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रविवार, 10 नवंबर 2013

राजनेताओं और उच्च पदस्थ अधिकारयों को भगवान श्रीराम के अनुशासन की नसीहत


                                                      सादर प्रस्तुति डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर
      भगवान श्री राम जब अयोध्या के  सिंहासन पर बैठे तो  वहां के  नागरिको  को  संबोधित करते हुए उन्होने अपने भाषण के  आरंभ में कहा-मित्रो ! मेरे राज्य की सच्ची प्रजा वह है जो  मेरा अनुशासन माने और  मेरा अनुशान मानकर मेरे अनुशासन में रहे । तो  प्रजा ने कहा “बताइये-अनुशासन का पालन हम लोग क्या करें ?  तो भगवान श्रीराघवेन्द्र कहते है-
                                                   सोई सेवक प्रियतम मम सोई । मम अनुशासन मानै जोई ।।
और मेरा अनुशासन क्या है । भगवान श्रीराम ने कहा-
                                                   जौ  अनीति कछु भाषौ भाई । तौ  मोहि बरजहु भय बिसराई ।।
             "अगर मेरे जीवन में, मेरी वाणी में, मेरे चरित्र में, कही नीति के  विरूद्ध आचरण हो  तो  आप लोग
भय छोड़ करके  मुझे रोक दीजियेगा" । भगवान श्रीराम की अनुशासन की परिभाषा कितनी अद्धभुत  है । अनुशासन में वे कहते है-"तुम बोलो ! अगर मुझमें कुछ दोष समझते हो  तो  तुम उसकी आलोचना करो ! तुम
मिर्भय हो  जाओ ! तुम्हारे अतःकरण का संचालन विवेक के  द्वारा हो, लोभ और भय के  द्वारा नहीं" !कितने सुंदर और प्रेणादायक वचन कहे है श्रीरामजी ने।
            आज हमारे देश में सभी जगह भ्रस्टाचार और कुशासन का बोलबाला है। भारत में उच्च पदों  पर सोभायमान राज नेता, अधिकारी, सचिव, कुलसचिव, कुलपति, विभाग प्रमुख इस प्रकार के  अनुशासन का थोड़ा सा भी अनु पालन करने लगें तो उनके मातहत अधिकारी-कर्मचारी पूरी ईमानदारी से राष्ट्र हित और लोकहित में अपनी  सेवाएँ देने में अपना सबकुछ अर्पण कर देंगे जिसके फलसवरूप भ्रष्टाचार पर भी लगाम कस सकता  है और तभी सही मायने में रामराज्य -स्वराज्य स्थापित हो पायेगा।  
               भगवान श्री राम से प्रार्थना  करता हूँ कि जिन के हाथो देश के बिभिन्न मंत्रालयों, बिभागो और संस्थानो की बागडोर है उन्हें इस तरह के अनुशाषन पालन की सदबुद्धि और कड़ी नशीहत प्रदान करेंगे जिससे भारत भूमि अपनी खोई हुई गरिमा पुनः प्राप्त कर सकें। 

                                                                         जय श्री राम !

शनिवार, 2 नवंबर 2013

दीपावली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

                                                  सभी मित्रों -शुभ चिंतकों को 

                                  दीपावली की अनंत ज्योति भरी शुभकामनाएँ 

 

                                         दीपावली से जुड़े कुछ रोचक तथ्य

    दीपावली के दिन भगवान श्री राम लंका के अत्याचारी राजा रावण का वध करके तथा 14 वर्ष का वनवास पूर्णकर अयोध्या लौटे थे।
    द्वापुर युग में इसी दिन भगवान श्री कृष्ण की भार्या सत्यभामा ने अत्याचारी नरकासुर का वध किया था.    इसी दिन भगवान विष्णु ने श्रीनरसिंह रुप धारणकर हिरण्यकश्यप का वध किया था.    इसी दिन समुद्रमंथन के पश्चात लक्ष्मी व धन्वंतरि प्रकट हुए थे।
    जैन मतावलंबियों के अनुसार 24 वें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी इसी दिन है.    इसी दिन अमृतसर में १५७७ में स्वर्ण मन्दिर का शिलान्यास हुआ था। 
    इसी दिन सिक्ख छठवें गुरू श्री गुरू हरगोबिन्द साहिबजी जहांगीर शासक की जेल से मुक्त हुए थे ।
    सम्राट विक्रमादित्य का राज्याभिषेक दीपावली के दिन हुआ था।
    दिवाली के  ही दिन 12 वर्ष का वनवास पूर्ण कर पाण्डव हस्तिनापुर वापस लौटे थे ।
    खरीफ ऋतु की बिदाई एवं शीतऋतु (रबी फसलॉ  की बुवाई) का शूभारंभ काल ।
    दीवाली भारत का राष्ट्रीय पर्व है और  इसे त्रिनिदाद व टोबागो, मयनमार, नेपाल, श्रीलंका, मौरीसस, ग्याना, सुरनाम, सिंगापुर, मलेशिया और  फिजी देशो  में भी धूमधाम से मनाया जाता है ।
                           पुनः सभी इष्ट मित्र जनों को हार्दिक बधाई एवं नव वर्ष की मंगल कामनाऍ। 
                                                                                                              -डॉ. गजेन्द्र