डॉ.गजेन्द्र
सिंह तोमर
प्राध्यापक (सस्य
विज्ञान)
इंदिरा गांधी
कृषि विश्वविद्यालय,
राज मोहनी
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,
अंबिकापुर
(छत्तीसगढ़)
वर्षा-शरद ऋतु के सितम्बर यानी भाद्रपद-अश्विन माह में गणेशोत्सव, ईद-उल-जुहा, नवाखाई जैसे महत्वपूर्ण पर्व मनाये जाते है । पितृ मोक्ष अमावस्या भी इस माह मनाते है। सितम्बर माह में वर्षा की सघनता कम होने लगती है जिसके कारण वातावरण का तापक्रम कुछ बढ़ जाता है। इस माह औसतन अधिकतम एवं न्यूनतम तापक्रम क्रमशः 31 एवं 23 डिग्री सेन्टीग्रेड के आस-पास होता है। वायु गति भी अमूमन 8.2 किमी प्रति घंटा होती है। इस प्रकार जलवायु सम रहती है।
भूमि जल से पूरी तरह संतृप्त हो जाती है। प्रकृति में चहु ओर हरियाली और खुशहाली नजर आती है। खरीफ की विभिन्न फसलें फूल
एवं फलन अवस्था में रहती हैं। इस माह की संभावित कृषि कार्य योजना अग्र-प्रस्तुत
है।
सब्जियों में इस माह
- टमाटरः अच्छी पैदावार व आमदनी प्राप्त करने के लिये इस माह टमाटर की रोपाई करें। खेत की आखिरी जुताई के समय खेत में 75 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फॉस्फोरस व 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से डालें। टमाटर पौध की 50 x 50 से.मी. की दूरी (कतार एवं पौध के मध्य) पर सांयकाल के समय रोपाई करें। रोपाई के तुरन्त बाद हल्की सी सिंचाई करें। पुरानी फसल में आवश्यकतानुसार निराई, गुड़ाई करें। तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें।
- बैंगनः फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें । तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजें। यदि फल छेदक,कीट का आक्रमण अधिक दिखाई दे तो 0.2 प्रतिशत सेविन नामक दवा का घोल बनाकर फल तोड़ने के पश्चात छिड़काव करें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें व पके फलों से बीज निकालकर सुखायें।
- मिर्च:फसल में आवश्यकतानुासार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। बीज वाली फसल से अवांछित पौधों को निकालें व पकी मिर्चो को तोड़कर सुखायें व बीज निकालें।
- भिन्डी व लोबिया: फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। तैयार मुलायम फलों व फलियों को समय से तोड़कर विक्रय हेतु बाजार भेजें।
- फूलगोभी,पातगोभी,गांठगोभी: पूर्व में लगाई गई गोभी वर्गीय फसलों में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई व सिंचाई करें। खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया प्रति हैक्टेयर की दर से गुड़ाई करते समय डालें। मध्यकालीन फूलगोभी की रोपाई का उचित समय है। खेत की आखिरी जुताई पर 75 किग्रा. नत्रजन, 100 किग्रा. फॉस्फोरस व 100 किग्रा. पोटाश प्रति हैक्टेयर डाले। 50ग50 से.मी. की दूरी पर रोपाई करें, व तुरन्त हल्की सिंचाई करें। पातगोभी, गांठगोभी व पिछेती गोभी की पौधशाला में बोआई करें जिससे अक्टूबर माह में इनकी रोपाई की जा सके।
- खीरावर्गीय सब्जियां: तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजें। आवश्यकतानुसार निकाई गुड़ाई व सिंचाई करें । खेत में जल निकास की उचित व्यवस्था करें।
- अदरक,हल्दी व अरबी:फसल में आवश्यकतानुसार निराई गुड़ाई तथा मिट्टी चढ़ाने के पश्चात नमीं की कमी होने पर सिंचाई करें। निंदाई-गुड़ाई के समय 50 किलोग्राम यूरिया खड़ी फसल की कतारों में डालें। यदि फसल पर झुलसा नामक बीमारी का प्रकोप दिखाई दे तो 0.2 प्रतिशत मैंकोजेब नामक दवा का घोल बनाकर एक छिड़काव करें।
