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शनिवार, 27 मई 2017

उद्यानिकी:मार्गशीर्ष-पौष (दिसम्बर) माह में बागवानी के प्रमुख कार्य


डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर,
प्राध्यापक (सस्य विज्ञान)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय, 
राज मोहनी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र, 
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़)

शीत ऋतु के इस सुहावने मौसम में मन की प्रवृति भी प्रकृति के अनुरूप ढलने लगती है। सूर्य देवता के उदय होते ही मानो जीवन में गति उत्पन्न हो जाती है। इस माह में लॉन की छटा निहारते ही बनती है। हरा-भरा घास का गलीचा और वहां बैठकर धुप शैकने का आनंद ही कुछ और रहता है। इसी माह हम क्रिशमस त्यौहार भी उत्साह से मनाते है। ठण्ड के इस मौसम में  नाना  प्रकार की हरी-भरी सब्जियां और ताजे फलों का सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है।  फूलों के राजा गुलाब  के अति सुन्दर बहुरंगी पुष्पों, गुलदावदी और ग्लेडियोलस की बहार इस मौसम में सर्वाधिक सोभायमान होकर मन मस्तिष्क को प्रफुल्लित करती है। मार्गशीर्ष-पौष अर्थात दिसम्बर माह में उद्यानिकी फसलों में सम्पादित किये जाने वाले प्रमुख कार्यों की  संक्षिप्त जानकारी अग्र प्रस्तुत है। 
                                                         सब्जियों में इस माह
v बैंगनः बैंगन की फसल की निराई-गुडाई आवश्यकतानुसार करें। फलों की तुड़ाई उचित अन्तराल पर करें। अगर फसल में फल छेदक कीड़ों का प्रकोप हो तो मेटासिस्टाक्स नामक रसायन का छिड़काव करें। बैगन में  ब्लाइट की रोकथाम हेतु मेन्कोजेब फफूंदनाशी का छिड़काव करें। बैगन की छोटी पत्ती रोग से फसल सुरक्षा हेतु टेट्रासायक्लिन प्रति जैविक का छिड़काव करें।
v फूलगोभी:  पिछेती किस्मों  के बीज तैयार नर्सरी में 10 सेमी की दूरी पर बने नालियों में बुवाई कर दें। बीज की बुवाई के तुरन्त बाद नर्सरी को सूखी घास से ढ़ककर हजारे से हल्की सिंचाई कर दें। मध्य कालीन फसल की निराई गुड़ाई तथा सिंचाई करते रहें।
v टमाटर: टमाटर की फसल की निराई करें। आवश्यकतानुसार 10-15 दिनों के अन्तर पर हल्की सिंचाई करें। पौधों को वाइरस र¨ग से बचाने के लिए मेटासिस्टाक्स नामक रसायन का 0.2 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें। अगर फसल एक महीने पुरानी हो गयी हो तो 30 किग्रा. नत्रजन का छिड़काव प्रति हैक्टेयर की दर से कर दें।
v पत्तियों वाली सब्जियां:पत्तियां वाली सब्जियां जैसे पालक, धनियां, मेंथी, सोया आदि की फसल की निराई करें। एक हल्की सिंचाई करके 40 किग्रा. नाइट्रोजन प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़क दें।
v जड़ों वाली सब्जियां:जड़ो वाली सब्जियों जैसे गाजर, मूली, शलजम आदि की हल्की सिंचाई करें। तत्पश्चात् फसल में 30 किग्रा.नत्रजन प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़क दें। फसल की निराई तथा गुड़ाई करके पौधों पर मिट्टी चढ़ा दें।
v आलू : इसकी फसल  में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें। बुआई के 35-40 दिन बाद खड़ी फसल में 50 किलोग्राम यूरिया डालें व मिट्टी चढ़ायें। फसल पर 0.2 प्रतिशत डाइथेन एम-45 का छिड़काव बोआई के 35 दिन बाद अवश्य ही करें। सिंचाई करते समय यह ध्यान रहे कि कूढ़ों में मेढों की ऊंचाई के तीन चैथाई से अधिक ऊंचा पानी नहीं भरना चाहिए।
v मटरः सब्जी वाली मटर की फसल में हल्की सिंचाई करके निराई तथा गुड़ाई करें। हरी फलियों को   बिक्रय हेतु बाजार भेजें।
                                          फलोत्पादन में इस माह
v आमः इसके वृक्षों में कीड़ों  की रोकथाम हेतु पिछले महीने यदि  ग्रीस की पुताई न की गई हो तो इस माह अवश्य करें दें। पाला पडने की सम्भावना हो तो  आम के  बाग में धुंआ करें।
v केलाः अवांछित पत्तियों को निकाल दें। यदि फल पकाने लायक हों तो घार को काटकर पकाने के लिए रखे दें। इस माह के पहले और तीसरे सप्ताह में सिंचाई करें।
