डॉ.गजेन्द्र
सिंह तोमर
प्राध्यापक (सस्य
विज्ञान)
इंदिरा गांधी
कृषि विश्वविद्यालय,
राज मोहनी
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)
उद्यानिकी-बागवानी में प्रत्येक माह के नियत कृषि कार्यो को कभी-कभी हम भूल जाते है और उन कार्यो को सही समय पर संपन्न न करने की वजह से हम अपनी बगिया सुन्दर और आर्थिक रूप से लाभकारी बनाने में पिछड़ जाते है। इसी परिप्रेक्ष्य में हम इस ब्लॉग पर उद्यानिकी-बागवानी में प्रति माह के समसामयिक कार्यो का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कर रहे है। मुझे आशा है की किसान भाई और बागवानी प्रेमियों को इससे समय पर कार्य आरम्भ करने में सुगमता होगी और बगिया के समस्त कार्य सही समय पर सुचारू रूप से संपन्न कर हरियाली और आर्थिक खुशहाली कायम रखने में सफल होंगे।
वैशाख-ज्येष्ठ अर्थात मई माह में गर्मी चरम सीमा पर होती है. तापमान में लगातार वृद्धि होना, आद्रता में कमीं तथा तेज गर्म हवाओं से मनुष्य, पशु-पक्षिओं सहित पेड़-पौधे और वनस्पतियों का भी हाल-बेहाल हो जाता है। ग्रीष्म ऋतु में जुही, बेला, चमेली जैसे सुगन्धित पुष्पों से वातावरण रमणीक हो जाता है। इन दिनों आम, लीची, तरबूज, खरबूजा, बेल और फालसा जैसे शीतलता प्रदान करने वाले फलों की बहार होती है जिसके पेय पदार्थ तन-मन को शीतलता प्रदान करते है। इस माह तेज गर्मी तथा लू से पेड़ पौधों का बचाव करना आवश्यक होता है. इसी महीने फलोद्यान, पुष्पोद्यान तथा नर्सरी की रूपरेखा तैयार करना है. पौधे लगाने के लिए गड्ढे भी तैयार करना है, साथ ही खेत में जल निकास की नालियों की मरम्मत भी करना है. बागवानी फसलों के अंतर्गत वैशाख-ज्येष्ठ (मई) माह में संपन्न किये जाने वाले प्रमुख कृषि कार्यों की संक्षिप्त जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है।
वैशाख-ज्येष्ठ अर्थात मई माह में गर्मी चरम सीमा पर होती है. तापमान में लगातार वृद्धि होना, आद्रता में कमीं तथा तेज गर्म हवाओं से मनुष्य, पशु-पक्षिओं सहित पेड़-पौधे और वनस्पतियों का भी हाल-बेहाल हो जाता है। ग्रीष्म ऋतु में जुही, बेला, चमेली जैसे सुगन्धित पुष्पों से वातावरण रमणीक हो जाता है। इन दिनों आम, लीची, तरबूज, खरबूजा, बेल और फालसा जैसे शीतलता प्रदान करने वाले फलों की बहार होती है जिसके पेय पदार्थ तन-मन को शीतलता प्रदान करते है। इस माह तेज गर्मी तथा लू से पेड़ पौधों का बचाव करना आवश्यक होता है. इसी महीने फलोद्यान, पुष्पोद्यान तथा नर्सरी की रूपरेखा तैयार करना है. पौधे लगाने के लिए गड्ढे भी तैयार करना है, साथ ही खेत में जल निकास की नालियों की मरम्मत भी करना है. बागवानी फसलों के अंतर्गत वैशाख-ज्येष्ठ (मई) माह में संपन्न किये जाने वाले प्रमुख कृषि कार्यों की संक्षिप्त जानकारी यहाँ प्रस्तुत की जा रही है।
सब्जियों में इस माह
Ø टमाटरः तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें। इस माह में तापक्रम अधिक
होता है अतः फल रंग बदलने वाली स्थिति में ही तोड़कर बाजार भेजें। आवश्यकतानुसार
सिंचाई निराई-गुड़ाई करें।
Ø बैंगनः तैयार मुलायम फलों को तोड़कर बाजार
भेजने की व्यवस्था करें।यदि फल तथा तनाछेदक का आक्रमण हो तो 500 पीपीएम बी.टी. कीटनाशक 1-1.5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से प्रय¨ग करें। खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई व निराई-गुड़ाई
करें।
Ø प्याजः यदि आवश्यक हो तोे एक हल्की सिंचाई करें। आखरी सप्ताह में पत्तियों को जमीन
