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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

कृषि शिक्षा में नवाचार विषय पर कृषि स्नातको, वैज्ञानिक, कृषि उद्यमियों एवं कृषको की प्रथम राज्य स्तरीय कार्यशाला

            कृषि स्नातको, वैज्ञानिक, कृषि उद्यमियों  एवं कृषको  की प्रथम राज्य स्तरीय कार्यशाला

                                                             प्रस्तुति डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर

                                                              कार्यक्रम अधिकारी , RAWE

 

ग्राम्य कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम (रूरल एग्रीकल्चरल वर्क एक्सपीरियंस प्रोग्राम-रावे) के  माध्यम से कृषि शिक्षा में नवाचार विषय पर कृषि स्नातकों , वैज्ञानिक, कृषि उद्यमियों  एवं कृषको  की राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन दिनांक 21 जनवरी,2014 को  स्वामी विवेकानंद सभागार, कृषि महाविद्यालय, रायपुर  में किया गया  जिसमें प्रदेश के  समस्त कृषि महाविद्यालयो  में अध्ययनरत बी.एससी.(कृषि एवं उद्वानिकी) के  छात्र-छात्राएं, कृषि वैज्ञानिक, कृषि उद्यमी एवं किसानो को  आमंत्रित किआ गया था । पहली बार आयोजित इस राज्य स्तरीय कार्यशाला में शासकीय कृषि महाविद्यालय रायपुर सहित कृषि महाविद्यालय बिलासपुर,अंबिकापुर, कबीरधाम के छात्रो ने भाग लिया। निजी कृषि महाविद्यालयो में भारतीय कृषि महाविद्यालय, दुर्ग, छत्तीसगढ़ कृषि महाविद्यालय, भिलाई, श्रीराम कृषि महाविद्यालय, राजनांदगांव, कृषि महाविद्यालय, अम्बागढ़ चौकी(राजनांदगांव), महामाया कृषि महाविद्यालय, धमतरी, कृषि महाविद्यालय, रायगढ़, कृषि महाविद्यालय, दंतेवाड़ा के अलावा गायत्री उधानिकी महाविद्यालय, धमतरी, दंतेस्वरी उधानिकी महाविद्यालय, रायपुर, उधानिकी महाविद्यालय, पेंड्रारोड के विद्यार्थियो और सम्बधित शिक्षकों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।  इस कार्यक्रम में बी.एससी.(कृषि) एवं एम.एससी.(कृषि) के  छात्र-छात्राओ ने किसानो के खेत औरगाँव  में प्रदर्शित कृषि तकनीकी पर आधारित रोचक  प्रदर्शनी सुसज्जित की गई  । इसमें प्रमुख रूप से समन्वित फसल प्रणाली (फसलोत्पादन के साथ साथ डेरी,मछली पालन, मुर्गी पालन, मशरूम कि खेती आदि), वर्षा जल संचयन और जल ग्रहण, पौध व किस्म विकास, कीट व रोगो की पहचान और सम्भावित निदान, गृह वाटिका, मृदा स्वास्थ परिक्षण आदि के जीवंत प्रादर्श और पोस्टर प्रदर्शित किए गए जिसे अतिथिओं और प्रतिभागिओं ने खाशा पसंद किया और भावी युवा कृषि वैज्ञानिको की नवीन कृषि अवधारणा को सराहा। कार्यक्रम का शुभारंभ  माननीय डाँ.एस.के .पाटील, कुलपति इं.गां.कृ.वि.ने  समस्त अधिष्ठाता, संचालक और  विभागाध्यक्ष तथा  की उपस्थिति में किया  ।
 कृषि महाविद्यालय रायपुर एवं निदेशालय विस्तार सेवाएं के  संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस कार्यशाला की आयोजन समिति के  अध्यक्ष डाँ.अ¨.पी.कष्यप अधिष्ठाता कृषि संकाय एवं प्राध्यापक डाँ.जी.एस.तोमर आयोजन सचिव थे ।
ज्ञात हो  कृषि शिक्षा को  व्यवहारिक एवं रोजगार मूलक बनाने के  उद्देश्य से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली ने देश के  सभी राज्य कृषि विश्वविद्यालयो  के  स्नातक पाठ्यक्रम में ग्राम्य कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम (रावे) को  अनिवार्य रूप से लागू करने दिशा निर्देश जारी किये है । इसी तारतम्य में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने स्नातक शिक्षा में यह योजना संलालित कर दी है । इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के  तहत बी.एससी.(कृषि व उद्यानिकी) और  बी.टेक.(कृषि अभियांत्रिकीय) में अध्ययनरत अंतिम वर्ष के  छात्र-छात्राओ  को  छःमाह के  लिए गांव में रहकर किसानो  के  साथ मिलकर कार्य करना होता है तथा कृषि शोध और तकनीकी पर आधारित किसानो  के  खेत पर जीवंत प्रदर्शन, कृषक प्रशिक्षण और  कृषि सूचना केन्द्र स्थापित करना होता है । इसके  अलावा छात्र-छात्राओ  को  कृषि आधारित उद्यम केन्द्रो, अनुसंधान प्रक्षेत्रों  ओर कृषि विज्ञान केन्द्रों  के  साथ भी संलग्न किया जाता है । सभी विद्यार्थियो  को  कार्यक्रम से सम्भतित एक प्रगति प्रतिवेदन तैयार  कर  व्यवहारिक परीक्षा में उत्तीर्ण होना होता है तभी उन्हे उपाधि प्रदान की जाती है । इससे छात्र-छात्राऑ में एक उत्तम वैज्ञानिक, शिक्षक, कृषि प्रशार कार्य कर्त्ता बनने के अलावा स्वंय का रोजगार स्थापित करने अथवा स्वंय की खेती को  समोन्नत करने आत्मविश्वास बढ़ता है  मार्गदर्शन प्राप्त होता है । वर्तमान परिवेश में कृषि क्षेत्र में नित नई चिनौतियां उभर रही है, यथा कृषि में धीमी वृद्धि दर, बढ़ती जनसंख्या व स्थिर फसल उत्पादन, जलवायु परिवर्तन आदि जिनका सामना करने  ग्राम्य कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम को  और  अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है जिसके  लिए छात्रो , वैज्ञानिको  एवं उद्यमिओ  के  मध्य विचार  विमर्ष होना चाहिए । इसी उद्धेश्य से यह एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई जिसमे अपने उदगार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि डाँ एस के पाटील ने कहा कि ग्राम्य कृषि कार्य अनुभव विश्व्विद्यालय का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है जिसके माध्यम से छात्रो को कृषि की व्याहारिक ज्ञान के अलावा गाँव किसान की वास्तविक कठिनाईओं से रूबरू होने का अवसर प्राप्त होता है जिससे वे भविष्य में खेती किसानी कि समस्याओ का निराकरण आसानी से सकते है।  इस कार्यक्रम के तहत बिभिन्न महाविद्यलाओ द्वारा किए जा रहे कार्यो कि प्रशंशा की तथा छात्रो की समस्याओ को  ध्यान से  सुना और उनके निराकरण के लिए आवश्यक पहल करने का अस्वाशन दिया। आयोजन सचिव एवं कार्यक्रम अधिकारी डॉ जी एस तोमर ने कार्यक्रम के उद्देस्य एवं भविस्य में इस कार्यक्रम को और अधिक प्रभावी बनाने अपने विचार रखे।  कार्यक्रम कि अध्यछता करते हुए डॉ ओ पी कश्यप ने बताया कि वर्त्तमान में छात्रों को भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् 700 रूपए मासिक छात्रवृति देता है जो कि बहुत कम है जिसके कारण उन्हें गाओं में रहने ठहरने में काफी असुविधा होती है, इसे बढ़ाने की जरूरत है. इस पर कुलपति जी ने सहमति जताते हुए राज्य शासन की तरफ से अतरिक्त छात्रवृति प्रदान करवाने का आस्वाशन दिया जिस पर छात्रो ने प्रसन्ता जाहिर की। छात्र-किसान और वैज्ञानिक संगोस्टी में मूल रूप से

