गई दवाओं का प्रयोग निर्धारित मात्रा में सही समय पर ही करना चाहिए। इसके अलावा दवा के पॉकेट पर अंकित निर्देशों का भी भली भांति पालन करना न भूले। अनावश्यक रूप से दुकानदार अथवा पडौसी के कहने पर दवाओं का इस्तेमाल कदाचित न करें। सब्जी और फल उपभोक्ताओं को इनके इस्तेमाल से पूर्व उपरोक्तानुसार उपचार करना चाहिए।
नोट: कृपया इस लेख को लेखक की अनुमति के बिना अन्य किसी पत्र-पत्रिकाओं या इंटरनेट पर प्रकाशित करने की चेष्टा न करें। यदि आपको यह लेख प्रकाशित करना ही है तो ब्लॉगर को सूचित करते हुए लेखक का नाम और संस्था का नाम अवश्य दें एवं प्रकाशित पत्र-पत्रिका की एक प्रति लेखक को जरूर भेजें।
कृषि और उद्यानिकी फसलों की कीट, रोग और खरपतवारों से सुरक्षा करने के लिए रसायनों का प्रयोग करना अपरिहार्य होता है। परंतु पौध सरंक्षण के अन्तर्गत कीट, रोग और खरपतवार नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों द्वारा सुझाये गई दवाओं का प्रयोग निर्धारित मात्रा में सही समय पर ही करना चाहिए। इसके अलावा दवा के पॉकेट पर अंकित निर्देशों का भी भली भांति पालन करना न भूले। अनावश्यक रूप से दुकानदार अथवा पडौसी के कहने पर दवाओं का इस्तेमाल कदाचित न करें। सब्जी और फल उपभोक्ताओं को इनके इस्तेमाल से पूर्व उपरोक्तानुसार उपचार करना चाहिए।
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