की सतह से झुका दें जिससे गांठे सख्त हो जाती है।
Ø लहसुनः यदि खुदाई अभी तक नहीं हुई है तो खुदाई करें। गांठों को दो दिन तक खेत में सूखने दें बाद
में छोटी-छोटी गड्डियाँ बनाकर नमी रहित स्थान पर 10 दिन तक सुखायें, बाद में नम रहित स्थान पर भण्डारण करें।
Ø भिण्डी, लोबियाः तैयार फलियों को बाजार भेजने की व्यवस्था करें। भिण्डी की फसल में आवयकतानुसार
पानी दें। वर्षा ऋतु में अगेती फसल प्राप्त करने के लिये भिण्डी व लोबिया की बुवाई
की जा सकती है। पूसा सावनी, पूसा मखमली तथा परभनी क्रांति,पंजाब पदमिनी भिण्डी की एवं पूसा कोमल,
पूसा वर्षाती व पूसा-2, फसली लोबिया की उन्नत किस्में हैं।
Ø मिर्चः तैयार मिर्चें को तोड़कर बाजार भेजें। आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई
करें। फलों पर धब्बे दिखाई दे रहे हों
तो 0.2 प्रतिशत मैंक¨जेब नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें। शिमला मिर्च के
तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें व फसल की गुड़ाई करें।
Ø खीरावर्गीय फसलें: तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें यदि आवश्यक हो तो एक बार
सिंचाई करें। अगेती फसलो को वर्षा ऋतु में प्राप्त करने के लिए लौकी,
तोरई, करेला व खीरा की फसलों की बुवाई के लिए खेत की तैयारी शुरू
कर दें।
Ø अदरक, हल्दी, अरबीः गाठ माह यदि इन फसलों की बुआई नहीं की है, तो इस माह की 15 तारीक तक संपन्न कर लेवें. पूर्व में लगाई गई इन फसलों के अंकुरण उपरान्त आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करें। अरबी की फसल में हल्की सी मेड़
बनाये। अरबी की नई पत्तियों की छोटी-छोटी गड्डियां बनाकर विक्रय हेतु बाजार भेजें है। कभी-कभी इस फसल
में झुलसा का भी प्रकोप होता है। अतः बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
कीटों के बचाव के लिए 0.2 प्रतिशत थायोडान नामक कीटनाशी दवा का घोल बनाकर छिड़काव
करें।
Ø चौलाईः भाजी के लिए चौलाई की बुवाई इस माह की जा सकती है। इसकी बोआई तैयार खेत में 30 सेमी. की दूरी पर बनी कतारों में करें। बीज वाली फसल की
कटाई करें एवं बीज निकालने की व्यवस्था करें।
Ø अदरक, हल्दी तथा अरबी अदरक व अरबी की खुदाई करके बाजार भेजने की
व्यवस्था करें। बाजार भेजने के पूर्व कीट तथा रोगग्रस्त गांठों को निकाल दें। हल्दी की पत्तियां पीली पड़ना
शुरू हो जाती हैं, यदि पूर्णतया पीली पड़ गयी हों तो कटाई करें जिससे कि जड़े
सख्त हो जायेंगी।
फलोत्पादन में इस माह
Ø फलदार पौधों का बगीचा लगाने के लिये रेखांकन कार्य एवं
गड्ढा खोदने का कार्य मई माह से लेकर जून के प्रथम सप्ताह तक सम्पन्न करें। यह
कार्य कर निर्धारित दूरी पर बडे फलदार पौधों के लिये 1 x 1 x 1 मीटर का गड्ढा तथा मध्यम उंचाई के फलदार पौधों (नींबू) के
लिये 90 x 90 x 90 सेमी. तथा छोटे फलदार पौधे जैसे कि अमरूद,
अनार, मौसमी, संतरा आदि के लिये 60 x 60 x 60 सेमी. के गड्ढे खोदें।
Ø आमः पेड़ों पर बोरेक्स का छिड़काव करें।
फलों को चिड़ियों एवं गिलहरी से बचाएं। एक सिंचाई करें।
Ø केला: केला की फसल में एक सप्ताह के अंतराल पर सिंचाई करें। अवांछित पत्तियों को निकाल
दें। बाग में लगी हुई धारों (फल के गुच्छे) को सूखी पत्तियों से ढंक दें।
Ø नीबूवर्गीय फसलः नींबू के बाग में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फलों को गिरने से बचाने हेतु एन. ए. ए. दवा का
छिड़काव करें।
Ø अमरूदः फलदार वृक्षों में नए कल्लों की छंटाई एक जोड़ी निचली पत्ती छोड़कर करें अथवा 15 दिन के अंतराल पर एन.ए.ए. 600-800 पी.पी.एम. का छिड़काव दो बार करें।