v नींबू वर्गीय फलः पके फलों को तोड़कर बिक्रय हेतु बाजार भेजें। छोटे पौधों को 10 किलोग्राम गोबर की खाद और 25 ग्राम फॉस्फोरस  प्रति वर्ष के हिसाब से बढ़ाकर दें। फलदार पेड़ों में 50 किलोग्राम गोबर की सड़ी हुई   खाद और 125 ग्राम फाॅस्फोरस प्रति पेड़ के हिसाब से पेड़ के फैलाव में 20 सेमी की गहराई में डालें।
v अमरूदः फलों को तोतों  व चिड़ियों से सुरक्षा करें । पके फलों को तोड़कर बाजार भेजें। बाग की साफ सफाई करें।
v पपीताः पौधों को पाले से बचाने के लिए धुआ करें और बाग में पर्याप्त  नमी बनाएं। कच्चे फलों को टाट अथवा बोरे से ढंक दें। 200 ग्राम  सिंगल सुपर फॉस्फेट  और 125 ग्राम  म्यूरेट आफ पोटाश प्रति पौधो के हिसाब से थालों में मिलाकर दें।
v कटहलः फलदार पेड़ों में 50 किलोग्राम गोबर की खाद और 600 ग्राम फॉस्फोरस प्रति पेड़ के हिसाब से पेड़ के फैलाव में दें। 
v आंवला: फल सड़न रोग की रोकथाम हेतु 500 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 200 लीटर पानी में घोलकर एक छिड़काव करें। फलों को तोड़कर बिक्रय हेतु बाजार भेजें। बाग को साफ रखें।
v बेरः वृक्षों के  थालों की सफाई करें। पके फलों को तोड़कर बिक्रय हेतु बाजार भेजें। फलमक्खी की रोकथाम के लिए 300 मिलीलीटर डाइमेक्रान को 100 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
v लीचीः इसके  फलदार पेड़ों को 50 किलोग्राम गोबर की खाद और 600 ग्राम फाॅस्फोरस प्रति पेड़ के हिसाब से पौधों के फैलाव में 20 सेमी. की गहराई में नालियां बनाकर डालें और नालियों को मिट्टी से ढंक दें।
v अंगूरः इस महीने के अंतिम सप्ताह तक गड्डे भरने का कार्य पूरा कर लें।  इस महीने के अंतिम सप्ताह में अंगूर की एक वर्ष पुरानी मूल सहित लताएं गड्डे के बीच में लगा दें।
v फल-सब्जी संरक्षणः नीबू जाति के फलों के रस का परिरक्षण करें। अमरूद तथा टमाटर के विभिन्न उत्पाद, आवले का मुरब्बा तथा कैण्डी बनाएं। सब्जियों को सुखाकर सुरक्षित रखें।  गाजर का मुरब्बा तथा जैम और  पपीते के विभिन्न उत्पाद बनाये जा सकते है।
                                       पुष्पोत्पादन में इस माह
v गुलाब:इस माह गुलाब का सौन्दर्य चरमोत्कर्ष पर होता है. इनके पौधों को स्वास्थ्य रखने के लिए पौध सरंक्षण दवाओं का छिडकाव करें.माह के तीसरे सप्ताह पौधों में निराई-गुड़ाई कर खाद-उर्वरक देवें. पौधों में चश्मा बाँधने का कार्य भी किया जा सकता है। 
v गुलदावदी: जिन पौधों के पुष्प खिलकर सूख चुके हो, उनके टनों को गमलों से 15 से.मी.की उंचाई से काट देना चाहिए.तने में से एनिक्ले स्वस्थ सकर्स को छांटकर अलग करके बीज बोने की क्यारियों में लगा देना चाहिए, जो की अगले वर्ष नए पौधे लगाने में प्रयोग किये जा सकते है. पुष्प सूखने के पहले इनके सकर्स पर फूलों का नाम और रंग अवश्य लिख देवें ताकि अगले वर्ष फूलों का चयन आसानी से किया जा सकें। 
v मौसमी पुष्प: इस माह गुलदाउदी और गुलाब के पौधे फूलों से आच्छादित रहते है. इस समय इनमें नियत समय पर खाद और पानी देवे तथा इन्हें कीट-रोग और खरपतवारों से बचाने के उपाय करें. मौसमी पुष्पों की बढ़वार के लिए इनमे तरल खाद देना अच्छा रहता है। 
v अक्टूबर में प्रूनिंग किये गुलाब के  पौधों  में फूल आ रहे होगें। उनकी कटाई तथा विपणन करें। गुलाबों में बंडिंग का कार्य, सिंचाई, निराई एवं गुड़ाई करें।
v ग्लैडियोलस में सिंचाई, निराई एवं गुड़ाई करें। रोपाई के 60-90 दिनों  बाद फूल लगने लगते है। फूल खिलने के बाद डंठलों की कटाई, छटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग तथा विपणन करें।
v रजनीगन्धा के पुष्पों की  अंतिम बहार की कटाई, छटाई, पैकिंग तथा विपणन करें। बल्ब जल्दी परिपक्व हो सके इसके लिए पौधे को भूमि की सतह के उपर से मरोड़ना चाहिए।
v गेंदा लगाने के लिए भूमि की तैयारी करें। अन्तिम जुताई के समय 10 टन गोबर की सड़ी खाद, 40-50 किग्रा. नत्रजन, 60-80 किग्रा. फॉस्फोरस एवं 40-50 किग्रा. पोटाश प्रति हेक्टेयर भूमि में मिलाना चाहिए। 

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