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गुरुवार, 9 जनवरी 2020

अब काले टमाटर और लाल भिन्डी की खेती से धन वर्षा

स्वाद और सेहत के लिए उम्दा काले टमाटर और
लाल भिन्डी की खेती से धन वर्षा
डॉ.गजेन्द्र सिंह तोमर,
प्रमुख वैज्ञानिक (सस्य विज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, महासमुंद (छत्तीसगढ़)
भारत में उगाई जाने वाली पौष्टिक सब्जियों में टमाटर एवं भिन्डी का महत्वपूर्ण स्थान है। टमाटर में कार्बोहाईड्रेट,प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ कैल्शियम, फॉस्फोरस, लोहा, रेशा तथा विटामिन्स प्रचुर मात्रा में पाए जाते है।  बगैर टमाटर के सब्जी और सलाद का जायका नहीं बन सकता है।  टमाटर और भिन्डी की खेती देश में वर्ष भर की जाती है।  किसानों के खेतों पर  अब लाल टमाटर और हरी भिन्डी के अलावा विदेशों में धूम मचाने वाले काले टमाटर और लाल भिन्डी की उम्दा फसल लहलहाएगी पिछले वर्ष से देश के कुछ चुनिन्दा किसान इनकी खेती करने लगे है आकर्षक रंग, लाजवाब स्वाद एवं स्वास्थवर्धक होने के कारण काले टमाटर और लाल भिन्डी को बाजार में उच्च कीमत मिलने के कारण इन नवोदित किस्मों की खेती कर किसान भाई ख़ासा मुनाफा कमा सकते है 
काले टमाटर
अभी तक हमने हरे एवं लाल टमाटर फल देखे है परन्तु अब किसानों के खेत, बाजार और रसोई में काले टमाटर देखने को मिल जायेंगे।
काले टमाटर की फसल  फोटो साभार गूगल 
काले टमाटर यानि इंडिगोरोज टोमेटो की पहली नर्सरी यूरोप में तैयार की गई थी।  इंडिगो रोज रेड और बैगनी टमाटर के बीजों को आपस में मिलाकर एक नया  बीज तैयार किया गया जिससे काला टमाटर विकसित हुआ यह बाहर से काला और अन्दर से लाल होता है। एन्थोसायनिन (बैगनी पिगमेंट) की अधिकता के कारण इस टमाटर के छिलके का रंग काला होता है। प्रारम्भ में इसका फल हरा होते है जो पकने पर नीला-काला हो जाता है। कच्चा खाने में यह न ज्यादा खट्टा और न ज्यादा मीठा, बल्कि इसका स्वाद नमकीन जैसा होता है एक अध्ययन के मुताबिक इस किस्म के फल अनेक प्रकार की बीमारियों से लड़ने में कारगर पाई गए है जैसे कैंसर, मधुमेह, कोलेस्ट्राल आदि।  इसके अलावा यह आँखों की रौशनी बढ़ाने, ह्रदय रोगों से रक्षा करने,मोटापा कम करने में, रक्तचाप के स्तर को कम करने में भी इस किस्म को उपयोगी समझा जाता है काले टमाटर में मैग्नेशियम, पोटैशियम जैसे खनिज तत्व पाए जाते है जो रक्तचाप को नियंत्रित रखते है। शरीर में फ्रीरेडिकल्स सेल्स से लड़ने की क्षमता काले टमाटर में अधिक होती है इसके रस से हार्ट ब्लाकेज को दूर किया जा सकता है। इस किस्म के टमाटर की खेती के लिए गर्म जलवायु उपयुक्त होती है ठन्डे स्थानों पर पौधे ठीक से विकसित नहीं होते है इस किस्म के टमाटर की बुवाई जनवरी माह में की जाती है और मार्च-अप्रैल में काले टमाटर प्राप्त होने लगते है।  लाल टमाटर की तुलना में काले टमाटर में सिंचाई की कम आवश्यकता होती है। इस किस्म के बीज ऑनलाइन उपलब्ध है
लाल भिन्डी
               
लाल भिंडी फसल फोटो साभार गूगल 
अभी तक हमने हरे रंग की भिंडी देखी और खाने में इस्तेमाल की थी परन्तु अब किसान भाई लाल रंग की भिंडी की  खेती कर हमारी रसोई  तक पहुँचाने वाले है। पहले लाल रंग की भिन्डी पश्चिमी देशों में मिला करती थी परन्तु अब भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी के वैज्ञानिकों ने भिंडी की नई प्रजाति
काशी लालिमाविकसित करने में सफलता पा ली है। अब लाल रंग की भिन्डी भारत के खेतों और बाजार में भी देखने को मिलने लगेगी। इस भिंडी का रंग बैगनी और लाल रंग का होता है. हरी भिंडी में पाए जाने वाले क्लोरोफिल की जगह लाल भिन्डी में एंथोसाइनिन की मात्रा होती है, जो इसके लाल रंग का कारक है । इस भिंडी की लंबाई 11-14 सेमी और व्यास 1.5 और 1.6 सेमी होता है लाल रंग की यह भिंडी एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम और जिंक सहित अन्य पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह अधिक स्वास्थवर्धक है। लाल रंग की भिंडी अब तक पश्चिमी देशों में प्रचलन में रही है और भारत में आयात होती रही है। इसकी खेती हरी भिन्डी की भांति उतनी ही लागत में की जा सकती है। इस भिन्डी को पकाकर खाने की अपेक्षा सलाद के रूप में खाना अधिक फायदेमंद होता है। लाल और हरी भिन्डी पकाए जाने के बाद स्वाद में एक जैसी लगती है। काशी लालिमा की उपज 130-150 क्विंटल तक ली जा सकती है परन्तु इसका बाजार भाव हरी भिन्डी से अधिक मिल जाता है। बाजार में लाल भिन्डी 100 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है। इस किस्म के बीज भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी अथवा अन्य लाल भिंडी किस्मों के बीज ऑनलाइन अमेजॉन या अन्य कंपनियों से क्रय किये जा सकते है। 
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