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मंगलवार, 21 मार्च 2023

विश्व वन दिवस-2023 :धरती करे पुकार-वृक्षों का उपकार-भूल गया संसार

 

डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर, प्रोफ़ेसर

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, महासमुंद (छत्तीसगढ़)

 

मानव आजीविका व पोषण से लेकर जैव विविधता व पर्यावरण तक, वनों की भूमिका सर्वव्यापी है, लेकिन पृथ्वी और मानव के स्वास्थ्य के लिए वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है. जनसंख्या में वृद्धि, स्थानीय पर्यावरणीय कारक, कृषि भूमि के विकास, शहरीकरण, औद्योगिकीकरण, वनों एवं पेड़ों की अवैध कटाई, जंगलों में आग, कीट-रोग प्रकोप की वजह से वनों का क्षेत्र और पेड़ों की संख्या में निरंतर गिरावट बेहद चिंता का विषय है. इसलिए विश्व जगत में वन एवं पेड़ों के महत्व को प्रतिपादित करने और जन जाग्रति पैदा करने के उद्देश्य से  यूनाइटेड नेशन फोरम ऑन फॉरेस्ट्स  और खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा प्रति वर्ष 21 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस  मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य सभी प्रकार के वनों और पेड़ों  के महत्व के बारे में  जन जागरूकता बढ़ाना है। इस वर्ष अंतराष्ट्रीय वन दिवस की थीम वन और स्वास्थ्य निर्धारित की गई है. वनों के बगैर आज मानव समाज की कल्पना नहीं की जा सकती है। वन हमारे जीवन के लिए जरुरी शुद्ध हवा, निर्मल जल प्रदान करते है और जलवायु परिवर्तन के खतरों को कम करने में सहायक होते है. वन न केवल मानव के लिए बल्कि  हमारी जैव विविधिता (पेड़-पौधे, पशु,पक्षी और सूक्ष्म जीव) भी पूर्णतः वनों पर आश्रित है.  


भारत की राष्ट्रीय वन नीति (1988) में देश के 33.3 प्रतिशत  भौगोलिक क्षेत्र को वन और वृक्ष आच्छादित रखने की परिकल्पना की गई है लेकिन भारतीय वन सर्वेक्षणद्वारा प्रकाशित भारत वन स्थिति रिपोर्ट (2021) के अनुसार भारत का वन क्षेत्र अब 7,13,789 वर्ग किलोमीटर है, यह देश के भौगोलिक क्षेत्र का 21.71% है जो वर्ष 2019 में 21.67% से अधिक है। भारत में प्रति व्यक्ति वन क्षेत्र 0.29 हेक्टेयर है. खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) द्वारा प्रत्येक पाँच वर्ष पर कराए जाने वाले वैश्विक वन संसाधन आकलन के अनुसार भारत में वैश्विक वन क्षेत्रफल का 2% मौजूद है और यह वन क्षेत्र के संबंध में विश्व के शीर्ष दस देशों में 10वें स्थान पर है। 20% वैश्विक वनावरण के साथ रूस इस सूची में शीर्ष पर है।क्षेत्रफल के हिसाब से, मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेशछत्तीसगढ़ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले मेंशीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नगालैंड (73.90%) हैं। अभी हाल ही में निर्वनीकरण एवं पेड़ो कि अंधाधुंध कटाई पर कुछ रोक जरुर लगी है और प्रति वर्ष बड़ी संख्या में वृक्षारोपण भी किया जा रहा है. दुर्भाग्य से जितने पेड़ लगाये जाते है, उनमें से 10-20 प्रतिशत पेड़ ही जीवित बच पाते है. अतः हम सब जिस प्रकार अपनी सेहत का ख्याल रखते है, उसी प्रकार से पेड़ पौधों का पोषण एवं संवर्धन करने की आवश्यकता है. वन और पेड़ पौधों से ही हम अपने स्वास्थ्य  और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर कल की कल्पना कर सकते है.

अभी हम सब ने कोविड-19 के विश्वव्यापी कहर को झेला है. ऑक्सीजन की कमीं से करोड़ों लोगों को दम तोड़ते हुए देखा है.  जिंदा रहने के लिए वन हमें प्राणवायु और शुद्ध जल प्रदान करने के अलावा वन एवं उपवन हमें बहुमूल्य काष्ठ, वनोपज, औषधियां, खाद्य पदार्थ आदि देते है जिनके माध्यम से बहुसंख्यक आदिवासी एवं ग्रामीण परिवारों की रोजी रोटी कि व्यवस्था हो रही है. वन एवं वनोत्पाद भारत की अर्थव्यस्था में भी महत्वपूर्ण  भूमिका निभा रहे है. स्वस्थ और सुरक्षित वनों से ही स्वस्थ जीवन संभव है. इसलिए वनों के विनाश  और वन संसाधनों  के अति दोहन पर रोक लगाते हुए अधिक से अधिक वृक्षारोपण और उजड़े वनों में पेड़ों के प्रति रोपण एवं उनके संवर्धन पर ध्यान देना समय की मांग है.