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गुरुवार, 8 अप्रैल 2021

चावल प्रसंस्करण की पुरानी पद्धति-ढेंकी के दिन फिर लौटे

डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर,

प्रोफेसर, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र,

कांपा, महासमुंद (छत्तीशगढ़(

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ढेंकी से धान कूटने की पुरातन पद्धति से तैयार पौष्टिक एवं स्वादिष्ट चावल

पुरानी पद्धति ढेंकी से चावल प्रसंस्करण फोटो साभार गूगल 

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छत्तीशगढ़ सहित पड़ौसी राज्य ओडिशा, झारखंड, मध्यप्रदेश के गांवों में ढेंकी (धान को कूटकर चावल निकालने का लकड़ी का यंत्र) से धान कुटने की पुरानी परंपरा रही हैं. पहले गांव के प्रत्येक घरों में ढेंकी हुआ करती थी. गांव में सुबह तीन बजे से ही गांव के घरों में ढंके की ढक-ढक आवाज सुनने को मिलती थी. इसकी आवाज सुनकर ही लोग उठ जाते थे और अपनी दैनिक काम काज में लग जाते थे. वहीं आधुनिकता व मशीनीकरण ने ढेंकी से धान कूटने कर परंपरा पर अंकुश लगा दिया था। अब प्रत्येक गांव में मात्र दो-चार ही ढेंकी रह गयी हैं. इस तरह ढेंकी आज प्रायः विलुप्त होने की कगार पर पहुंचने वाली ढेंकी पद्धति के दिन फिर गए है और बाजार में हाथ से कूटे चावल की मांग बढ़ने से अब अनेक ग्रामों में महिलाएं समूह बनाकर ढेंकी से केधान का प्रसंस्करण कर खाशा मुनाफा कमाने लगी हैं.

देशी पद्धति से चावल प्रसंस्करण  के काम में  प्रदेश में अनेक महिला स्वसहायता समूह  ढेंकी से धान कुटाई कर चावल निकाल रहे हैं. एक दिन में एक महिला 15 से 18 किलो धान का प्रसंस्करण कर लेती है। ढेंकी चलाने वाली महिलाओं को 10-12 रुपये प्रति किलो चावल के हिसाब से मेहताना मिल जाता है। महिलाए 30 रुपए से 35 रुपए किलो तक धान खरीदकर ढेंकी से तैयार चावल को 60 से 90 रुपये प्रति किलो के भाव से बेच रही है. इस कार्य में प्राप्त लाभार्जन सदस्यों में वितरित कर दिया जाता है। ग्रामीण महिला समूह के लिए ढेंकी पद्दति से धान प्रसंस्करण इकाई जीविकोपार्जन का सर्वोत्तम साधन सिध्द हो रही है।

छत्तीशगढ़ के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण क्षेत्रों में अपने भ्रमण के दौरान ढेंकी चावल का स्वाद लिया तथा प्रसंशा करते हुए अपने संबोधन में ढेंकी पद्दति से चावल के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिये गांव के हर घर में इस परंपरागत पद्धति को अपनाने पर जोर दिया, जिससे घर बैठे रोजगार के साथ-साथ लोगों को पोषक तत्वों से परिपूर्ण विशुद्ध चावल भी मिलेगा। ज्ञात हो कि आधुनिक मिलों द्वारा प्रसंस्कृत चावल की अपेक्षा देशी पद्दति से प्रसंस्कृत चावल पौष्टिक होने के साथ साथ स्वाद में भी उम्दा होता है। विटामिन ए के साथ ही अन्य पोषक तत्व भी  रहते है।

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