स्वास्थ्य और समृद्धि का आधार बन सकते है खरपतवार
डॉ.जी.एस.तोमर, प्रोफ़ेसर (एग्रोनोमी)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय,
राज मोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय
एवं अनुसंधान केंद्र, 
                                                        अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)
ऐसा
कोई अक्षर नहीं जिससे मन्त्र न बने और संसार में ऐसी कोई वनस्पति नहीं, जिसमे कोई
औषधीय गुण न हो।  सृष्टि की प्रत्येक वनस्पति में औषधीय गुण विद्यमान होते है, जो
किसी न किसी रोग में, किसी न किसी रूप में और किसी न किसी स्थिति में प्रयुक्त
होती है।  बस जरुरत है इन्हें पहचानने  और इनके सरंक्षण -सवर्धन हेतु उचित उपाय करने की ।  हमारे देश में
जलवायु, मौसम और भूमि के अनुसार अलग-अलग प्रदेशों में विभिन्न प्रकार की
जड़ी-बूटियाँ पाई जाती है।  वर्मान में हमारे देश में 500 से अधिक पादप प्रजातियों
का औषध रूप में प्रयोग किया जा रहा है।  इनमे से बहुत सी बहुपयोगी वनस्पतियाँ बिना
बोये फसल के साथ स्वमेव उग आती है, उन्हें हम खरपतवार समझ कर या तो उखाड़ फेंकते है
या फिर  शाकनाशी दवाओं का छिडकाव कर नष्ट
कर देते है।  जनसँख्या दबाव,सघन खेती, वनों के अंधाधुंध कटान, जलवायु परिवर्तन और
रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से आज बहुत सी उपयोगी वनस्पतीयां विलुप्त होने की कगार
पर है।  आज आवश्यकता है की हम औषधीय उपयोग की जैव सम्पदा का सरंक्षण और प्रवर्धन
करने किसानों और ग्रामीण क्षेत्रों में जन जागृति पैदा करें ताकि हम अपनी
परम्परागत घरेलू चिकित्सा (आयुर्वेदिक) पद्धति में प्रयोग की जाने वाली वनस्पतियों
को विलुप्त होने से बचा सकें।  यहाँ हम कुछ उपयोगी खरपतवारों के नाम और उनके प्रयोग
से संभावित रोग निवारण की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत कर रहे है ताकि उन्हें पहचान
कर सरंक्षित किया जा सके और उनका स्वास्थ्य लाभ हेतु उपयोग किया जा सकें।  आप के
खेत, बाड़ी, सड़क किनारे अथवा बंजर भूमियों में प्राकृतिक रूप से उगने वाली इन
वनस्पतियों के शाक, बीज और जड़ों को एकत्रित कर आयुर्वेदिक/देशी दवा विक्रेताओं को
बेच कर आप मुनाफा अर्जित कर सकते है।  फसलों के साथ उगी इन वनस्पतियों/खरपतवारों का
जैविक अथवा सस्य विधियों के माध्यम से नियंत्रण किया जाना चाहिए।  शाकनाशियों के
माध्यम से इन्हें नियंत्रित करने में ये उपयोगी वनस्पतियाँ विलुप्त हो सकती है। भारत के विभिन्न प्रदेशों की मृदा एवं जलवायुविक परिस्थियों में उगने/पाए जाने वाले कुछ बहुपयोगी खरपतवार/वनस्पतियों की संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत है. 
हिंदी
  नाम  
 | 
  
