डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर,
प्राध्यापक (सस्य विज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय,
राज मोहनी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र,
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)
उद्यानिकी-बागवानी
में प्रत्येक माह के नियत कृषि कार्यो को कभी-कभी हम भूल जाते है और उन कार्यो को
सही समय पर संपन्न न करने की वजह से हम अपनी बगिया सुन्दर और आर्थिक रूप से
लाभकारी बनाने में पिछड़ जाते है। इसी परिप्रेक्ष्य में हम इस ब्लॉग पर
उद्यानिकी-बागवानी में प्रति माह के समसामयिक कार्यो का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत
कर रहे है। मुझे आशा है की किसान भाई और बागवानी प्रेमियों को इससे समय पर कार्य
आरम्भ करने में सुगमता होगी और बगिया के समस्त कार्य सही समय पर सुचारू रूप से
संपन्न कर हरियाली और आर्थिक खुशहाली कायम रखने में सफल होंगे।
जनवरी यानि पौष-माघ का माह शीत ऋतु के शिखर पर होता है। इस समय दिन छोटे और
रातें लम्बी हो जाती है। इस माह हम मकर संक्राति, अंग्रेजी नव वर्ष और गणतंत्र दिवस धूम धाम से मनाते है। ठंडी हवाएं, कड़कड़ाती ठण्ड और उस पर कभी कभी शीत ऋतु की
वर्षा की बूंदों से फल-फूल और सब्जिओं की सुकोमल फसल भी बेहाल हो जाती है। तो आइये
इस माह वाटिका में पेड़ पौधों की सुरक्षा और उनके प्रबंधन पर विमर्ष करते है।
सब्जियों
में इस माह
Ø नवम्बर माह में लगाई बैंगन, मिर्च और टमाटर नर्सरी की रोपाई इस माह के अंत में
करें । रोपाई के तुरन्त बाद पहली सिंचाई करें,
इसके बाद 8 से 10 दिन
बाद सिंचाई करें। शरदकालीन टमाटर और बैंगन फसल के तैयार फलों की तुडाई कर बाजार
भेजें। टमाटर में फल छेदक कीट के संक्रमण
होने पर फ्लुबेंडामाइड 20 ई.सी. 250 मिली./हे. की दर से छिडकाव करें। सफ़ेद मक्खी
की रोकथाम हेतु थायोमिथाक्साम 25 डव्ल्यु.जी.400 मिग्रा./हे. की दर से छिडकाव
करें। बैगन में ताना एवं फल छेदक कीट की
रोकथाम हेतु ट्राईजोफ़ॉस 40 ई.सी. 1 लीटर/हे. की दर से 1-2 बार छिडकाव करें। ध्यान रखें, दवा
छिडकाव से पूर्व फल तोड़ ले तथा अगली तुड़ाई 15 दिन वाद ही करें।
Ø गोभी: इस वर्ग की सब्जिओं में आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहें। पौध सरंक्षण के आवश्यक उपाय भी अपनाएँ। फूल
गोभी के फूल उस समय काटने चाहिये जब वे ठोस,
सफेद व धब्बे रहित बिलकुल साफ हों । फूल तेज धार वाले चाकू से काटे
जाएँ। बंद गोभी को तब काटें जब वह बंधी और कोमल हो। यदि कटाई में देर हो गई तो
गांठें फट सकती हैं। कटाई करते समय दो तीन बाहरी पत्तियाँ रखें जिससे बाजार ले
जाते समय गांठे खराब न हों।
Ø लोबिया,फ्रेंचबीन,गुआर फली : इन पौष्टिक सब्जिओं की बुआई इस माह संपन्न
करें।
Ø प्याज: पौध की रोपाई का कार्य इस महिने समाप्त कर
लें। रोपाई 15 x 10 से.मी.(कतार x पौध) की दूरी पर करें. रोपाई के समय खेत में नमी
बनाये रखें एवं 3-4 बार हल्की सिंचाई करें।
Ø आलू: जनवरी के प्रथम सप्ताह तक हर
हालत में पौधों के ऊपरी भाग ( डंठल) को काट दें, उसके बाद
आलू को 20-25 दिन बाद खुदाई और सफाई करके विक्रय
हेतु बाजार भेजें अथवा शीतगृहों में
भंडारित करने की व्यवस्था करें ।
Ø मसाला फसलें:
जीरा, धनिया तथा सौंफ में समय-समय पर सिंचाई करें तथा इन फसलों में फूल आते समय
नत्रजन उर्वरक की शेष क़िस्त कतारों में देकर सिंचाई करें।
Ø इस माह खरबूजा, तरबूज, खीरा, ककड़ी, कद्दू, लौकी
आदि सब्जियों की बुआई की जा सकती है। इसके लिए लौकी,कद्दू,करेला,टिंडा व तोरई का
4-5 किलो बीज, खीरा और ककड़ी का 2-2.5 किलो तथा तरबूज का 4-4.5 किलो बीज प्रति