Ø पपीताः पपीते के नये बगीचे लगाने के लिये इसकी उन्नत किस्मों जैसे कुर्गहनी ड्यू,
मधुबाला, हनीड्यू , पूसा नन्हा, पूसा डिलीशस आदि की नर्सरी तैयार करें। पौधशाला के लिये
उत्तम स्थान का चयन कर मिट्टी को भुरभुरा बना लें। पौध तैयार करने के लिये पपीते
का 250 ग्राम बीज प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होता है। बीजों को
बुवाई के पूर्व 2 ग्राम थायरम को प्रति किलो बीज में मिलाकर उपचारित करें।
बीजों को तैयार क्यारी में कतार से कतार 10-10 से०मी० की दूरी एवं पौध से पौध 2 सें.मी. की दूरी पर 1 से 1.5 सेमी। की गहराई पर बुवाई करके सिंचाई करें। पूर्व में लगाये गये पपीते के पौधों में सिंचाई करते रहें।
Ø अंगूरः अंगुर में 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। फलों की चिड़ियों से रक्षा करें। अगेती किस्मों
के पके गुच्छों को तोड़कर बाजार भेजें।
Ø बेरः नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें। पुराने वृक्षों की कटाई- छंटाई
करें।
Ø लीचीः बाग में 15 दिन के अंतराल दो बार से सिंचाई करें । नए बाग लगाने के लिए तैयार भूमि पर रेखांकन करके गडढ़े
खोद ले। फलों को फटने से बचाने के लिए वृक्षों पर पानी का छिड़काव करें।
Ø आंवलाः बाग की सिंचाई करें। नए बाग लगाने के लिए रेखांकन करके गडढ़े खोद लें।
Ø अनारः के फल जुलाइ-अगस्त में लेने के लिये जून माह में 3 वर्षीय पौधों में 150 ग्राम, चार वर्षीय पौधों में 200 ग्राम, पांच या अधिक उम्र वाले पौधों में 250 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करें। छोटे एक वर्षीय
पौधों में 50 ग्राम व दो वर्षीय में 100 ग्राम यूरिया प्रति पौधा देकर सिंचाई करें।
Ø कटहलः फल वृक्षों पर बोरेक्स (0.8 प्रतिशत) के दो छिड़काव 15 दिन के अंतराल पर करें। फल विगलन रोग की रोकथाम के लिए
ब्लाइटाक्स-50 का एक छिड़काव करें। फलों को तोड़कर बाजार भेजें। नए बाग लगाने के लिए भूमि का
रेखांकन करके गडढ़े खोद लें।
Ø फल-सब्जी संरक्षणः लीची के रस से स्क्वैश बनायें। अनानास की डिब्बाबन्दी,
जैम, रस, स्क्वैश तथा शरबत बनाया जा सकता है। कच्चे आम से अचार,
चटनी बनायें तथा अतरिक्त फलों को छीलकर और सुखाकर
अमचूर बना सकते हैं। पके आम के फलों से जैम तथा स्क्वैश बनाया जा सकता है। बेल फलों से शर्बत,
जैम तथा इसकी डिब्बाबन्दी कर सकते है।
पुष्पोत्पादन में इस माह
मौसमी पुष्पों के बीजों की बुआई करें। इस माह के अंत तक कांड, डहलिया, बैजंती आदि लगावें. कारनेशन तथा गुलदावदी में गमला परिवर्तन करें। सभी शोभायमान कोमल पौधों की तेज धुप और लू से सुरक्षा करें और आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे। गमले वाले पौधों में सुबह शाम सिंचाई करते रहें।
नोट: कृपया इस लेख को लेखक की अनुमति के बिना अन्य किसी पत्र-पत्रिकाओं या इंटरनेट पर प्रकाशित करने की चेष्टा न करें। यदि आपको यह लेख प्रकाशित करना ही है तो ब्लॉगर को सूचित करते हुए लेखक का नाम और संस्था का नाम अवश्य दें एवं प्रकाशित पत्र-पत्रिका की एक प्रति लेखक को जरूर भेजें।
मौसमी पुष्पों के बीजों की बुआई करें। इस माह के अंत तक कांड, डहलिया, बैजंती आदि लगावें. कारनेशन तथा गुलदावदी में गमला परिवर्तन करें। सभी शोभायमान कोमल पौधों की तेज धुप और लू से सुरक्षा करें और आवश्यकतानुसार सिंचाई करते रहे। गमले वाले पौधों में सुबह शाम सिंचाई करते रहें।
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