डॉ.गजेन्द्र सिंह
तोमर, प्राध्यापक (सस्य विज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि
विश्व विद्यालय, कृषि महाविद्यालय, कांपा,
महासमुंद (छत्तीसगढ़)
कैथ को संस्कृत
में कपित्थ व गंध फल, अंग्रेजी में वुड
ऐप्पल व मंकी फ्रूट और वनस्पति शास्त्र में लिमोनिया एसिडिसिमाके नाम से भी जाना
जाता है। बेल के पेड़ जैसा दिखने वाला कैथा एक पर्णपाती वृक्ष हैं जो जंगलों और बीहड़ में बहुतायत में पाए जाते हैं। इसकी शाखाओं पर
नुकीले कांटे पाई जाते है। इसकी पत्तियों को मसलने से नीबू जैसी महक आती है। कैथा
में हरे-पीले लाल रंग के पुष्प गुच्छो में आते है. कैंथा फल बेल फल जैसा दिखता है। इसका कच्चा फल सफेद मिश्रित हरे रंग का और पका फल भूरे रंग का होता है। पके फलों
का गूदा खट्टा-हल्का मीठा होता है जिसके अन्दर अनेक बीज पाए जाते है।
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कैंथ के फूल-फल (फोटो साभार गूगल |
कैंथा फल में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी, विटामिन
सी, थियामिन और राइबोफ्लेविन के साथ-साथ खनिज लवण (आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और ज़िंक) प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसलिए यह फल स्वास्थ्य के लिए
बेहद लाभकारी माना जाता है. कैंथा की छाल, पत्ती एवं जड़ का उपयोग विभिन्न प्रकार
के रोगों के उपचार में प्रयुक्त किये जाते है। इसके फल शरीर में ठंडक पहुचाने के
साथ साथ कोलेस्ट्राल व ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है. रक्त विकार
और कब्ज की समस्या दूर करने में सहायक होता है.इसकी पत्तियों का काढ़ा कोलेस्ट्रॉल
के स्तर को कम करने में सहायक माना जाता है। इसकी पत्तियों से निकाले गए तेल का
प्रयोग खाज-खुजली एवं अन्य रोगों के उपचार में लाभकारी माना जाता है। इसकी जड़ से बना
काढ़ा ह्रदय रोग के लिए लाभकारी माना जाता है. कैंथ से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ जैसे जैम, जेली, अमावट, शर्बत, चॉकलेट और चटनी
तैयार की जाती है। कैंथा के पेड़ के तने और शाखाओं में फेरोनी नामक गोंद पाया जाता
है जिसके सेवन से शरीर में शर्करा लेवल नियंत्रित करने में मदद मिलती है.
ग्रीष्मकाल में कैंथ फल का सेवन शरीर में ऊर्जा एवं स्फूर्ति बनाये रखने में मदद
करता है। आयुर्वेद में कैंथ को पेट रोगों का विशेषज्ञ मन गया है। कैंथ का शरबत स्फूर्तिदायक एवं स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसके फल की चटनी एवं सुखाकर बनाया गया चूर्ण भी लाभदायक माना जाता है। कैंथ की लकड़ी हल्की भूरी, कठोर और
टिकाऊ होती है। कैंथ के पेड़ों में सूखा सहने की अद्भुत क्षमता होती है। खेत की मेंड़ों और बंजर भूमि में कैंथ का रोपण कर आर्थिक लाभ उठाया जा सकता है।
जंगलों के विनाश एवं पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण बहुपयोगी कैंथ वृक्ष आज विलुप्ति के कगार पर है। अतः किसान भाइयों एवं प्रकृति प्रेमियों को कैंथ के वृक्ष रोपण एवं उनके पालन पोषण में अग्रणी भूमिका निभाने की आवश्यकता है ताकि प्रकृति की अमूल्य धरोहर कैंथ के पेड़ों का विस्तार हो सके।
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