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शनिवार, 5 जून 2021

पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली से संभव है जीवन की खुशहाली

                             डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर,

प्रोफ़ेसर (सस्यविज्ञान), इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय,

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कांपा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)

 

पर्यावरण  के बिना पृथ्वी पर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। ऐसे में आम जन जीवन में पर्यावरण के प्रति जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 5 जून को पूरी दुनिया में विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) मनाया जाता है। साल 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने प्रदूषण पर स्टॉकहोम, स्वीडन में एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया था। इसके बाद पहली बार 5 जून 1974 को ‘केवल एक पृथ्वी’  थीम के साथ विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था और इसके बाद हर साल इसे मनाया जा रहा है। पर्यावरण से सम्बंधित विश्व के सबसे बड़े कार्यक्रम को मनाते हुए 46 वर्ष बीत गए परन्तु फिर भी हम सचेत होते नहीं दिख रहे।  बीते समय की प्राकृतिक आपदाएं हमें संकेत दे रहीं है कि आधुनिक विज्ञान की खोजों के नशे में चूर मनुष्य ने कुदरत के साथ सदियों से स्थापित रिश्ते खराब कर लिए है। प्रकृति के साथ विज्ञान की खिलवाड़ और साम्राज्यवादी राष्ट्रों का सूक्ष्मजीवों के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ के परिणामस्वरूप फैली कोविड-19 महामारी से पूरी दुनिया बीते दो वर्ष से त्रस्त है कोरोना से पहले भी सार्स, ईबोला, रेबीज, एवियन फ्ल्यू, स्वाइन फ्ल्यू जैसी न जाने कितनी बीमारियाँ जानवरों से इंसानों में फैली है जो स्पष्ट तौर पर इंसानों के प्रकृति के साथ बिगड़ते रिश्तों अथवा 'पारिस्थितिकी तंत्र में उत्पन्न असंतुलन का परिणाम है। वर्तमान में एक तरफ तो कोरोना महामारी से आबादी को बचाने के लिए विभिन्न सुरक्षात्मक उपाय अपनाए जा रहे है तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण से बचने के लिए इस्तेमाल की गई पी पी ई किट, मास्क, दस्ताने, सेनेटाइजर की बोतले आदि के उचित निस्तारण की व्यवस्था न होने की वजह से पर्यावरण प्रदूषण का खतरा बढ़ने का अंदेशा दिख रहा है


कोरोना ने हमें अहसास करा दिया है, कि प्रकृति से छेड़छाड़ कितना घातक हो सकती है। पेड़ पौधों द्वारा प्रदत्त प्राणवायु अर्थात ऑक्सीजन की कीमत का अंदाजा कोरोना संक्रमित मरीजों की ऑक्सीजन कमीं से होने वाली मौतों से लगाया जा सकता है.  प्रकृति ने हमें सिखला दिया की हम चाहे कितनी भी तरक्की क्यों ना कर लें कुदरत के सामने हम बौने ही रहेंगे । दरअसल सूक्ष्मजीव भी पारिस्थितिकी तंत्र के ही घटक है और इस तंत्र के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ कर हम सुरक्षित नहीं रह सकते प्रकृति के अंधाधुंध दोहन की वजह से पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलित बिगड़ता जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप आज विश्व समुदाय को प्राकृतिक विपदाओं का सामना करना पड़ रहा है



विश्व पर्यावरण दिवस 2021 की थीम

विश्व पर्यावरण दिवस-2021 की थीम 'पारिस्थितिकी तंत्र बहाली' (Ecosystem Restoration) रखा गया है। इसका तात्पर्य है की कैसे हम अपने पर्यावरण के तंत्र को बरकरार रखें.  पारिस्थितिकी तंत्र का अर्थ है जैव एवं अजैव घटकों के बीच परस्पर आदान प्रदान का अन्योन्याश्रित संबंध. जंगलों को नया जीवन देकर, अपने आस-पास अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर, बारिश के पानी को नदी,नालों, तालाबों  आदि में संरक्षित करके, नदियों को स्वच्छ रख कर, अति खनन और अवैध खुदाई पर उचित कार्यवाही, वन्य जीव-जंतुओं को आवश्यक संरक्षण देकर हम पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से बहाल (रिस्टोर) कर सकते हैं। पारिस्थितिक तंत्र की बहाली का अर्थ है मानवीय गतिविधियों से होने वाले नुकसान को रोकना और हमारी प्रकृति को हरा-भरा  करना। इसके लिए हमें अपने वनों को नष्ट होने से बचाना है और आर्द्रभूमि को संरक्षित करना पड़ेगा तभी वन्य जीव-जंतु एवं बहुमूल्य वनस्पतियां जीवित रह सकती है ।

