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मंगलवार, 30 मई 2017

सामयिक उद्यानिकी : श्रावण-भाद्रपद (अगस्त) माह के प्रमुख कृषि कार्य

डॉ.गजेंद्र सिंह तोमर
प्रोफ़ेसर (एग्रोनोमी)
इंदिरा गाँधी कृषि विश्व विद्यालय
राजमोहिनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र
अंबिकापुर (छत्तीसगढ़) 

वर्षा ऋतु के अगस्त अर्थान सावन के  महिने में प्यासी धरती और पेड़ पौधों को नया जीवन मिलता है और प्रकृति की मनोहारी छटा देखकर हम सब को भी बड़ा शुकून मिलता है ।  इस महीने पेड़ों की डालियों पर रस्सी से बने  झुला झूलने  का आनंद ही कुछ और है.अपनी बगिया को नया रूप रंग देने का यह उपयुक्त  समय है।  सावन की भींगी हवा चमेली, मेहँदी,रात की रानी, गंधराज आदि के सुन्दर सुगन्धित फूलों से महकने लगती है।  इसी माह भाई-बहिन के प्यार का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन तथा हमारे देश की आजादी का महापर्व 15 अगस्त भी हम मनाते है। एक तरफ हरियाली से मन प्रफुल्लित रहता है तो दूसरी तरफ मच्छरों के प्रकोप से मलेरिया और डेंगू जैसे रोग फैलने की भी आशंका रहती है अतः हमें स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना है।  फसलों में भी कीट-रोग और खरपतवारों का प्रकोप भी बढ़ जाता है।  निरंतर वारिश होने से वातावरण में पर्याप्त आद्रता रहती है।  अधिकतम और न्यूनतम तापक्रम क्रमशः 30 और 24 डिग्री सेग्रे के आस पास रहता है। जलवायु के सभी घटक समभाव में रहते है।  पिछले माह यानि जुलाई की भांति यह माह भी वृक्षारोपण और पौध प्रवर्धन का माह माना जाता है।  इस माह उद्यानिकी-बागवानी में संपन्न किये जाने वाले महत्वपूर्ण कृषि कार्यो का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है। 

सब्जियों में इस माह



  • भिन्डी: फसल में फूल आने के एक सप्ताह बाद फल तौड लेवें अन्यथा फल रेशेदार/कड़े होने से बाजार में कम कीमत मिलती है।  खेत में पर्याप्त नमीं बनाये रखें तथा 50 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से यूरिया कतारों में देकर गुड़ाई और सिंचाई करें।  फली छेदक कीट की रोकथाम के लिए फसल में फूल आने से पूर्व 1200 मिली मैलाथिआन 50 ई.सी. का छिडकाव करें परन्तु दवा छिडकाव के 7 दिन तक इसके फल ना तोड़ें। 
  • बैगन, टमाटर व मिर्च : इनकी पौध यदि गत माह नहीं लगाई है तो इस माह रोपाई कर देवें। खेत से जल निकासी का इंतजाम करें।  इन फसलों  में 50 किलो यूरिया कतारों में देकर गुड़ाई करें। 
  • गोभी वर्गीय सब्जियां : इस वर्ग की अगेती फसल के लिए नर्सरी तैयार करें। पिछले माह लगाई गई फसलों में रोपाई के 30-40 दिन में 50-60 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से देवें। 
  • कद्दू वर्ग की सब्जियां: इन फसलों की सतत निगरानी रखें। अधिक वर्षा होने पर खेत से तुरंत जल निकासी की व्यवस्था करें।  खरपतवार नियंत्रण के आवश्यक उपाय करें। इन फसलों में फूल आते समय 25-30 किग्रा नत्रजन प्रति हेक्टेयर की दर से थालों में देकर गुड़ाई करें। 
  • खीरा वर्गीय फसलें: फसलों में आवश्यकतानुसार निराई,गुड़ाई और सिंचाई करें।  तैयार फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था करें। फसल की कीड़ों से सुरक्षा करें। 
  • गाजर व मूली: इनकी अगेती फसल के लिए इस माह बुआई करें।  इनकी उन्नत किस्मों को 5-6 किग्रा बीज को 30-35 सेमी की दूरी पर कतारों में लगाये।  बीज की बुआई 2 सेमी की गहराई पर करें. वर्षा न होने की स्थिति में सिंचाई करते रहे। 
  • लोबिया व ग्वार फली: तैयार मुलायम फलियों को तोड़कर बाजार भेजें. फलियों की तुड़ाई दो दिन के अंतराल से करते रहें।  कीटों के बचाव हेतु पौध सरंक्षण उपाय करें। 
  • अदरक/हल्दी/अरबी : इन फसलों में आवश्यकतानुसार निराई,गुड़ाई और सिंचाई करें।  रोगों से सुरक्षा हेतु 0.2% इंडोफिल-45 नामक दवा का घोल बनाकर एक छिडकाव करें।  खड़ी फसल में 40-50 किग्रा यूरिया प्रति हेक्टेयर की दर से कतारों में देवें। 
  • शकरकंद: पूर्व में रोपी गई फसल में निराई-गुड़ाई और मिट्टी चढाने का कार्य करें। पौध सरंक्षण के उपाय अपनावें।  इस माह भी शकरकंद की कलमें रोपी जा सकती है।   