अंग्रेजी
  नाम  
 | 
  
वानस्पतिक
  नाम एवं कुल   
 | 
  
औषधीय
  उपयोग  
 | 
 
भुई
  आंवला, भूधात्री,बहुपत्र  
 | 
  
Phyllanthus
  amarus, Euphorbiaceae 
 | 
  
कफ,
  पित्त नाशक, पीलिया,बुखार, दस्त, घाव भरने में उपयोगी  
 | 
 |
अपराजिता
   
 | 
  
Blue
  Clitoria flower  
 | 
  
Clitoria
  ternatea Linn (Blue), Fabaceae 
 | 
  
चर्म
  रोग,सांस, अस्थमा, टी.बी., माइग्रेन के उपचार में इस्तेमाल   
 | 
 
सत्यानाशी
   
 | 
  
Prickly
  poppy  
 | 
  
Argemone
  mexicana Linn., Papaveraceae 
 | 
  
चर्म
  रोग, दस्त,,मलेरिया बुखार आदि में उपयोगी  
 | 
 
सहदेवी
   
 | 
  
Goat
  weed 
 | 
  
Ageratum
  conyzoides Linn, Asteraceae 
 | 
  
कटने
  पर, घाव, उल्सेर, किडनी पथरी, आँखों के रोग में प्रयोग  
 | 
 
हुल-हुल,
  हुर हुर   
 | 
  
Sticky
  cleome 
 | 
  
Cleome
  viscosa Linn, Capparacea 
 | 
  
कफ
  नाशक,पेट के कीड़े,पेट रोग, डायरिया, बुखार के उपचार में इस्तेमाल  
 | 
 
बरभांटा
   
 | 
  
Poison
  berry 
 | 
  
Solanum
  indicum, Solanaceae 
 | 
  
चर्म
  रोग,बुखार, कफ, अस्थमा,मोटापा, दस्त आदि के उपचार हेतु  
 | 
 
चिरपोटी,
  रसभरी  
 | 
  
Country
  gooseberry  
 | 
  
Physalis
  minima Linn., Solanacea 
 | 
  
कमजोरी,
  कफ,अल्सर के उपचार में प्रयोग   
 | 
 
मकोय,काकमाची
   
 | 
  
Black
  night shade 
 | 
  
Solanum
  nigrum L.,  
 Solanacea 
 | 
  
सूजन,कफ,अस्थमा,आर्थराइटिस,
  चर्म रोग आदि में इस्तेमाल   
 | 
 
कंघी,
  अतिबला  
 | 
  
Country
  mallow  
 | 
  
Abutilon
  indicum Sw. Malvaceae 
 | 
  
वात,पित्त
  नाशक,उल्टी आदि समस्याओं में उपयोगी   
 | 
 
दवन
  पत्ता, पितपपरा  
 | 
  
Hedyotis corymbosa  
 | 
  
Hedyotis
  corymbosa (Linn.), Rubiaceae 
 | 
  
बुखार,
  तनाव, पीलिया, दस्त, चर्म रोग,कफ, सांस रोग में उपयोगी  
 | 
 
सरपोंखा,
  जंगली नील  
 | 
  
Wild
  indigo 
 | 
  
Tephrosia purpurea (Linn.) Fabaceae
   
 | 
  
कफ,
  वात नाशक, चर्म  रोग, पीलिया, बुखार,
  एनीमिया रोग में इस्तेमाल   
 | 
 
बला,
  जंगली मेहदी  
 | 
  
Common
  sida  
 | 
  
Sida
  retusa (Linn.), Malvaceae  
 | 
  
अस्थमा,
  कफ,बुखार के उपचार में प्रयोग   
 | 
 
कन्कम्बर,
  पिलवासा, वज्रदंती   
 | 
  
Crossandra  
 | 
  
Barleria
  prionitis Linn. (Yellow), 
Acanthaceae 
 | 
  
 बात, पित्त नाशक,घाव भरने, जलने पर उपयोगी  
 | 
 
तोयकंदा,
  वर्षाभू  
 | 
  
Slate
  pencil plant  
 | 
  
Peperomia
  pellucida Linn., Piperacea 
 | 
  
कफ,
  पित्त नाशक,किडनी रोग, कमजोरी दूर करने में इतेमाल.  
 | 
 
लाल
  दुधि 
 | 
  
Asthma
  weed, Cats hair  
 | 
  
Euphorbia
  hirta Linn., Euphorbiacea 
 | 
  
कफ,
  पित्त नाशक,चर्म रोग,अस्थमा, बुखार आदि में उपयोगी  
 | 
 
चंगेरी,
  तिनपतिया  
 | 
  
Indian
  sorrel 
 | 
  
Oxalis
  corniculata Linn., Oxalidaceae 
 | 
  
बात,कफ
  नाशक,दस्त, डायरिया के उपचार में कारगर  
 | 
 
लाल
  चिरचिरा   
 | 
  
Small
  prickly chaff 
 | 
  
Cyathula
  prostrata, Amaranthaceae 
 | 
  
वात,
  कफ नाशक, मूत्र प्रणाली रोग, दस्त की समस्या में उपयोग   
 | 
 
अकरकरा
   
 | 
  
Pellitory  
 | 
  
Anacyclus
  pyrethrum, 
