डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर
प्रोफ़ेसर (सस्यविज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय,कृषि महाविद्यालय एवं
अनुसंधान केंद्र,
कोडार रिसोर्ट, कांपा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
जनसँख्या दबाव, शहरीकरण एवं औद्योगिकीकरण की वजह से दिन प्रति दिन कृषि योग्य भूमि कम होती जा रही है, जिससे एक ओर खाद्यान्न उत्पादन में कठिनाई आ रही है, वहीं दूसरी ओर पशुधन के लिए आवश्यक पौष्टिक हरा चारा भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। यदि चारा उगाने के लिए अधिक भूमि का प्रयोग किया जाता है, तो इससे खाद्यान्न उत्पादन में नकारात्मक असर पड़ सकता है। इस समस्या से पूर्ण निजात पाने के लिए यह जरुरी हो जाता है, कि खाद्यान्न उत्पादन को प्रभावित किये बिना पशुधन के लिए आवश्यक हरा चारा उत्पादित किया जाये.इसके लिए खेतों के चारों तरफ खाली पड़ी मेंड़ों पर हरा चारा का वर्ष पर्यन्त उत्पादन लिया जा सकता है। एक अनुमान के अनुसार भारत में मेंड़ों का कुल क्षेत्रफल 383.8 हजार हेक्टेयर है जिससे हम प्रति वर्ष लगभग 43,542 टन हरा चारा प्राप्त कर सकते है। छत्तीसगढ़ में खेतों की मेड़ों के अंतर्गत लगभग 10 प्रतिशत भूमि आती है जिसका कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है।
खेत की मेंड़ पर नेपियर घास फोटो साभार गूगल |
मेंड़ों
पर हरा चारा रोपण तकनीक
मेंड़ों
पर चारा रोपण के लिए बहुवर्षीय चारा फसलों के जीवित कल्लों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर इन कल्लों की रोपाई
50-100 सेमी. की दूरी पर वर्षा के मौसम में की जाती है। इसकी रोपी जडित कल्ले या तनों की कटिंग से की जाती है। तने की कटिंग में कम से कम 3-4 आँखें (बड) होना
चाहिए. रोपाई का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च तथा जुलाई-अगस्त होता है। रोपाई के लिए कटिंग को जमीन
में कुदाली की सहायता से 450 कों पर 4 से 5 सेमि. गहरा रोपकर आस-पास की
मिट्टी अच्छे से दबा देते है।
तने की कटिंग लगाते समय कम से कम दो कलियाँ (बड) भूमि के अन्दर दबानी चाहिए। कल्लों या कटिंग की रोपाई के
पश्चात वर्षा न होने की स्थिति में हल्का पानी देना चाहिए जिससे वह मिट्टी में
अच्छी प्रकार से पकड़ बना लें. रोपाई के कुछ दिनों बाद जीवित कल्लों से छोटी-छोटी
पत्तियां निकलने लगती है. रोपाई के 30-35 दिनों के बाद जड़ों से कल्ले फूटने लगते
है। प्रयोगों में देखा गया
है की 4 माह में प्रत्येक कल्ले से 12-18 कल्ले विकसित हो जाते है। रोपाई के 60-68 दिनों बाद
प्रथम कटाई में प्रत्येक घेर से 2-3 किग्रा (2-4 क्विंटल प्रति 100 मीटर मेंड़) हरा
चारा प्राप्त किया जा सकता है.संकर नेपियर की उपयुक्त किस्मों में
आई.जी.एफ.आर.आई.हाइब्रिड नेपियर न.6,7 एवं 10 उपयुक्त पाई गई है जिनसे 70-100 क्विंटल
हरा चारा प्राप्त होता है।
अन्य किस्मों में एन.बी.-21 से 100-160 क्विंटल, यसवंत से 190-250 क्विंटल तथा
सी.ओ.-3 से 400-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हरा चारा प्राप्त किया जा
सकता है।
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