इसके अलावा मानव आबादी को अपनी जीवन शैली में कुछ ऐसे बदलाव लाने का संकल्प लेना चाहिए जो चीजों के प्राकृतिक क्रम को बहाल करने में मदद कर सकें।

1.    भोजन की बर्बादी पर अंकुश लगाना जरुरी: हमारे देश में प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति लगभग 50 किलो खाध्य पदार्थ बर्बाद हो जाता है इससे न केवल पानी, उर्जा और धन नष्ट होता है बल्कि भोजन की इस बर्बादी से 71 लाख टन मीथेन गैस उत्सर्जित होती है जो पर्यावरण को प्रदूषित करती है

2.    पेपर मग और टिशु पेपर का उपयोग कम करना: दुनियां में प्रति वर्ष 16 अरब पेपर मग (चाय-पानी हेतु) का इस्तेमाल हो रहे है जिन्हें बनाने के लिए लाखों पेड़ काटे जाते है और 4 अरब गैलन पानी नष्ट किया जाता है. इसी प्रकार हजारो टन टिश्यु पेपर का उपयोग होता है पेपर के मग और टिश्यु पेपर के उपयोग पर अंकुश लगाकर हम पर्यावरण को सुरक्षित रख सकते है

3.    वाहनों की गति सीमित रखे: वाहनों के इस्तेमाल से ही 1.7 अरब टन ग्रीन हाउस गैस पर्यावरण में पहुँचती है. कार की गति 70-80 किमी प्रति घंटा या इससे कम रखने पर 8 % प्रदूषण कम होता है

4.    बिजली और इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का जब उपयोग नहीं करते है तब इन्हें बंद करना न भूलें. ऐसा करने से पर्यावरण में प्रदूषण कम होता है

5.    अपने घर के आस पास पेड़-पौधे लगायें. एक बड़ा पेड़ रोजाना 21 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड सोखता है और 10 लोगों को प्राणवायु (ऑक्सीजन) उपलब्ध कराता है प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक पेड़ लगाकर पर्यावरण को संमृद्ध बनाने में योगदान देना चाहिए

6.    जलवायु परिवर्तन के कारण सूखे एवं बाढ़ की आपदाएं होती है. शहरी क्षेत्र में सडकों और पक्की सतह के विस्तार के कारण 90 % वर्षा जल बहकर नदीं नालों में मिलकर बाढ़ की स्थिति पैदा करता है. अपने घर पर वाटर रिचार्ज सिस्टम लगाकर जल संरक्षण का कार्य करना चाहिए जिससे भूमि का जल स्तर कायम रहेगा वर्षा जल संरक्षण से सूखे एवं बाढ़ की समस्या से निजात मिल सकती है

पारिस्थितिकी तंत्र बहाली का दशक

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर  संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरे  नेरीइमेजिन, रिक्रिएट, रिस्टोरनारे के साथ पारिस्थितिकी तंत्र बहाली (इकोसिस्टम रिस्टोरेशन) कार्ययोजना के यू एन दशक (2021-2030)  के शुरुआत की घोषणा की है । संयुक्त राष्ट्र की इस पहल का उद्देश्य हर महाद्वीप और हर महासागर में पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण को रोकना और बहाल करना है। आने वाले समय में हम सब को मिलकर पृथ्वी के सभी जीवों के स्वास्थ्य और कल्याण हेतु मनुष्यों और प्रकृति के बीच संबंधों को बहाल करना है तथा स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र के क्षेत्र में वृद्धि करने के साथ-साथ पर्यावरण प्रदुषण में कमीं लाना है। दरअसल बहुत लम्बे समय से मानवता ने, धरती के जंगलों को काटा हैं,  नदियों और महासागरों को प्रदूषित किया है, आर्द्रभूमि को नष्ट किया है  और घास-चारागाहों पर अतिक्रमण किया है विकास की अंधी दौड़ और प्रकृति पर विजय पाने की लालसा के कारण हमने उसी पारिस्थितिकी तंत्र को घायल कर दिया है, जो हमारे जीवन और संस्कृति का आधार है। प्रकृति पर निरंतर प्रहार कर हम अपने अस्तित्‍व के लिये आवश्‍यक भोजन, जल एवँ संसाधनों से, स्‍वयं को वंचित करने का ख़तरा मोल ले रहे हैं। पारिस्थितिकी तंत्र बहाल कर टिकाऊ विकास के समस्त लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। ऐसा करने से न केवल पृथ्‍वी के संसाधनों को संरक्षण मिलेगा, बल्कि 2030 तक लाखों नए रोज़गार पैदा होंगे, हर वर्ष 70 ख़रब डॉलर से अधिक की आमदनी होगी और ग़रीबी तथा भुखमरी मिटाने में मदद मिलेगी।


आर्द्रभूमि(वेटलैंड)-महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय तंत्र