Asteraceae 
 | 
  
लकवा,
  दिमाग की कमजोरी, दांत दर्द, शिर दर्द, डायरिया, अपच, शारीरिक कमजोरी  
 | 
 
पुनर्नवा,
  गदाह्परना  
 | 
  
Hogweed,
  Pigweed  
 | 
  
Boerhaavia
  diffusa Linn., Nyctaginaceae 
 | 
  
वात,
  पित्त नाशक,ह्रदय रोग, एनीमिया,मूत्र रोग, कमजोरी आदि में उपयोगी  
 | 
 
चिरचिटा,
  अपामार्ग  
 | 
  
Prickly
  chaff-flower plan 
 | 
  
Achyranthes
  aspera Linn., Amaranthaceae 
 | 
  
वात,काफ
  नाशक, अस्थमा, सांस रोग, दर्द नाशक, उल्टी, चर्म रोग  
 | 
 
बरियारा,
  महाबला  
 | 
  
Prickly
  sida  
 | 
  
Sida
  spinosa Linn., Malvacea 
 | 
  
वात,पित्त
  नाशक, दर्द, आर्थराइटिस, अस्थमा, श्वांस रोग,बुखार, कमजोरी  
 | 
 
दिधी,
  कोविदारा   
 | 
  
Sonchus
  asper               Asteraceae  
 | 
  
पौधे
  के रस को घाव, चोट लगने पर मल्हम जैसे लगाते है  
 | 
 |
बरेला,
  लाल बरेला, हस्तिबला  
 | 
  
Wild
  mallow 
 | 
  
Sida
  rhombifolia Linn., Malvaceae  
 | 
  
वात,पित्त
  नाशक, दर्द निवारक, अठमा, आर्थराइटिस, स्वांस रोग, मूत्र रोग 
 | 
 
बन
  तुलसी  
 | 
  
Holy
  basil  
 | 
  
Ocimum
  americanum Linn., Lamiaceae 
 | 
  
वात,कफ
  नाशक,उल्टी,बुखार, लेप्रोसी,माइग्रेन के इलाज में उपयोगी   
 | 
 
कटेली,भटकटैया,कंटकारी
   
 | 
  
Thorny
  Nightshade 
 | 
  
Solanum
  virginianum, Solanaceae  
 | 
  
पेट
  और लीवर की समस्या  को दूर करने में
  इस्तेमाल  
 | 
 
हिरनखुरी
   
 | 
  
Emilia
  sonchifolia 
 | 
  
Emilia
  sonchifolia (L), Asteraceae 
 | 
  
कफ,
  वात नाशक,आँख रोग, पेट के कीड़े, अल्सर, बुखार,एलर्जी  
 | 
 
सहदेवी,
  सदोदि  
 | 
  
Ash
  colored fleabane  
 | 
  
Vernonia
  cinerea (L.)  Asteraceae  
 | 
  
वात,
  पित्त नाशक, पेट दर्द,डायरिया, बुखार, दाद, खुजली,चर्म रोग, आँख रोग  
 | 
 
कुंजिया, 
 | 
  
Aramina
   
 | 
  
Urena
  lobata L., Malvacea 
 | 
  
वात,कफ
  नाशक,स्वांस रोग,सूखी खांसी, अस्थमा, आर्थराइटिस, कमजोरी . 
 | 
 
तिनपतिया,अमल्पत्त्री 
 | 
  
Indian
  red sorrel, Wood sorrel 
 | 
  
Oxalis
  violacea L. Oxalidacea 
 | 
  
वात,कफ
  नाशक, दस्त, डायरिया. भाजी के रूप में प्रयोग  
 | 
 
गुमा,
  कांजी  
 | 
  
Pholmis
   
 | 
  
Urtica
  parviflora Roxb., Urticacea 
 | 
  
पित्त
  दोष नाशक, बुखार, आर्थराइटिस,मलेरिया. मुलायम पत्तियों की भाजी खाई जाती है. 
 | 
 
बड़ी
  नोनी, नोनिया  
 | 
  
Common
  purslane  
 | 
  
Portulaca
  oleracea. Portulacaceae 
 | 
  
वात,पित्त
  दोष नाशक, पीलिया, मधुमेह, शिर दर्द, उल्टी,दस्त, चर्म रोग  
 | 
 
गोखरू
   
 | 
  
Puncture
  vine 
 | 
  
Tribulus
  terrestris L. Zygophyllaceae 
 | 
  
वात,पित्त
  रोग नाशक,मूत्र रोग,शारीरिक कमजोरी,कफ, अस्थमा, एनीमिया, दस्त  
 | 
 
गोरखमुंडी
   
 | 
  
East
  Indian globe thistle  
 | 
  
Sphaeranthus
  indicus L., Asteraceae 
 | 
  
वात,पित्त
  दोष,माइग्रेन, पीलिया, बुखार, कफ, बुद्धि वर्धक टोनिक, चर्म रोग  
 | 
 
भंगरा 
 | 
  
Trailing
  eclipta  
 | 
  
Eclipse
  prostrata (Linn), Asteraceae 
 | 
  
वात,पित्त
  दोष, दर्द निवारक,बालों को स्वस्थ काला, लिवर टोनिक,अल्सर, आँख की रौशनी बढ़ाने
  के लिए इस्तेमाल  
 | 
 