- आलू: माह के अंत में अगेती आलू (कुफरी चन्द्रमुखी) की बोआई की जा सकती है। खेत की अच्छी तरह तैयारी करे। खेत की अंतिम जुताई के समय 100 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फॉस्फोरस व 80 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर डालकर बोआई करें।
- पालक, धनियां व मैथीः अगेती फसलों की बोआई इस माह की जा सकती है। खेत की अच्छी तरह जुताई करने के उपरांत 50 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फॉस्फोरस व 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर की दर से डालकर बोआई करें। पालक की आलग्रीन, पूसा ज्योति, धनिया की पंतहरितमा तथा मैंथी की पूसा अर्लीवंचिग, पूसा कसूरी तथा पंत रागिनी उन्नत किस्में हैं।
- मूली: पूर्व में बोई गई मूली की फसल में निराई, गुड़ाई करें। तैयार जड़ों को बाजार भेजने की व्यवस्था करें। इस माह बोआई के लिये तैयार खेत में 50 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस व 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर डालकर बोआई करें।
फलोत्पादन में इस माह
- आमः इस माह तक नए बाग की रोपाई का कार्य पूरा कर लें। शाखा गांठ कीट की रोकथाम हेतु रोगर (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव करें। श्याम वर्ण रोग की रोकथाम हेतु कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का छिड़काव करें। पछेती किस्मों की आम की गुठलियों को इकट्ठा करके पौधशाला में बुआई करें।
- केलाः पौधों के बगल से निकलने वाली अवांछित पुत्तियों को निकाल दें। नए बाग रोपण का कार्य इस माह तक पूरा कर लें।
- नीबूवर्गीय फलः पेड़ों में नत्रजन व पोटाश की तीसरी मात्रा का प्रयोग करें। सूक्ष्म तत्वों की कमी को पूरा करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों का छिड़काव करें। फल गिरने से बचाने के लिए 2,4-डी या नेप्थलीन एसिटिक अम्ल का छिड़काव करें।
- अमरूदः बरसाती फसल को तोड़कर बाजार भेजें। तनाबेधक कीट की रोकथाम हेतु थायोडान का छिड़काव करें।
- पपीताः नए बाग लगाने हेतु पौधों की रोपाई का कार्य करें।
- बेरः पौधों पर चूर्णिल आसिता रोग लगने की संभावना होती है, जिसकी रोकथाम हेतु कैराथेन का छिड़काव करें।
- लीचीः वृक्षों में उर्वरकों ( 50 किलो सड़ी गोबर की खाद, 3 किलो कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, 3 किग्रा सिंगल सुपर फॉस्फेट तथा 1 किग्रा म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति पेड़) का प्रयोग करें। तना छेदक कीट की रोकथाम के लिए रूई को पेट्रोल में भिगोकर, छिद्रों में भरकर इन छिद्रों को गीली मिट्टी से बंद कर दें।
- कटहलः पके फलों के बीजों को निकाल कर पौधशाला में बुआई करें। नए बाग लगाने के लिए रोपण का कार्य करें।
- बेल पेड़ों पर शाटहोल रोग की रोकथाम हेतु कॉपर ऑक्सी क्लोराइड का छिड़काव करें। नए बाग लगाने हेतु रोपण का कार्य करें।
- करौंदाः पके फलों की तुड़ाई करके बीज निकाल लंे तथा नए पौधे तैयार करने के लिए बीजों की पौधशाला में बुआई करें।
- फल एवं सब्जी संरक्षण: बाजार में उपलब्ध सेब तथा नाशपती के विभिन्न उत्पाद इस माह बनाये जा सकते है। केला से जैम व टाफी बना सकते हैं। केले के पेड़ के भीतरी कोमल तने से मुरब्बा तथा कैंण्डी बना सकते है। इसके अलावा नींबू के विभिन्न उत्पाद बनाकर परिरक्षित किये जा सकते है ।
पुष्पोत्पादन में इस माह
- रजनीगंधा स्पाइक की कटाई-छटाई, पैकिंग एवं विपणन कार्य करें।
- ग्लैडियोलस के लिए क्यारियों की तैयारी करें तथा 10 किग्रा सड़े गोबर की खाद, 200 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट एवं 200 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति वर्ग मीटर की दर से मिट्टी में मिलाएं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें