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गुरुवार, 26 जनवरी 2023

वास्तविक सम्मान के हकदार भारत के अन्नदाताओं को पद्मश्री पुरस्कार-2023

 

डॉ गजेन्द्र सिंह तोमर, प्रोफ़ेसर,

कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, महासमुंद

कृषि प्रधान  भारत की अर्थव्यवस्था की बुनियाद एवं  बहुसंख्यक किसानों के जीवन की धुरी न केवल भारत की जनता बल्कि विश्व के बहुतेरे देशों का भरण पोषण कर रही है. खेती-किसानी  अब महज फसलों की बुआई एवं कटाई तक ही सीमित नहीं रह गई, बल्कि अपने हुनर एवं नवाचारों के माध्यम से  देश के किसानों ने खेती के माइने ही बदल दिए है. अनेक किसानों ने प्राकृतिक एवं पारंपरिक खेती, प्राचीन बीजों का संरक्षण एवं संवर्धन तथा नावोन्वेशी कृषि तकनीकों के क्षेत्र में नित-नई सफलता अर्जित कर भारत का नाम रोशन किया है. असंख्य नवाचारी किसानों में अग्रणी अन्नदाताओं को भारत सरकार ने बीते कुछ वर्षों से पदम् पुरुस्कार से सम्मानित करने का श्रेष्ठ कार्य किया है. इस वर्ष कृषि के क्षेत्र में अपना जीवन खपाकर उल्लेखनीय एवं अनुकरणीय कार्य करने वाले चार किसानों को भारत सरकार ने पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करने का निर्णय लिया है. वास्तव में यह देश के सभी किसानों एवं कृषि क्षेत्र की उन्नति-प्रगति में संलग्न कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि अधिकारीयों के लिए भी सम्मान है. अपने विचारों एवं कार्यों से कृषि क्षेत्र में बदलाव एवं विकास की गाथा लिखने वाले ये  किसान न केवल  अन्य किसानों बल्कि कृषि वैज्ञानिकों एवं युवाओं के लिए प्रेरणास्त्रोत बन जाते है. इनकी सतत मेहनत एवं तपस्या को हम नमन करते है  इस वर्ष 2023 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कियें जाने वाले किसान भाइयों का संक्षिप्त परिचय अग्र प्रस्तुत है.


1.सिक्किम के  श्री तुला राम उप्रेती

आज सिक्किम पूरी दुनिया में ऑर्गेनिक स्टेट के रूप में उभर कर में अपनी खास पहचान बना चुका हैं. इसका पूरा श्रेय प्रदेश के किसानों को जाता है.  सिक्किम के पाकयोंग जिले के रहने वाले  98 वर्षीय प्रगतिशील किसान  श्री तुला राम उप्रेती ने सिद्ध कर दिया कि इंसान में यदि  काम करने का और कुछ नया कर दिखाने का जज्बा हो तो उम्र का कोई बंधन नहीं होता है. उन्होंने अपना  पूरा जीवन जैविक खेती के  प्रयोग करते हुए कई प्रतिमान स्थापित किये है. श्री उप्रेती जी ने न केवल स्वयं  प्राकृतिक खेती को अपनाया बल्कि राज्य के तमाम किसानों को जैविक खेती-प्राकृतिक खेती के बारे में शिक्षित-प्रशिक्षित  एवं प्रेरित करने का कार्य भी किया है. बीते छः दशक से कृषि के क्षेत्र में पूरी तन्मयता से  कार्यरत रहते हुए जैविक खेती के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान के लिए श्री तुला राम जी को  इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा जा रहा है. वे पूरे भारत में जैविक खेती में संलग्न किसानों एवं वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए है.

2.केरल में धान के संरक्षक श्री चेरुवयल रामन

धान की औषधीय, जलवायु परिवर्तन के लिए प्रतिरोधी और खास देसी किस्में पहले से ही मौजूद हैं. इनमें से कई विलु्प्ति की कगार पर हैं. उन्होंने धान की सैकड़ों वर्ष पुरानी 54 प्रजातियों का संरक्षण किया है.  केरल के वायनाड में 1960 से खेती में खप रहे आदिवासी किसान श्री रामन को 2013 में पौधों की किस्मों के संरक्षण एवं किसान अधिकार प्राधिकरण से जीनोम सेवियर अवार्डभी मिल चुका है। चावल की स्थानीय किस्मों के संरक्षण, संवर्धन एवं उपयोग पर वे किसानों को प्रशिक्षित भी करते है. प्रगतिशील किसान श्री चेरुवयल रामन के धान की प्राचीन किस्मों के संरक्षण एवं संवर्धन के क्षेत्र में अद्वितीय एवं अनुकरणीय योगदान के लिए इस वर्ष पद्मश्री पुरस्कार से समानित किया जा रहा है. वे देश के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए है.

3. उड़ीसा के किसान पटायत साहू

उड़ीसा के कालाहांडी के नांदोल में रहने वाले 65 वर्षीय किसान श्री पटायत साहू विगत के क्षेत्र में अनूठा काम कर रहे हैं. उन्होंने 40 वर्ष पूर्व औषधिय पौधों का रोपण प्रारंभ किया. आज इनके पास 3,000 बहुमूल्य औषधि पौधों का संकलन है. वे अपनी डेढ़ एकड़ की भूमि पर जैविक पद्धति से औषधिय पेड़ पौधों की खेती करते है. श्री पटायत जी अपने पिताजी से विरासत में मिले ज्ञान, अपने प्रयोग एवं अनुभव से औषधिय पौधों पर किताब भी प्रकाशित कर चुके है. पेशे से किसान श्री साहूजी बीमार ग्रामीणों का उपचार भी करते है.प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी ‘मन कि बात’ में उनके प्रयासों कि सराहना की है. श्री पटायत साहू आज औषधिय पेड़ पौधों की खेती में जुटे तमाम किसानों, वैज्ञानिकों एवं उधमियों के लिए प्रेरणास्त्रोत है.

4. हिमाचल प्रदेश के श्री नेकराम शर्मा

हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी स्थित नाजगाँव के  दसवीं कक्षा तक पढ़े एवं साधारण किसान  श्री नेकराम शर्मा 1993 से देशी अनाज के बीजों को संरक्षि‍त करने का अभिनव काम कर रहे हैं. उन्होंने अपने बीज बैंक में 40 तरह के प्राचीन अनाजों को संरक्षि‍त  कर एक बीज बैंक स्थापित की है जिसमें चावल, मक्का,गेहूं, चौलाई, राजमा, सोयाबीन, चीना, कोदो, बाजरा, व ज्वार की देशी प्रजातियां सम्मलित है.  देशी अनाजों के बीज संरक्षण की दिशा में अभी तक वे 6 राज्यों के 10 हजार किसानों  को निःशुल्क बीज बांट चुके हैं. इसके  अलावा श्री नेकराम जी ने ‘नौ अनाज’ की पारंपरिक फसल प्रणाली को  पुनर्जीवित कर आज के किसानों को नई दिशा दी है. यही नहीं, वे रसायन मुक्त-जैविक खेती के  लिए देश के अन्य किसानों  को भी प्रेरित  कर चुके हैं. लुप्त होती फसलों एवं उनकी प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन में  देश के किसानों एवं वैज्ञानिकों  को श्री नेक राम जी से प्रेरणा लेकर निरंतर कार्य करते रहने की आवश्यकता है.

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