डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर
प्रोफ़ेसर (सस्यविज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय,कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,
कोडार रिसोर्ट, कांपा, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
भारत में गन्ने की खेती लगभग 5 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है तथा इसकी औसत उत्पादकता 70 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास है। देश में लगभग 50 मिलियन गन्ना किसान तथा उनके परिवार अपने जीविकोपार्जन के लिए इस फसल व इस पर आधारित चीनी-गुड़ उद्यग से सीधे जुड़े हुए है। गन्ना उत्पादन में पेड़ी फसल का विशेष महत्त्व है, क्योंकि गन्ने का भारत में गन्ने के कुल क्षेत्रफल में से आधे क्षेत्रफल (50-55 %) में गन्ने की पेड़ी फसल ली जाती है। शीघ्र परिपक्व होने के कारण पेड़ी फसल की कटाई एवं पिराई पहले होती है। पेड़ी गन्ने के रस में चीनी परता अधिक होता है परन्तु औसत उत्पादकता मुख्य फसल से 20-25 प्रतिशत कम आती है। दरअसल गन्ना उत्पादन में फसल अवशेष प्रबंधन सबसे बड़ी समस्या है। गन्ना कटाई के बाद खेत में लगभग 8-10 टन प्रति हेक्टेयर गन्ने की सूखी पत्तियां खेत में रह जाती है. पेड़ी फसल वाले खेत में उर्वरक एवं सिंचाई देने में काफी परेशानी होती है जिसके कारण किसान फसल अवशेष जला देते है। एक तो फसल अवशेष जलाने से भूमि की उर्वरा शक्ति में कमीं होती है तो दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषित हो जाता है। गन्ने से अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने में गन्ना कल्लों की अधिक मृत्यु दर, पोषक तत्वों की निम्न उपयोग दक्षता, गन्ने की सूखी पातियों एवं अवशेष का कुप्रबंधन प्रमुख बाधक कारक है।
पेड़ी गन्ना फसल के बेहतर प्रबंधन के लिए अद्भुत सोर्फ़ मशीन फोटो साभार गूगल |
1.सोर्फ़ मशीन ट्रेश (फसल अवशेष,पत्ती) आच्छादित खेत में भी रासायनिक उर्वरकों को पेड़ी गन्ने की जड़ों के पास (मृदा के अन्दर) स्थापित करने में सक्षम है।
2.यह मशीन गन्ना काटने के बाद खेत में शेष बचे हुए ठूठों (स्टबल) को भूमि की सतह के पास से एक सामन रूप से काटने के लिए उपयुक्त है।
3.इस मशीन द्वारा गन्ने की पुरानी मेंड़ों (रेज्ड बेड) की मिट्टी को बगल से आंशिक रूप से काटकर (ऑफ़ बारिंग) उसको दो मेंड़ों के बीच पड़ी ट्रेश के ऊपर डाल दिया जाता है जिससे अवशेष (ट्रेश) के शीघ्र अपघटन (सड़ने) में मदद मिलती है।
4.सोर्फ़ मशीन द्वारा पेड़ी गन्ने की पुरानी जड़ों को बगल से कर्तन कर दिया जाता है जिससे नई जड़ों का विकास होता है जो पानी और पोषक तत्वों के अवशोषण बढ़ाने में सहायक होती है। इससे पेड़ी गन्ने में कल्लों (टिलर) की संख्या व उपज में बढ़ोत्तरी होती है।
सोर्फ़ मशीन के फायदे
Øपेड़ी गन्ने की उपज बढाने के लिए विशेष फसल प्रबंधन कार्यो का समय पर निष्पादन होता है.
Øपत्ती-फसल अवशेष (ट्रेश) आच्छादित खेत में भी रासायनिक उर्वरकों का भूमि में स्थापन संभव होता है।
Øस्वस्थ कल्लों की संख्या में वृद्धि होती है जिससे पेड़ी गन्ने की उपज में 10-38 प्रतिशत तक बढ़ोत्तरी होती है।
Øप्रति हेक्टेयर 27 से 50 हजार रूपये तक शुद्ध मुनाफे में इजाफा होता है जिससे लाभ:लागत अनुपात में 12-13 प्रतिशत तक बढ़त होती है।
Øइस मशीन के प्रयोग से 20-25 % उर्वरक वचत तथा 6-21 % सिंचाई जल की बचत होती है. इस प्रकार उर्वरक उपयोग दक्षता तथा जल उपयोग क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
Øपौधों की जड़ कर्तन (कटिंग) से अधिक मात्रा में स्वस्थ जड़ों का विकास होने से अल्प अवधि के सूखे से होने वाले दुष्प्रभावों से फसल की सुरक्षा होती है।
Øयह पर्यावरण हितकारी तकनीक है जिसके तहत नत्रजन धारी उर्वरक का भूमि में स्थापन होने अमोनिया उत्सर्जन में कमीं होती है तथा ट्रेश (फसल अवशेष) जलाने से होने वाले पर्यावरणीय दुष्प्रभावों से छुटकारा मिलता है ।
मुख्य गन्ना फसल
की कटाई के पश्चात गन्ने की पेड़ी फसल के
बेहतर प्रबंधन के लिए किसान भाई उपरोक्त सोर्फ़ मशीन का उपयोग कर 3-4 पेड़ी फसल लेकर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते है। इस मशीन के उपयोग से एक तरफ गन्ना उपज में बढ़ोत्तरी होती है तो दूसरी ओर
किसानों को शीघ्र फसल प्राप्त होने से आर्थिक लाभ भी होता है।
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