डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर
सस्य विज्ञान विभाग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय,
राज मोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र,
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)
शरद-हेमन्त ऋतु के माह नवम्बर यानी
कार्तिक-मार्गशीर्ष (अग्रहायण) में तापक्रम कम हो जाने
से ठंड का प्रभाव स्पष्ट दिखलाई पड़ता है। वायु लगभग शांत हो जाती
है। कहीं-कहीं शरदकालीन वर्षा होने से सापेक्ष आद्रता बढ़ जाती है। इस माह औसतन
अधिकतम एवं न्यूनतम तापक्रम क्रमशः 28.6 एवं 12.6 डिग्री सेन्टीग्रेड होता है।
वायु गति लगभग 4.4 किमी प्रति घंटा होती
है।
सब्जियों में इस माह
- आलू: आलू की बोआई इस माह भी की जा सकती है। आलू की कुफरी अशोका, कुफरी जवाहर, कुफरी ख्याति,कुफरी चिपसोना-1, कुफरी सूर्या एवं कुफरी पुष्कर प्रमुख उन्नत किस्में है। आलू की खेत की आखिरी जुताई पर 75:100:100 किलोग्राम नत्रजन, फॉस्फोरस, पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से डालें तथा 60 x 15 सेमी. की दूरी पर बोआई करें। पूर्व में लगाये गये आलू फसल की माहू से रक्षा हेतु फ़ोरेट 10 जी 10 किग्रा. प्रति हेक्टेयर फसल पर मिट्टी चढ़ाते समय मिलायें तथा झुलसा रोग के नियंत्रण हेतु बोर्डो मिक्सर एक प्रतिशत या डायथेन एम-45 के 0.25 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें।
- टमाटर, मिर्च, बैंगनः तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजें। बाजार भेजने से पूर्व छटाई करे। कीड़ों से फसल की सुरक्षा के लिए मैलाथियान दवा का छिड़काव करें।
- मूली, गाजरः इन फसलों की तैयार जड़ों की खुदाई एवं सफाई कर बाजार भेजें। आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करते रहें।
- मटरः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। तैयार हरी मुलायम फलियों की तुड़ाई कर बाजार भेजें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकाले।
- फूलगोभी, पात गोभी, गांठ गोभी: तैयार गोभियों की कटाई कर बाजार भेजें। देर से रोपी गई फसलों में 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल की कतारों में देवें एवं आवश्यकतनुसार निराई-गुड़ाईव सिंचाई करते रहें।
- पालक, मैथी, धनियां: तैयार हरी पत्तियों की कटाई करें, छोटी-छोटी गड्डियाँ बनायें व बाजार भेजें। कटाई के बाद 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से डालें व हल्की सी सिंचाई करें। धनियाँ फसल को पाउडरी मिल्डयू रोग से बचाने के लिए सल्फेक्स 0.2 प्रतिशत का छिड़काव करें।
- लहसुनः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से डालें। यदि पत्तियों पर पीले धब्बे दिखाई दे तो 0.2 प्रतिशत मैंक¨जेब नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
- शकरकंदः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल में डाले। यूरिया डालते समय जमीन में पर्याप्त नमी होनी चाहिये। झुलसा नामक बीमारी के बचाव के लिये 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें। तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें।
- अदरक, हल्दीः तैयार अदरक की खुदाई कर बाजार भेजें। खुदाई के बाद कंदो को अच्छी तरह साफ करें व सुखायें। हल्दी की फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाइर्, सिंचाई करें। पत्तियों पर धब्बे दिखाई दे तो 0.2 प्रतिशत इन्डोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
- अरबीः तैयार अरबी की खुदाई कर बाजार भेजें। बाजार भेजने से पूर्व अरबी की छटाई करें व सफाई करें।
- आमः आम को मीली बग से बचाने के लिए तनों पर पालीथीन की 30 से.मी. चैड़ी पट्टी गोलाई में बांधकर दोनों सिरों पर ग्रीस लगाना चाहिए। थालों व तनों पर फालीडाल धूल का बुरकाव करना चाहिए।
- केले के पौधों से अवांछित पुत्तियों को निकाल देना चाहिए। 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। बाग की निराई करें।
- नीबूवर्गीय फलः पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें। थालों की सिंचाई व एक बार निराई करें। यदि फल गिर रहे हों तो नेफथलीन एसिटिक अम्ल (10 पी.पी.एम.) का छिड़काव करें।
- अमरूदः बाग की सिंचाई करें। फलों को चिड़ियों से बचाएं।
- पपीता के पौधों में 15 दिन के अंतराल से सिंचाई करें। थालों की निराई करें।
- अंगूर बाग की सफाई करें।
- बेरः बाग की सफाई उपरांत सिंचाई करें। फल मक्खी की रोकथाम हेतु मैलाथियान अथवा डायमेक्रान का छिड़काव करें।
- लीचीः पेड़ों के थालों की सफाई करें। बाग को स्वच्छ रखें। छोटे पौधों को पाले से बचाने हेतु छप्पर का प्रयोग करें।
- आंवला बाग की सफाई करें। यदि फल गिर रहे हों तो बोरेक्स का छिड़काव करें। बाग की सफाई करें। इस माह के अंत तक अगेती किस्मों के पेड़ों की तुड़ाई करें।
- कटहल, बेल एवं करोंदा: इन फलों के बाग की सफाई करें। एक सिंचाई करें।
- फल-सब्जी संरक्षणः कुम्हणा से पेठा से मुरब्बा तथा कैण्डी, अदरक से अचार, मुरब्बा तथा कैण्डी बनाई जाती है। अंगूर से रस तथा शर्बत बना सकते है। केले के विभिन्न उत्पाद, पपीते की चटनी तथा सब्जियों के अचार बना सकते है। आवले के भी उत्पाद इस माह बनाये जाते है
- देशी गुलाब की कलम काटकर अगले वर्ष के स्टाक के लिए क्यारियों में लगाना। गुलाब के पौधों को यदि जुलाई अगस्त में न लगाया गया हो तो तैयार खेत में संस्तुत दूरी पर इस माह तैयार खेत में लगावें । आवश्यकता अनुरूप सिंचाई एवं निराई-गुड़ाई कार्य करते रहे।
- ग्लैडियोलस के स्थानीय मौसम के अनुसार सप्ताह में एक या दो बार सिंचाई तथा कीटों एवं रोगों की रोकथाम हेतु समयानुसार दवाओं का छिड़काव करें।
- रजनीगन्धा के स्पाइक की कटाई, छटाई, पैकिंग एवं विपणन कर पोषक तत्वों के मिश्रण का अन्तिम पर्णीय छिड़काव (पुष्पन अवधि में कुल 16 छिड़काव 15 दिन के अन्तर पर)। जनवरी माह में रोपाई हेतु गेंदा को क्यारियों में दुबारा लगा दें।
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