जलीय एवं स्थलीय वन्य प्राणी प्रजातियों व वनस्पतियों की प्रचुरता होने से वेटलैंड समृद्ध पारिस्थतिकीय तंत्र है आर्द्रभूमि(वेटलैंड्स) एक प्राकृतिक व कुशल कार्बन सिंक (कार्बन अवशोषक) के रूप में कार्य करता है आर्द्रभूमि अत्यंत उत्पादक जलीय पारिस्थितिकीय तंत्र है वेटलैंड न केवल जल भंडारण कार्य करते हैं, अपितु बाढ़ के अतिरिक्त जल को अपने में समेट कर बाढ़ की विभीषिका को कम करते हैं ये जलवायु संबंधी आपदाओं के विरुद्ध बफर के रूप में कार्य करती हैं अर्थात  जलवायु परिवर्तन के आकस्मिक प्रभावों से बचा जा सकता है इसके अलावा 40 फीसदी से अधिक प्रजातियां वेटलैंड्स में ही रहती हैं जो एक समृद्ध जलीय जैववविविधता का प्रतिनिधित्व करते हैंविश्व की 90% आपदाएं जल से संबंधित होती हैं तथा यह तटीय क्षेत्रों में रहने वाले 60% लोगों को बाढ़ अथवा सूनामी से प्रभावित करती है  आर्द्रभूमियों से जलावन लकड़ी,भोज्य पदार्थ, फल, औषधीय वनस्पतियाँ, पौष्टिक चारा प्राप्त होता हैं आर्द्रभूमि पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक सेवाएँ प्रदान करती है धरती की उर्वरता को बनायें रखने, भू-गर्भ जल स्तर को नीचे जाने से रोकने, बाढ़ और सूखे से सुरक्षा के लिए आर्द्रभूमि को संरक्षित करना अत्यन्त आवश्यक है यही नहीं आर्द्रभूमि वन्य प्राणियों के लिए फीडिंग (भोजन), ब्रीडिंग (प्रजनन) ड्रिंकिंग (पेय) का मुख्य आधार है इनके क्षेत्र में कमीं होने के कारण पारिस्थितिकी तन्त्र में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है

बेहतर पर्यावरण के लिए भारत में जैव ईंधन को बढ़ावा

एथेनॉल इको-फ्रैंडली फ्यूल है। एथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जाता है। एथेनॉल का उत्पादन गन्ना, मक्का, ज्वार आदि फसलों   से होता है। आज विश्‍व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एथेनॉल ब्लेंडिंग 2020-2025 के लिए रोडमैप जारी किया जिसमे भारत के  इथेनॉल ब्‍लेंडिंग टॉरगेट को साल 2023 तक 20% करने का ऐलान किया। अभी देश में 320 हजार करोड़ लीटर एथेनॉल उपयोग हो रहा है। इससे किसानों की आमदनी में काफी इजाफा हुआ। इस अवसर पर पीएम ने पुणे में तीन जगहों पर E 100 के वितरण स्टेशनों की एक पायलट परियोजना का भी शुभारंभ किया। तेल कंपनियों को सीधे E-100 बेचने की अनुमति मिल गई है। पेट्रोल में 20% एथेनॉल ब्लेंडिंग (सम्मिश्रण) का लक्ष्य हासिल करने से से देश को महंगे तेल आयात पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी। पेट्रोल में एथेनॉल मिलाने से पेट्रोल के उपयोग से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद मिलेगी। इसके इस्तेमाल से गाड़ियां 35% कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। सल्फर डाइऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन का उत्सर्जन भी इथेनॉल कम करता है। इथेनॉल में मौजूद 35 फीसदी ऑक्सीजन के चलते ये फ्यूल नाइट्रोजन ऑक्साइड के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथेनॉल मिलावट वाले पेट्रोल से चलने वाली गाड़ी पेट्रोल के मुकाबले बहुत कम गर्म होती हैं।  कच्चे तेल के मुकाबले  यह काफी सस्ता पड़ेगा। एथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ने से किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी और चीनी मिलों को आमदनी बढाने का एक नया जरिया मिलेगा ।

संक्षिप्त में विश्व पर्यावरण दिवस-2021 के अवसर पर हम सब को यह सुनिश्चित करना होगा की जीवन के लिए स्वस्थ पर्यावरण जरुरी है और स्वस्थ पर्यावरण के लिए हमें प्रकृति के साथ मित्रवत व्यवहार करना है प्रकृति प्रदत्त संसाधनों यथा जल, वायु, हवा एवं नाना प्रकार की वनस्पतियों का आवश्यकतानुसार दोहन करना है वर्षा जल का भरपूर संरक्षण करते हुए जल का कुशल उपयोग करना है मृदा एवं जल संरक्षण के लिए पेड़-पौधों से धरती की हरियाली कायम करना है तभी हमारा पारस्थितिकी तंत्र बहाल हो सकता है