फलोद्यान में इस माह



  • आम: पछेती किस्म के फलों को तोड़कर बाजार भेजें। आम के नये बगीचे  हेतु उन्नत किस्म के स्वस्थ पौधे रोपने का कार्य करें । देशी आम की गुठलियों की इस माह बुआई करें ताकि मूलवृन्त हेतु पौधे तैयार हो सकें।  एक वर्ष पुराने मूलवृन्तों पर विनियर कलम बाँधने का कार्य करें। 
  • केला: नए बाग़ की रोपाई का कार्य संपन्न करें एवं बाग़ में जल निकासी की व्यवस्था करें. पौधों के बगल से निकलने वाली अवांक्षित पुत्तियों (सकर्स) को निकाल देवें. केले की फसल से परिपक्व घारों की तुड़ाई कर बाजार भेजें। 
  • अमरुद: वर्षाकालीन फसल के तैयार फलों की तुड़ाई कर बाजार भेजें. पेड़ों में गूटी बाँधने का कार्य इस माह संपन्न कर लेवें। बगीचे में इंडोफिल-45 (0.2%) के घोल का छिडकाव करें। 
  • नीबू वर्गीय फल : फल वृक्षों में केंकर रोग की रोकथाम हेतु ब्लाइटाक्स-50 (0.25%) के घोल का छिडकाव करें।  पौधों की कीट पतंगों से सुरक्षा करें।  नए बाग़ लगाने का कार्य करें।
  • पपीता: पौधशाला में उन्नत किस्म के पपीता बीजों की बुआई करें। तने पर बोर्डो लेप लगावें।  बगीचे में जल निकास की उचित व्यवस्था करें। 
  • अन्य फल: आंवला के वृक्षों पर बोरेक्स का छिडकाव करें।  कटहल के फलों को तोड़कर बाजार भेजें।  बेर के पेड़ों में पत्ती खाने वाले कीटों को नियंत्रित करने के उपाय करें। 

पुष्पोत्पादन में इस माह

  • शोभाकारी पौधे: इन हरे भरे पौधों को बाहर निकाल कर  वर्षा ऋतु की बौछारों से स्नान कराने से पौधे तरोताजा और आकर्षक हो जाते है। परन्तु ध्यान रखें की वर्षा ऋतु का पानी पौधों की जड़ों के आस-पास भरा न रहें।  यह कलम लगाने का उत्तम समय है। इनमे जड़े शीघ्र विकसित होती है. अतः मन पसंद बेलें, हेज या झाड़ियाँ लगाने का कार्य संपन्न करें। 
  • गुलदावदी: इसके पौधे कुछ बड़े होने लगते है जिन्हें सीधा रखने के लिए लकड़ी का सहारा देना चाहिए। इन पौधों को ऊपर से 2-2.5 सेमी काट देने से शाखाएं और पुष्प  अधिक संख्या में  बनते  है. इनके पौधों को वर्षा जल भराव से हानि होती है। 
  • केक्टस और सकुलेंट की वर्षा के पानी से सुरक्षा करें अन्यथा ये पौधे अधिक जल में सड़ जाते है। 
  • शर्दियो के मौसमी पुष्पों जैसे कारनेसन, पिटुनिया, डहलिया, होलिहाक्स, सालविया, एस्टर  आदि के बीजों की गमलों में बुआई कर देना चाहिए।  ग्लेडियोलाई भी क्यारिओं में लगाई जा सकती है। 
  • लान में घास यदि नहीं लगाई है तो इस माह घास लगाने का कार्य संपन्न कर लेवें. पूर्व में लगाये गए लान से घास-फूस निकालने का कार्य करें।
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