चकोड़ा,
  चकवद,चक्रमर्द   
 | 
  
Fetid
  cassia  
 | 
  
Cassia
  tora L.,                              Caesalpiniaceae  
 | 
  
त्रिदोष
  नाशक,चर्म रोग,बालों की रूसी,दस्त, कफ, बुखार निवारण में उपयोगी   
 | 
 
दादमर्दन
   
 | 
  
Ringworm
  shrub 
 | 
  
Cassia
  alata L.                    ,Caesalpiniaceae  
 | 
  
कफ,पित्त
  नाशक,दाद-खुजली, कफ, अस्थमा, चर्म रोग,पेट के कीड़े, दस्त, कमजोरी दूर करने हेतु
  प्रयोग  
 | 
 
ब्राह्मी,
  सीताकामिनी 
 | 
  
Brahmi  
 | 
  
Bacopa
  monnieri (L.) Scrophulariaceae 
 | 
  
वात,पित्त
  दोष, चर्म  रोग,मस्तिष्क रोग, शारीरिक
  कमजोरी,अल्सर की समस्या निवारण हेतु उपयोग में उपयोगी  
 | 
 
गरुन्डी
   
 | 
  
Sessile
  Joyweed  
 | 
  
Alternanthera
  sessilis,                  Amaranthaceae 
 | 
  
आँखों
  की परेशानी, खुनी उल्टी, फोड़े-फुंसी के उपचार में प्रयोग   
 | 
 
छोटा
  हल्कुशा, द्रौणपुष्पी   
 | 
  
Tumbe
   
 | 
  
Leucas
  aspera (Willd) Lamiaceae 
 | 
  
कफ,पित्त
  नाशक,चर्म रोग,आर्थराइटिस, कफ, बुखार, माइग्रेन, अल्सर की समस्या निवारण में
  प्रयोग  
 | 
 
प्लाव्का 
 | 
  
Water
  hyacinth 
 | 
  
Eichhornia
  crassipes (Mart) Pontederiaceae 
 | 
  
पित्त
  नाशक, सूजन, कमजोरी, जलन की समस्या होने पर कारगर  
 | 
 
छोटा
  गोखुरू, घघरा  
 | 
  
Common
  Cocklebur 
 | 
  
Xanthium
  strumarium, Asteraceae  
 | 
  
शीतल
  प्रभाव,भूख और पाचन शक्ति बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने, कीड़ों का जहर उतारने,पायरिया
  रोग में उपयोगी  
 | 
 
मोथा,
  नागर मोथा  
 | 
  
Nut
  grass  
 | 
  
Cyperus
  rotundus L. Cyperaceae 
 | 
  
कफ,पित्त
  नाशक,डायरिया,अपच,बुखार, मूत्र रोग के उपचार में प्रयोग  
 | 
 
एकपुष्पी
   
 | 
  
Coat
  button  
 | 
  
Tridax
  procumbens L.,Asteraceae 
 | 
  
पित्त
  दोष निवारक,घाव, अल्सर में लाभकारी  
 | 
 
बेमसाग,ब्रह्ममंडूकी
   
 | 
  
Indian
  pennywort  
 | 
  
Centella
  asiatica L.,Apiaceae  
 | 
  
पित्त
  दोष निवारक, अस्थमा, स्वांस रोग, पेट की समस्या, बुखार, मानसिक रोग के उपचार में
  प्रयोग   
 | 
 
पोई
   
 | 
  
Indian
  spinach 
 | 
  
Basella
  rubra L., Basellacea 
 | 
  
वात,पित्त
  दोष, चर्म रोग,अल्सर,कमजोरी को दूर करने में उपयोग   
 | 
 
नोट:  उपरोक्त सारिणी में मैंने अपने अनुभव/ज्ञान तथा विभिन्न पुस्तकों के माध्यम से कुछ उपयोगी खरपतवारों की जानकारी मात्र जन जाग्रति के उद्देश्य से प्रस्तुत की है। किसी भी रोग के निवारण हेतु हम इन वनस्पतियों की अनुसंशा नहीं करते है। सिर्फ इन वनस्पतियों के महत्त्व को दर्शाने बावत हमने कुछ औषधीय उपयोग
बताये है परन्तु बगैर चिकत्सकीय परामर्श/आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह लिए आप किसी
भी रोग निवारण के लिए इनका  प्रयोग कदाचित न करें। आप उपरोक्त खरपतवारों के सरंक्षण देकर देश की जैव विविधिता को समृद्ध बनाने में योगदान देने का पुण्य कार्य कर सकते है। 

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें