डॉ गजेन्द सिंह तोमर
प्रोफ़ेसर (सस्य विज्ञान)
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र,
काँपा, महासमुंद
अनार को संस्कृत में रक्तपुष्पक, दाड़िम, अंग्रेजी में पोमग्रेनेट एवं वनस्पति शास्त्र में प्यूनिका ग्रैनेटम् कहते है, जो प्यूनिकैसी कुल का अनेक तनों वाला झाड़ीनुमा पेड़ है. इसके पेड़ 15-20 फीट ऊंचे होते है.
अनार पौष्टिक गुणों से परिपूर्ण, स्वादिष्ट, रसीला एवं मीठा फल है जिसके बारे में विश्व के तीन धर्म अर्थात हिन्दू, इस्लाम एवं ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथों में विवरण मिलता है. हमारे हिन्दू धर्म ग्रन्थों में अनार के पौधे में विष्णु-लक्ष्मी का वास तथा इसे उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. आनर के लाल रंग के सुन्दर फूल तथा आकर्षक फल गृह वाटिका को सुशोभित करते है. एक अनार सौ बीमार कहावत से ही सिद्ध होता है, कि अनार स्वास्थ्य के लिए विशेष लाभकारी है.
खनिज एवं विटामिन की प्रचुर मात्रा होने से अनार के फल रोगियों के आहार के लिए सर्वश्रेष्ठ माने जाते है. अनार के प्रति 100 ग्राम फल में 6 ग्राम प्रोटीन, 0.1 ग्राम खनिज, 5.1 ग्राम रेशा, 14.5 मिग्रा कैल्शियम, 70 मिग्रा फॉस्फोरस, 0.3 मिग्रा आयरन, 0.1 मिग्रा राइबोफ्लेविन, 0.3 मिग्रा नियासिन, 16 मिग्रा विटामिन सी पाया जाता है. अनार के पके फल का रस मधुर तथा स्वास्थ्यवर्धक होता है. ग्रीष्मऋतू में अनार के रस का शर्बत स्फूर्तिदायक होता है. इसके फल या जूस शरीर में खून की कमीं को पूरा कर कमजोरी को दूर करता है. आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में दीर्ध जीवन एवं उत्तम स्वास्थ्य के लिए अनार को औषधि माना गया है. अनार के फल सेवन करने से उदर के रोग व विकार दूर होते है तथा शरीर में रक्त शोधन कार्य अच्छी प्रकार से होता है. अनार ह्रदय को स्वस्थ बनाये रखने एवं ब्लड सर्कुलेशन को बेहतर बनाने में सहायक होता है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मदद करता है. होम्योपैथी तथा यूनानी चिकित्सा पद्धतियां भी रोग मुक्ति के लिए अनार के फल को प्रकृति का बहुमूल्य उपहार मानती है. रोगियों, बच्चो तथा वृद्धजनों के लिए इसका फल एक समुचित आहार है. फल के छिलके चूसने से खांसी में लाभ मिलता है. इसके छिलकों को पानी में उबाल कर निकाला गया रस बच्चो के उदर कृमियों को नष्ट करने में सहायक होता है. दांतों से रक्त स्त्राव होने पर सूखे फूलों का मंजन करना लाभदायक होता है. अनार के फलों से स्वादिष्ट पेय तथा जैली भी बनाई जाती है.
अनार की खेती असिंचित एवं सिंचित दशा में आसानी से की जा सकती है. इसकी व्यवसायिक खेती बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो रही है.
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