इस कार्यक्रम की अवधारणा और प्रभावी तरीके से उसे लागू  करने पर विमर्श हुआ जिसका प्रतिवेदन भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद् और राज्य शासन को भेजा जा रहा है।  कार्यक्रम में 800 प्रतिभागी उपस्थित हुए जिन्हे प्रमाणपत्र और विश्वविद्यालय का कृषि पंचांग और अन्य साहित्य वितरित किया गया.प्रदेश के जाने माने कृषि उद्यमी श्री जीतेन्द्र चंद्राकर (महासमुंद), श्री  सुरेश चंद्रवंशी (कबीरधाम), श्री आनंद ताम्रकार (दुर्ग) तथा ग्राम जरौद के प्रगतिशील कृषक बी सरपंच श्री ईश कुमार साहू  के आलावा गडमान्य नागरिक उपस्थित थे।   विगत तीन वर्षो से ग्राम्य कृषि कार्य अनुभव कार्यक्रम को सफलता पूर्वक संचालित करने के लिए डॉक्टर गजेन्द्र सिंह तोमर, प्राध्यापक सस्य विज्ञानं एवं कार्यक्रम अधिकारी, कृषि महाविद्यालय, रायपुर को  प्रसस्ति प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया।  वरिस्ठ प्राध्यापक डा एस के टांक ने आभार प्रस्ताव रखा.

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