हेक्टेयर पर्याप्त होता है। बेल वाले इन पौधों पर 2 और 4 पत्तियों की अवस्था पर इथ्रेल के 250 पी.पी.एम. सांद्रण वाले घोल के छिड़काव से अधिक उपज प्राप्त होती है। कददू का लाल कीड़ा इन फसलों को भारी क्षति पहुंचाता है जिसकी रोकथाम के लिए कार्बारिल 5 % डस्ट 20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से भुरकाव करें अथवा कार्बारिल 50 % घुलनशील चूर्ण का 1200-1500 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करन चाहिए।
फलोद्यान में इस माह
Ø आम: इसके थालों की गुड़ाई कर सिंचाई करें। पिछले माह यदि खाद और उर्वरक नहीं दिए
है तो इस माह भी प्रथम, द्वितीय,तृतीय,चतुर्थ, पंचम या अधिक वर्षीय पौधों में
क्रमशः 15,30,45,60 व 75 किलो प्रति पेड़ गोबर की खाद के साथ साथ 250,500,750,1000
व 1250 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट प्रति पेड़ थालों में देवें. चौथे, पांचवें वर्ष या अधिक पुराने
पेड़ों में क्रमशः 250 व 500 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश भी देना चाहिए। उर्वरक देने के पश्चात पौधों
में सिंचाई भी करें।
Ø नीबू वर्गीय फल: इनके बगीचों की साफ़-सफाई करें। तैयार फलों की तुड़ाई के बाद
ग्रेडिंग कर विक्रय हेतु बाजार भेजें।
Ø बेर: यह फलों के पकने का समय है अतः फल मक्खी के नियंत्रण के
उपाय करें। आवश्यकतानुसार सिंचाई करें.तैयार फलों को तोड़कर विक्रय हेतु बाजार
भेजें।
Ø पपीता: इसके पौधों में आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई और सिंचाई करते
रहे. इसके तनों के चारो तरफ मिट्टी चढाने के उपरांत ही सिचाई करें जिससे पानी तनों
को ना छुए। गत माह यदि उर्वरक नहीं दिया है तो इस माह प्रति पौधा 30-40 ग्राम
यूरिया,150-200 ग्राम सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा 50-75 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति
पौधा थालों में देकर हल्की सिंचाई करें। तैयार फलों को तोड़कर विक्रय हेतु बाजार भेजें।
Ø अमरुद: इसके थालों की निराई-गुड़ाई और समय समय पर सिंचाई करें। पके
फलों की तुड़ाई कर विक्रय हेतु बाजार भेजें ।
Ø अनार एवं आंवला: इन फलों के बगीचों की साफ-सफाई, गुड़ाई और खाद देकर सिंचाई
करें। तैयार फलों की तुड़ाई कर विक्रय हेतु बाजार भेजें।
पुष्पोत्पादन में इस माह
Ø गुलाब:यह गुलाब का माह है जिसमे गुलाब के फूलों की बहार देखने ही
बनती है. इनकी क्यारिओं की निराई-गुड़ाई व सिंचाई आवश्यकतानुसार करते रहे जिससे नई
और स्वस्थ कलियाँ निकलती रहें. सूखे मरे हुए फूलों को ऊपर से काट देवें और मूलकांड
से जो शाखाएं निकलती हों, उन्हें काट कर निकल देवें. गुलाब में बडिंग का कार्य यदि
पिछले माह नहीं किया है, तो इस माह संपन्न कर लेवें।
Ø गुलदावदी: इस माह इसके फूल समाप्त होने लगते है. फूलों के खिल जाने
के पश्चात पौधों को 10-12 से.मी.की ऊंचाई से काट देना चाहिए जिससे पौधों की जड़ो से
अधिक संख्या में कल्ले निकलें. क्यारिओं या गमलों में थोड़ी खाद देकर आवश्यकतानुसार
पानी देते रहना चाहिए।
Ø बसंत ऋतु के फूल पूरी बहार पर होते है। इन
पौधों में गुड़ाई और सिंचाई करते रहे. गर्मी के फूलों के लिए नर्सरी की तैयारी
करें।
Ø इस माह सुगन्धित रजनी गंधा और सुन्दर लिली के
लिए क्यारी व गमलों की तैयारी प्रारंभ करें। ग्रीष्म ऋतु में खिलने वाले पुष्प यथा
जिनिया, पोर्टुलाका, गमफरिना,गैलार्डिया,कोचिया, गोल्डन रॉक आदि के बीज का प्रबंध
करें।
Ø फूल वाली झाड़ियाँ जैसे सावनी, टिकोमा, मेलिया, मुसंडा आदि की पत्तियाँ झड़ने लगती है. अतः इस माह इनकी कटाई-छंटाई करना चाहिए। चांदनी, बोगनविलिया, रात की रानी आदि की डाल काट कर नई कलमे भी लगाईं जा सकती है।
Ø फूल वाली झाड़ियाँ जैसे सावनी, टिकोमा, मेलिया, मुसंडा आदि की पत्तियाँ झड़ने लगती है. अतः इस माह इनकी कटाई-छंटाई करना चाहिए। चांदनी, बोगनविलिया, रात की रानी आदि की डाल काट कर नई कलमे भी लगाईं जा सकती है।
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